देश- गुजरात में घर खरीदना हो सकता है मुश्किल, सर्कल रेट बढ़ाने के खिलाफ क्रेडाई ने जताई आपत्ति- #NA
गुजरात में घर खरीदना होगा मुश्किल,
मिडिल क्लास लोगों के लिए अपना घर खरीदना एक बड़ा सपना होता है, लेकिन गुजरात सरकार ने जंत्री दर यानी सर्कल रेट्स में 200 से 2000 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी के प्रस्ताव ने इस सपने को अब मुश्किल बना दिया है. यह समस्या केवल आम लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि बिल्डरों के लिए भी चिंता का विषय बन गई है.
बिल्डरों का मानना है कि अगर मकानों की कीमतें बढ़ेंगी, तो जाहिर सी बात है कि ग्राहकों की संख्या भी कम हो जाएगी. इसीलिए क्रेडाई यानी कॉन्फेडरेशन ऑफ रियल इस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार के इस प्रस्ताव के खिलाफ अपनी आपत्ति जताई है.
बिल्डर्स को भी हो सकता है भारी नुकसान
क्रेडाई के अध्यक्ष ध्रुव पटेल ने सर्कल रेट्स में प्रस्तावित बढ़ोतरी को मानने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि 12 सालों के बाद अचानक इतनी बड़ी बढ़ोतरी से बिल्डर्स को भारी नुकसान होगा. क्रेडाई ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. क्रेडाई ने जांच के बिना दरों में इतनी बढ़ोतरी करने पर सरकार के फैसले की आलोचना की है. बिल्डर्स का मानना है कि इस बढ़ोतरी से राज्य में विकास कार्यों पर रोक लग सकती है और मकानों की कीमतें अमूमन 30 से 40 परसेंट तक बढ़ सकती हैं.
क्रेडाई ने सरकार से की ये मांग
इसके साथ ही क्रेडाई ने सरकार से मांग की है कि आवेदनकर्ताओं को अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए 31 मार्च 2025 तक का समय दिया जाए. उनका कहना है कि इस प्रस्ताव का सीधा प्रभाव घर खरीदने वालों पर पड़ेगा. विशेष रूप से मिडिल क्लास पर इसका आर्थिक बोझ ज्यादा ही बढ़ेगा. इससे पहले भी बिल्डर्स और सरकार के बीच जनत्री दरों को लेकर बातचीत हुई थी, हालांकि इस बार स्थिति और भी पेचीदा बन गई है.
रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी का खतरा
बिल्डरों का कहना है कि जंत्री दरों में इतनी बड़ी बढ़ोतरी से ग्राहक मकान खरीदने से पीछे हट सकते हैं, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी का खतरा बढ़ जाएगा. यह स्पष्ट है कि अगर जनत्री दरें 30-40 प्रतिशत तक बढ़ीं, तो इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा, जिससे माना जा रहा कि राज्य का विकास कार्य ठप भी ठप हो सकता है.
आसान भाषा में जानें क्या है जंत्री दर?
जंत्री को एनुअल स्टेटमेंट ऑफ रेट्स कहते हैं. यह न्यूनतम दर होती है जो राज्य सरकार उस सम्पत्ति पर लगाती है जिसकी ओनरशिप बदलती है. आसान भाषा में समझें तो जब कोई इंसान नई प्रॉपर्टी खरीदता है तो उसे उसी दर पर रजिस्टर करानी पड़ती है जो जंत्री दर राज्य सरकार तय करती है. यह दर अलग-अलग शहरों में अलग-अलग होती है. इतना ही नहीं प्रॉपर्टी के प्रकार, लोकेशन और उसके आकार समेत कई फैक्टर्स के कारण इसकी दरें घटती-बढ़ती है. रेजिडेंशियल, कॉमर्शियल और इंस्टीट्यूशनल प्रॉपर्टी के मामलों में भी दरें बदलती हैं.
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