देश – क्या केजरीवाल ने पकड़ ली BJP की कमजोर नस? दिल्ली की कानून-व्यवस्था को ऐसे ही नहीं बना रहे चुनावी मुद्दा- #INA

अरविंद केजरीवाल और अमित शाह

दिल्ली विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस बार नई रणनीति के साथ दिल्ली की सत्ता फतह करने की रणनीति बनाई है. मुफ्त बिजली, पानी और शिक्षा के बजाय दिल्ली की सुरक्षा के मुद्दे पर नैरेटिव सेट करना शुरू कर दिया है. दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर लगातार बीजेपी पर आक्रामक रुख अख्तियार कर रखा है. आंकड़ों के जरिए केजरीवाल यह बताने में जुटे हैं कि दिल्ली अब महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिक तक के लिए सुरक्षित नहीं रह गई है. इस तरह बीजेपी की सबसे कमजोर नस पर केजरीवाल हाथ रख रहे हैं.

अन्ना आंदोलन से निकले अरविंद केजरीवाल के लिए इस बार का चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है. यही वजह है कि जेल से बाहर आने के बाद से ही केजरीवाल ने पूरी तरह से चुनावी अभियान की कमान संभाल रखी है. दिल्ली के जिन इलाकों में आम आदमी पार्टी कमजोर लग रही, वहां दूसरे दलों के मजबूत नेताओं को अपने साथ मिलाने का काम किया. मुफ्ती योजनाओं पर ‘रेवड़ी चर्चा’ अभियान शुरू किया, लेकिन अब उसकी जगह पर दिल्ली की सुरक्षा को केजरीवाल ने सबसे अहम बना लिया है क्योंकि इस दांव से उन्हें सत्ता पर अपना दबदबा बनाए रखने की उम्मीद दिख रही है.

दिल्ली में चुनावी तपिश के बीच राजधानी में आपराधिक वारदात बढ़े हैं. दिल्ली में आए दिन गैंगवार हो रहा है, रंगदारी वसूलने के मामले भी बढ़ गए हैं. कानून व्यवस्था को लेकर दिल्ली पुलिस लोगों के निशाने पर है. दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल बार-बार कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं. ऐसे में केजरीवाल दिल्ली पुलिस के बहाने केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी को निशाने पर ले रहे हैं. केजरीवाल ने कहा कि अमित शाह और बीजेपी ने पूरी दिल्ली को गुंडे और गैंगस्टर के हवाले छोड़ दिया है. इतना ही नहीं दिल्ली में जिन लोगों के साथ वारदात हो रही हैं, उन परिवार से मिलने भी केजरीवाल पहुंच रहे हैं.

केजरीवाल किस तरह बीजेपी को घेर रहे?

अरविंद केजरीवाल पिछले दिनों दिल्ली के नारायणा में मारे गए युवक के पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे. पीड़ित परिवार से उनका दर्द बांटा, फिर घर से बाहर निकलते ही बीजेपी पर बरस पड़े. उन्होंने कहा कि दिल्ली में पहले ऐसा नहीं होता था, मेरी मांग है कि केंद्र सरकार और पुलिस, दिल्ली के लोगों को सुरक्षा दे. हद हैकि आरोपियों पर कहीं कोई एक्शन नहीं हो रहा है, जबकि गैंगस्टर्स के नाम सबको पता हैं. केजरीवाल खुद भी बिगड़ती कानून व्यवस्था का शिकार हुए, दिल्ली में पदयात्रा के दौरान उन पर हमले हुए हैं. केजरीवाल पर हमले के बाद आम आदमी पार्टी यह बताने में जुटी है कि दिल्ली में राजनेता भी सुरक्षित नहीं, तो फिर आम आदमी की कौन बात करे.

दिल्ली की कानून व्यवस्था का जिम्मा केंद्रीय गृह मंत्रालय संभालता है. केंद्र में गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी अमित शाह के हाथों में है. पिछले दस साल से दिल्ली में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार चल रही है. इस तरह दिल्ली की कानून व्यवस्था का मुद्दा बनाकर केजरीवाल ने सीधे बीजेपी और अमित शाह को घेरने का प्लान बनाया है. इसके बहाने ये बताने की कोशिश हो रही है कि दिल्ली के आवाम की सुरक्षा करने में मोदी सरकार पूरी तरह फेल है. दिल्ली में बढ़ता अपराध और असुरक्षा पूरी तरह से चुनावी मुद्दा बन चुका है.

बीजेपी सफाई देने पर उतरी

आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ऐसे ही दिल्ली की सुरक्षा का मुद्दा नहीं बना रहे हैं बल्कि उसके पीछे की पूरी गणित है. दिल्ली में गैंगवॉर की छह बड़ी घटनाएं घटी हैं. एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में हर दिन 23 बच्चे, 40 महिलाएं और तीन सीनियर सिटीजन के खिलाफ अपराधिक मामले हो रहे हैं. दिल्ली में हर दिन औसतन एक हजार से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं. हर दिन औसतन तीन बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं. इन आपराधिक आंकड़ों के जरिए अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की कानून व्यवस्था के मुद्दे को सियासी हथियार के तौर पर बीजेपी के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में दिल्ली में सुरक्षा का मुद्दा उठाया है, उससे यह तय हो गया था. इसके बाद दिल्ली में कानून व्यवस्था से पीड़ित लोगों और उनके परिवार से मुलाकात कर सियासी एजेंडा सेट करना शुरू कर दिया है. इस तरह बीजेपी ने केजरीवाल के खिलाफ बना रही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने के बजाय अब दिल्ली कानून व्यवस्था पर सफाई देना शुरू कर दिया है. केजरीवाल इस बात को समझ गए हैं कि दिल्ली में कानून व्यवस्था का मुद्दा उनके सत्ता में वापसी के लिए अहम दांव साबित हो सकता है. इसीलिए अरविंद केजरीवाल खुलकर दांव खेल रहे हैं, लेकिन देखना है कि राजनीतिक नफा और नुकसान किसे होता है?

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