देश- दोनों पैरों से दिव्यांग, लेकिन हौसलों की ‘उड़ान’, जीता ब्रॉन्ज मेडल… मिलिए बिहार की पहली फूड डिलीवरी वूमेन से- #NA
दिव्यांग राधा.
शायर निदा फाजली की गजल ‘दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए, जब तक न टूटे सांस जिए जाना चाहिए’ की ये लाइनें बिहार की राजधानी पटना की रहने वाली राधा के ऊपर एकदम सटीक बैठती हैं. वह दोनों पैर से दिव्यांग और पैरा बैडमिंटन, पैरा रग्बी खिलाड़ी हैं. राधा न केवल पटना बल्कि पूरे बिहार की जोमैटो की पहली महिला फूड डिलिवरी पार्टनर हैं. बचपन से राधा के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था. उनकी कहानी लोगों के लिए प्रेरणा देती है.
राधा मूल रूप से पटना के दानापुर की रहने वाली हैं. उनकी कहानी बहुत ही अजीब है. वह बताती हैं कि जब उनका जन्म हुआ तब वह बिल्कुल सही सलामत थीं. उनकी आवाज नहीं थी और वह बोल नहीं पाती थी. लेकिन कुदरत ने कुछ ऐसा किया कि एक साल के बाद उनके दोनों पैर पोलियो के कारण खराब हो गए. कुदरत का करिश्मा यह हुआ कि उनके पैर तो खराब जो गए लेकिन आवाज वापस आ गई.
बिहार की पहली महिला फूड डिलिवरी पार्टनर
राधा के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है. राधा न केवल पटना बल्कि पूरे बिहार की जोमैटो की पहली महिला फूड डिलिवरी पार्टनर हैं. वह दिव्यांग और महिला दोनों श्रेणी की पहली महिला फूड डिलिवरी पार्टनर हैं. राधा बताती हैं, उन्होंने करीब एक साल पहले जोमैटो जॉइन किया था. राजधानी में करीब 6000 से भी ज्यादा जोमैटो के फूड डिलीवरी पार्टनर हैं. अपनी इस अनोखी यात्रा के बारे में राधा बताती हैं कि वह काम तो करती हैं, लेकिन साथ-साथ दिव्यांग भाई बहनों को यह भी संदेश देना चाहती हैं कि अगर कोई भी कुछ करना चाहे तो करने के लिए दृढ़ निश्चय होना चाहिए.
कोरोना से हुआ पिता का निधन, नॉर्मल लड़की से कम नहीं है राधा
राधा कहती हैं कि कोई काम मुश्किल नहीं होता. उनका कहना है कि वह दिव्यांग तो है, लेकिन कहीं से भी किसी नॉर्मल लड़की से कम नहीं है. वह अपनी चुनौती को स्वीकार करती हैं. उम्र के 36वें पड़ाव पर आ चुकी राधा के पिता नहीं हैं. उनके पिता राम खेलावन सहनी कोरोना की पहली लहर की चपेट में आ गए थे.राधा बताती हैं कि जोमैटो को ज्वाइन करने के पीछे भी कहानी है.
वह कहती हैं, नौकरी के सिलसिले में वह जहां कहीं भी इंटरव्यू देने जाती थी तो उनके साथ कुछ अलग व्यवहार किया जाता था, जो की उनको नापसंद था. उनको कहा जाता था कि आपको कॉल चली जाएगी. उसे बहुत निराशा होती थी. इसके बाद उसने इंटरव्यू देना बंद कर दिया. राधा ने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. साथ ही साथ वह कंप्यूटर ऑपरेटिंग भी बहुत अच्छे तरीके से जानती हैं.
जोमैटो में बनी फूड डिलीवर गर्ल्स
राधा कहती हैं, इसी बीच उन्हें जोमैटो की फूड डिलीवरी के बारे में जानकारी मिली. जब इसके बारे में कुछ लोगों से जानकारी ली तो उन लोगों ने भी उसे प्रोत्साहित नहीं किया. उन लोगों ने भी यहीं कहा कि तुमसे यह काम नहीं हो सकता है. मुझे तब बहुत गुस्सा आया लेकिन मैंने लोगों की इन बातों को चलैंज के रूप में लिया. इसके बाद उसने जोमैटो को ज्वाइन किया. राधा कहती है कि मेरी कोशिश यह थी कि मैं अपने पैर पर खड़ी हो जाऊं. क्योंकि वह दिव्यांग थी और कोई भी किसी की भी मदद कितने दिनों तक कर सकता है.
स्कूटी से फूड डिलिवरी, इन्होंने की मदद
राधा बताती हैं कि वह प्रतिदिन आठ से 10 घंटे फूड डिलीवरी पार्टनर के रूप में काम करती हैं. फूड डिलीवरी का काम स्कूटी के माध्यम से करती हैं. वह कहती हैं, अपनी सारी ज्वेलरी को बेच के स्कूटी के लिए पैसे एकत्र किए. स्कूटी को फाइनेंस करने लायक ही पैसे थे. बाकी पैसे ईएमआई में देने थे. इस काम में उनकी मदद सेंट डोमिनिक स्कूल की प्रिंसिपल ने की. उन्होंने दो सालों तक ईएमआई भरने में मदद की. स्कूटी के साइड के पहिए लगवाने में राजधानी के ही होली फैमिली के फादर डे मेलो ने मदद की. इसके लिए उन्होंने 19 हजार रूपये दिए थे.
प्लेयर भी हैं राधा
राधा न केवल फूड डिलिवरी पार्टनर हैं बल्कि वह पैरा बैडमिंटन और पैरा रग्बी भी खेलती हैं. वह बताती है कि झारखंड के जमशेदपुर में जब पैरा खिलाड़ियों का कंपटीशन आयोजित किया गया था तो उसमें उन्होंने बिहार की तरफ से हिस्सा लिया था. वहां तक पहुंचने और वहां रहने की सारी व्यवस्था जोमैटो की तरफ से ही कराई गई थी. गत अक्टूबर में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आयोजित कंपीटिशन में भी राधा ने व्हील चेयर रग्बी में बिहार के लिए कांस्य पदक हासिल किया था.
सोच को हमेशा अव्वल रखने की जरूरत
राधा कहती है कि वह दिव्यांग को यह संदेश देना चाहती हैं कि मायूस होने से कुछ नहीं होता. दिव्यांग किसी अंग को खराब कर सकता है लेकिन सोच को नहीं बदल सकता. सोच को हमेशा ऊपर रखने की जरूरत होती है तभी आप जीवन में बदलाव ला सकते हैं. राधा बताती है, उनकी मां की उम्र भी बहुत ज्यादा है और वह हृदय रोग की मरीज हैं. उनकी कोशिश होती है कि वह किसी भी तरह से अपनी मां की मदद कर सकें. तीन बहन और एक भाई वाली राधा के अन्य सभी भाई बहन सामान्य हैं.
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