देश- Maharashtra Assembly Speaker: महाराष्ट्र में कैसे चुना जाएगा विधानसभा अध्यक्ष? जानें उनकी शक्तियां, वेतन और सुविधाएं- #NA

महाराष्‍ट्र नौ दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा.

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद आखिरकार सरकार का गठन हो गया है. अब विधानसभा के विशेष सत्र में विधायकों का शपथ ग्रहण शुरू हो चुका है. विधानसभा के लिए चुने गए 288 सदस्यों को सात और आठ दिसंबर को शपथ दिलाई जाएगी. इसके लिए वडाला विधानसभा क्षेत्र से चुने गए भाजपा के वरिष्ठ विधायक कालिदास कोलंबकर को प्रोटेम स्पीकर चुना गया है. दो दिन शपथ ग्रहण के बाद नौ दिसंबर (9 दिसंबर, 2024) को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा.

आइए जान लेते हैं कि कैसे चुना जाता है विधानसभा का अध्यक्ष? उनके पास कितनी पावर होती है और क्या वेतन व सुविधाएं मिलती हैं?

नामांकन भरने से लेकर चुनाव तक की प्रक्रिया

विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव विधानसभा सदस्य ही अपने बीच से करते हैं. इसके लिए बाकायदा एक दिन तय होता है. विधानसभा सचिवालय इस चुनाव के लिए बाकायदा सूचना जारी करता है. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष बनने के इच्छुक सदस्य अपना-अपना नामांकन भरते हैं. फिर नामांकन पत्रों की जांच होती है. नाम वापस लेने का भी समय दिया जाता है. अगर उम्मीदवारी एक से अधिक होती है तो सदन में मौजूद सदस्य हाथ उठाकर अपनी-अपनी पसंद के उम्मीदवार का समर्थन करते हैं. ऐसा नहीं होने पर प्रत्याशी एक ही होता है तो उसके निर्विरोध चुनाव की घोषणा कर दी जाती है. यह सारी प्रक्रिया प्रोटेम स्पीकर की अगुवाई में होती है.

विधानसभा का स्थायी अध्यक्ष चुने जाने के बाद सदन के नेता यानी मुख्यमंत्री और प्रोटेम स्पीकर उनको आसन तक पहुंचाते हैं और उनका स्वागत करते हैं. इसके बाद सदन की सारी कार्यवाही नए अध्यक्ष की अगुवाई में होती है.

सत्ता पक्ष का होता है विधानसभा अध्यक्ष

विधानसभा अध्यक्ष का कार्यकाल विधानसभा सदस्यों यानी विधायकों के कार्यकाल जितना ही होता है. महाराष्ट्र में विधानसभा के विशेष सत्र के साथ ही अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. अध्यक्ष पद के इच्छुक विधायक रविवार (8 दिसंबर 2024) की दोपहर तक नामांकन भर सकते हैं. इसके बाद नामांकन पत्र जांचे जाएंगे. नौ दिसंबर को सदन में उम्मीदवारों का प्रस्ताव रखा जाएगा. आमतौर पर सत्ता पक्ष के विधायकों की संख्या अधिक होने के कारण उसी पक्ष का कोई विधायक अध्यक्ष चुना जाता है. कई बार पार्टियां आपसी सहमति से किसी एक नाम पर मुहर लगाती हैं.

विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियां

पारंपरिक रूप से विधानसभा अध्यक्ष चूंकि सत्ता पक्ष का होता है, इसलिए वह सदन में किसी मुद्दे पर मतदान नहीं करता है. हालांकि, अगर सदन में किसी मामले में बराबर-बराबर मत पड़ें तो विधानसभा अध्यक्ष के पास निर्णायक मत देने का अधिकार होता है. अगर किसी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ पद से हटाने का प्रस्ताव सदन में विचाराधीन हो तो उस दौरान वह सदन में किसी बैठक की अध्यक्षता नहीं करता है.

विधानसभा में पेश किसी भी विधेयक को धन विधेयक माना जाएगा या नहीं, इसका फैसला करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास ही होता है. किसी विधायक को सदन से निष्कासित करने, निलंबित करने की शक्ति भी अध्यक्ष में निहित होती है. इसके अलावा सदन में विधानसभा अध्यक्ष के पास कई और अधिकार भी होते हैं.

वेतन और सुविधाएं

विधानसभा के अध्यक्ष को दिए जाने वाले वेतन और भत्ते उस राज्य की विधानसभा द्वारा तय किए जाते हैं. अगर किसी राज्य में विधानपरिषद भी है तो दोनों सदनों के अध्यक्षों के वेतन-भत्ते विधानमंडल की ओर से तय किए जाते हैं. अलग-अलग राज्यों में विधानसभा अध्यक्षों के लिए अलग-अलग वेतन तय हैं. इसके अलावा वाहन और आवास की सुविधा भी मिलती है. चूंकि विधानसभा अध्यक्ष भी एक विधायक ही होते हैं, इसलिए उनको विधायकों को मिलने वाली सभी सुविधाओं का भी अधिकार होता है. अपने क्षेत्र के विकास के लिए सालाना निधि मिलती है. टेलीफोन की सुविधा भी मुहैया कराई जाती है. देश में कहीं भी ट्रेन से आने-जाने के लिए सुविधा मिलती है. यह सुविधा उनकी पत्नी, नाबालिग बच्चों या साथी को भी साथ में यात्रा करने पर मिलती है.

महाराष्ट्र में विधायकों को हर महीने 2.32 लाख रुपए वेतन मिलता है. मंत्रियों का भी वेतन इतना ही है. यह वेतन आयकर से पूरी तरह से मुक्त होता है.

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