देश – दिल्ली में रद्द हो रहे राहुल गांधी के कार्यक्रम, क्या AAP से गठबंधन की आस में है कांग्रेस?- #INA

दिल्ली की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस बेताब नजर आ रही है. कांग्रेस अपनी खोई सियासी जमीन को वापस पाने के लिए एक महीने तक ‘न्याय यात्रा’ के बहाने दिल्ली की गलियों की खाक छानती रही, लेकिन राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे इस यात्रा में शामिल नहीं हुए.

दिल्ली न्याय यात्रा के समापन को बड़ा इवेंट बनाकर पेश करने की योजना को भी झटका लगा, जब राहुल गांधी ने अपनी उपस्थिति से इनकार कर दिया. राहुल गांधी की वजह से कांग्रेस को कार्यक्रम बार-बार रद्द करना पड़ रहा. ऐसे में सवाल यह उठता है कि राहुल गांधी दिल्ली की सियासत में क्यों एक्टिव नहीं हो रहे, क्या कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से अभी भी गठबंधन की आस बची है?

कांग्रेस दिल्ली की सियासत में तीसरे पायदान पर खड़ी नजर आ रही. पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका है. 2024 चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने सियासी आधार को दोबारा से पाने के लिए 8 नवंबर को राजघाट से ‘दिल्ली न्याय यात्रा’ की शुरुआत की थी. दिल्ली के सभी इलाके जाने के बाद 7 दिसंबर को रोहिणी में यात्रा समाप्त हो गई.

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एक महीने तक चली न्याय यात्रा में राहुल गांधी ही नहीं कांग्रेस का कोई बड़ा नेता शामिल नहीं हुआ. अब 9 दिसंबर को तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले कार्यक्रम में भी राहुल ने शामिल होने से इनकार कर दिया, जिसकी वजह से कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा है.

दिल्ली के कार्यक्रमों से राहुल- प्रियंका ने बनाई दूरी

दिल्ली कांग्रेस के नेता एक महीने से जमीन पर उतरकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन दिल्ली में रहने के बाद भी कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे इस पूरी यात्रा से दूरी बनाए रखे. इतना ही नहीं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगातार संसद की कार्यवाही में भाग लेते रहे. संभल और अदानी विवाद पर धरना-प्रदर्शन करते रहे, लेकिन वे न्याय यात्रा में नहीं पहुंचे. वो भी जब कांग्रेस के नेता मानते हैं कि राहुल-प्रियंका के बिना कांग्रेस दिल्ली की लड़ाई में वापस नहीं आ सकती. दिल्ली की लड़ाई को त्रिकोणीय बनाना है तो इसके लिए गांधी परिवार को मैदान में उतरना पड़ेगा.

कांग्रेस और आप के बीच पक रही सियासी खिचड़ी?

दिल्ली में राहुल गांधी का पहले न्याय यात्रा से दूरी बनाना और अब बार-बार कार्यकर्ताओं को संबोधित करने की योजना को रद्द किया जा रहा. ऐसे में यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि राहुल गांधी और कांग्रेस के बड़े नेता दिल्ली की सियासत में एक्टिव होने के लिए क्यों बच रहे हैं, क्या आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की कोई सियासी खिचड़ी तो नहीं पक रही है.

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. चुनाव नतीजे आने के बाद दोनों ही दलों के बीच रिश्ते बिगड़ गए थे और एक दूसरे पर वोट ट्रांसफर न होने का आरोप लगाते हुए गठबंधन तोड़ लिया था. पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉफ्रेंस करके कांग्रेस के साथ दिल्ली में गठबंधन करने से साफ इनकार मना कर दिया था, लेकिन जिस तरह राहुल गांधी और कांग्रेस के बड़े नेताओं के दिल्ली की सियासत में एक्टिव नहीं दिख रहे हैं, उसे गठबंधन से जोड़कर देखा जा रहा है.

