देश – Rezang La: जानिए, क्या और कहां है रेजांग ला, जिस पर संसद में हुआ बड़ा खुलासा, चीन से विवाद की है जड़! #INA

Rezang La: समाजवाजी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज सांसद अखिलेश यादव ने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान भारत चीन सीमा विवाद का मुद्दा उठाया. अखिलेश यादव ने इस विवाद को लेकर संसद में बड़ा खुलासा किया. उन्होंने कहा, ‘कई जगहों पर हमारी सीमाएं सिकुड़ रही हैं. रेजांग ला के मेमोरियल को तोड़ दिया गया, आज वह मेमोरियल वहां नहीं है.’ अखिलेश ने उस मुद्दे को उठाया है, जो दशकों से भारत-चीन के बीच विवाद की प्रमुख जड़ भी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या, कहां है रेजांग ला और इसको लेकर चीन से विवाद क्यों है.

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‘कई जगहों पर हमारी सीमाएं सिकुड़ी’

रेजांग ला के बारे में हम विस्तार से जानेंगे, लेकिन उससे पहले आइए जानते हैं कि आखिर कन्नौज सांसद अखिलेश यादव ने लोकसभा में अपने भाषण में क्या कहा है. अखिलेश ने लोकसभा में कहा, ‘कई जगहों पर हमारी सीमाएं सिकुड़ रही हैं. हमारे संसदीय मंत्री राज्य अरुणाचल प्रदेश में चीन के ठीक बिल्कुल बगल में रहते हैं. हमारे पड़ोस में कितने गांव बस गए होंगे. ना जानें वहां कितने गांव की तरह घर बसा दिए गए हैं.’ 

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अखिलेश ने उठाया रेजांग ला मुद्दा

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आगे कहा, ‘लद्दाख की तरफ अभी दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी हैं. हम अपनी सीमा में ही पीछे हटे हैं और चीन (चीनी फौज) जो हमारी सीमा में अंदर आ गई थी, वो हमारी सीमाओं से आंशिक रूप से पीछे हटी है. उस सीमा के पास एक रेजांग ला मेमोरियल बना था. हमारी सरकार के लोग ये बात जानते होंगे कि जिस समय ये बात उठी लद्दाख को लेकर उस रेजांग ला के मेमोरियल को तोड़ दिया गया. आज वो रेजांग ला मेमोरियल वहां नहीं है.’

यहां सुनें- रेजांग ला को लेकर अखिलेश का बयान

क्या और कहां है रेजांग ला? 

  • रेजांग ला भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक पहाड़ी दर्रा है. यह भारत के वर्तमान लद्दाख और चीन के कब्जे वाले लद्दाख के स्पैंगगुर झील बेसिन के बीच में है.

  • चीन ने रेजांग ला का नाम रेजिन ला रखा है. उसका दावा है कि यह दोनों देशों के बीच की सीमा है. वहीं, भारत का दावा है कि सीमा रेखा और अधिक पूर्व की ओर है.  

  • रेजांग ला (दर्रा) चुशूल घाटी के वाटरशेड शीर्ष रेखा पर है. बताया जाता है कि रेजांग ला और उसके आसपास का इलाका पूरी तरह से पहले भारत का था, लेकिन 1962 के बाद वहां बदलाव दिख रहा है. 

रेजांग ला की लड़ाई

1962 में भारत और चीन के बीच रेजांग ला में युद्ध हुआ था. इस लड़ाई के हीरो मेजर शैतान सिंह रहे, जिनके नेतृत्व में भारतीय सेना दुश्मनों के दांत खट्टे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जंग में भारतीय दल की 13वीं कुमाऊं रेजिमेंट की 124 सैनिकों की टुकड़ी ने अभूतपूर्व साहस दिखाया था. बताया जाता है कि इनमें से 122 भारतीय सैनिक मारे गए थे, लेकिन उन्होंने शहीद होने से पहले करीब 1300 चीनी सैनिकों को ढेर कर चीन को तगड़ा झटका दिया था. बाद में, युद्ध में भारतीय सैनिकों को पीछे हटना पड़ा था. मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र दिया गया था.

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रेजांग ला वॉर मेमोरियल

बाद में जहां रेजांग ला युद्ध के हीरो मेजर शैतान सिंह का पार्थिव शव जहां मिला था, वहां भारत ने वॉर मेमोरियल बनाया था. 2020 में गलवान में भारत और चीन सैनिकों की झड़प हुई. इस संघर्ष के बाद भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई. परिणामस्वरूप, कई जगहों से सैनाओं के हटने पर सहमति बनी. इस दौरान, मूल मेमोरियल को हटाना पड़ा क्योंकि वो बफर जोन में था. इसी को लेकर अखिलेश यादव ने लोकसभा में दावा किया कि इसे चीनियों ने तोड़ दिया था.

नया वार मेमोरियल अब कहां?

नया रेजांग ला वार मेमोरियल वास्तविक नियंत्रण रेखा से 40 मिनट की दूरी पर है, जो चुशुल से करीब 12 किलोमीटर दूर चुशुल के मैदानों में 15 हजार फीट की ऊंचाई पर चुशुल-त्सागा ला रोड पर स्थित है. भारत सरकार ने रेजांग ला वार मेमोरियल को कुमाऊं रेजीमेंट के उन बहादुर सैनिकों के सम्मान में बनाया था, जिन्होंने 1962 में मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में लड़ाई लड़ी थी. रेजांग ला की लड़ाई को भारतीय सैन्य इतिहास की सबसे बड़ी लड़ाइयों में से एक माना जाता है, जब एक इलाके की रक्षा करते हुए लगभग सभी जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी.

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