देश- हेमंत सोरेन ने सिर्फ एक पुराने मंत्री को नहीं किया रिपीट, कभी आडवाणी को अरेस्ट कर चर्चा में आए थे रामेश्वर- #NA

हेमंत सोरेन के साथ रामेश्वर उरांव

झारखंड में हेमंत कैबिनेट का विस्तार हो गया है. हेमंत ने चुनाव जीतकर आए अपने 5 मंत्रियों को रिपीट कर दिया है. इनमें इरफान अंसारी, दीपिका पांडेय, हफीजुल हसन, दीपक बिरुआ और रामदास सोरेन का नाम शामिल हैं. सिर्फ रामेश्वर उरांव को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है. कांग्रेस विधायक रामेश्वर उरांव पिछली सरकार में वित्त मंत्री थे और इस बार लोहरदगा से जीतकर आए हैं.

आदिवासी चेहरे उरांव को कैबिनेट में जगह न मिलना चर्चा का विषय बना हुआ है. सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता उरांव को आखिर झारखंड कैबिनेट में जगह क्यों नहीं मिली है?

आडवाणी को अरेस्ट कर सुर्खियों में आए थे उरांव

1990 में भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा निकालने की घोषणा की. यह यात्रा राम मंदिर के कारसेवा को लेकर की जा रही थी. यात्रा सोमनाथ से निकलकर अयोध्या के लिए रवाना हुई, लेकिन इसे बिहार के समस्तीपुर में ही रोक दिया गया.

यात्रा को रोकेने का आदेश बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का था, लेकिन इसे रोकने में रामेश्वर उरांव और आरके सिंह ने बड़ी भूमिका निभाई थी. उरांव उस वक्त बिहार में डीआईजी पद पर कार्यरत थे.

कहा जाता है कि लालू ने जब आडवाणी को गिरफ्तार करने का प्लान बनाया, तब इसके लिए कई अधिकारियों से संपर्क साधा गया लेकिन बात नहीं बनी. आखिर में रामेश्वर उरांव को यह जिम्मेदारी दी गई.

उरांव आदिवासी थे, इसलिए लालू ने उन पर भरोसा जताया. आडवाणी को समस्तीपुर से गिरफ्तार कर पहले दुमका ले जाया गया, जहां उन्हें मसानजोर गेस्ट हाउस में रखा गया. उरांव यहां आडवाणी के साथ तीन दिन तक रहे.

आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद उरांव चर्चित हो गए. 2004 में सर्विस से इस्तीफा देकर उरांव राजनीति में आ गए. 2004 से 2014 तक वे लोहरदगा सीट से सांसद रहे. उन्हें इस दौरान मनमोहन कैबिनेट में भी जगह मिली.

सांसदी से शुरुआत फिर बड़े नेता बन गए

2004 में सांसदी से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले रामेश्वर उरांव धीरे-धीरे झारखंड कांग्रेस के बड़े नेता बन गए. 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद उरांव झारखंड की सियासत पर फोकस कर लिया. सुखदेव भगत के पार्टी छोड़ने और अजय कुमार के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने उरांव को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंप दी.

उरांव की अध्यक्षता में कांग्रेस विधानसभा की 16 सीटों पर जीती, जिसके बाद पार्टी हेमंत सोरेन की सरकार में हिस्सेदार बन गई. उरांव भी लोहरदगा से विधायक चुने गए और उन्हें हेमंत कैबिनेट में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. 2024 में रामेश्वर उरांव को विधायक दल के नेता की भी जिम्मेदारी मिली, जिसके बाद उन्हें झारखंड कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता माना जाने लगा.

हालांकि, अब जिस तरह से उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है, उससे सवाल उठने शुरू हो गए हैं.

हेमंत कैबिनेट में मंत्री बनने से कहां चूक गए उरांव?

2019-2024 तक मंत्री रहे रामेश्वर उरांव के फिर से हेमंत कैबिनेट में शामिल नहीं हो पाने के पीछे 3 वजहें हैं. पहली वजह रामेश्वर उरांव का कार्यकाल है. चंपई सोरेन जब मुख्यमंत्री बने थे, तब कांग्रेस ने अपने कोटे के सभी मंत्रियों को रिपीट करवा दिया था.

इसके खिलाफ पार्टी के विधायक दिल्ली पहुंच गए थे. विधायकों का कहना था कि कांग्रेस कोटे से जो भी 4 मंत्री हैं, वो विधायकों की बात नहीं सुनते हैं. उस वक्त हाईकमान ने सबको आश्वासन देकर रांची भेज दिया.

5 महीने बाद जब हेमंत सोरेन ने फिर झारखंड की कमान संभाली तो आलमगीर आलम और बादल पत्रलेख की कैबिनेट से छुट्टी हो गए. बादल की जगह दीपिका पांडे और आलमगीर की जगह इरफान को जगह दी गई. बन्ना और रामेश्वर को कैबिनेट से नहीं हटाया गया.

विधानसभा के चुनाव में हार कर बन्ना खुद रेस से बाहर हो गए. कहा जा रहा है कि ऐसे में उरांव को हटाकर पार्टी ने विधायकों को जो आश्वासन दिया था, उसे पूरा कर लिया है.

उरांव को कैबिनेट मंत्री का पद न मिलने की वजह बंधु तिर्की भी है. तिर्की पहले बाबू लाल मरांडी की जेवीएम में थे, लेकिन 2015 में कांग्रेस में आ गए. कहा जाता है कि उस वक्त उन्हें मंत्री पद दिए जाने का वादा किया गया था, लेकिन बदले समीकरण में यह संभव नहीं हो पाया.

बाद के दिनों में बंधु तिर्की को कांग्रेस ने झारखंड में कार्यकारी अध्यक्ष का पद दे दिया. बंधु मेनिफेस्टो कमेटी के भी प्रमुख थे. इस बार तिर्की की बेटी शिल्पी नेहा चुनाव जीतकर विधायक बनी हैं. कांग्रेस ने शिल्पी को आदिवासी कोटे का मंत्री पद दे दिया, जिसकी वजह से उरांव का पत्ता कट गया.

मंत्री पद न मिलने की तीसरी वजह उरांव की उम्र भी है. रामेश्वर उरांव 77 साल के हो गए हैं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस अब नए लीडरशिप पर फोकस कर रही है. यही वजह है कि उरांव की जगह 32 साल की शिल्पी नेहा को कैबिनेट में जगह दी गई है.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button
Close
Log In
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science