बैठक के कारण मिल रही अटकलों को हवा

दिल्ली विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच मंगलवार की शाम को एनसीपी (एस) के नेता शरद पवार के आवास पर एक बैठक हुई है, जिसमें अरविंद केजरीवाल भी शामिल हुए थे. शरद पवार और केजरीवाल की मुलाकात को दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना से भी जोड़कर देखा जा रहा. इसके पीछे कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि राहुल गांधी ने अंतिम समय में दिल्ली कार्यक्रम को रद्द किया और उसके एक दिन बाद अरविंद केजरीवाल और शरद पवार की बैठक होती है.

दिल्ली के स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने न्याय यात्रा के जरिए जगह-जगह लोगों से बातचीत की, उनके मुद्दे समझने की कोशिश की और यह भी समझने की कोशिश की कि वर्तमान समय में उसके लिए दिल्ली की सियासत में कितनी संभावनाएं मौजूद हैं. एक महीने तक सभी 70 विधानसभाओं में निकाली गई यात्रा को बड़े इवेंट के साथ समापन करने की योजना प्रदेश कांग्रेस ने बनाई थी, ताकि मौके का फायदा उठाते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाए. इसके बाद भी राहुल गांधी ने दो बार कार्यक्रम में शामिल होने के प्रोग्राम को रद्द कर दिया.

राहुल के मैदान में उतरने से खत्म होंगी गठबंधन की सारी बातें

विधानसभा चुनाव का अभी ऐलान नहीं हुआ है और अभी शुरुआती दौर में कांग्रेस अपने सबसे बड़े योद्धा को मैदान में उतारकर गठबंधन के दरवाजे बंद नहीं करना चाहती. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे अभी उतरते हैं को उन्हें बीजेपी के साथ-साथ केजरीवाल को भी अपने टारगेट पर लेना होगा. इसकी वजह यह है कि दिल्ली में पिछले 11 साल से आम आदमी पार्टी की सरकार है और केंद्र की सत्ता में बीजेपी काबिज है. दिल्ली में दोनों ही सरकारों का दखल है.

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे एक बार दिल्ली में उतरकर बीजेपी के साथ-साथ केजरीवाल को निशाने पर हमलावर होते हैं तो फिर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की सारी संभावना खत्म हो जाएगी. माना जा रहा है कि इसीलिए अभी शुरूआती दौर में राहुल गांधी दिल्ली की सियासत से दूरी बनाए हुए हैं, जिसके चलते ही न्याय यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल होने के प्रोग्राम को दो बार रद्द करना पड़ा है. कांग्रेस अभी राहुल, प्रियंका और खरगे को उतारकर सियासी लकीर नहीं खींचना चाहती है.

केजरीवाल के लिए आसान नहीं दिल्ली चुनाव

दिल्ली विधानसभा का चुनाव इस बार अरविंद केजरीवाल के लिए काफी मुश्किल भरा माना जा रहा है. ऐसे में चौथी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की रेस में पार्टी को इस बार कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले पांच सालों में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, उन्हें जेल भी जाना पड़ा और केजरीवाल को सीएम पद से इस्तीफा देकर अतिशी को कमान सौंपनी पड़ी. ऐसे में आम आदमी पार्टी एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को नजरअंदाज नहीं कर रही है. इसीलिए केजरीवाल कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं, चाहे अपने नेताओं के टिकट काटने की बात हो या फिर विधायकों के सीट बदलने की हो.

आम आदमी पार्टी भले ही दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनों से लगातार इनकार कर रही है, लेकिन कांग्रेस अपने सियासी ताकत को समझ रही हैं. कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि अकेले चुनाव लड़ने पर कोई लाभ नहीं होने वाला है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि मुस्लिम और दलित दोनों ही कांग्रेस से छिटक गया है और अपने-अपने कारणों से आम आदमी पार्टी के पास जा चुका है. कांग्रेस के कमजोर होने का सबसे बड़ी वजह यही रही और अब इसके चलते ही कांग्रेस के नेता भी दबी जुबान से मान रहे हैं कि बिना गठबंधन के कोई हल नहीं निकलने वाला, क्योंकि दिल्ली की चुनावी लड़ाई अब बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच केंद्रित हो गई है.

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