देश – बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने क्यों किया था धर्म परिवर्तन? हिंदू से बन गए थे बौद्ध- #INA
बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर (फाइल फोटो).
लोकसभा और राज्यसभा में संविधान पर चर्चा काफी जोरों-शोरों से चली. बीते मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अपना बात रखी. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर बयान दिया, जिसके बाद राजनीतिक गलियारे में तूफान आ गया. सभी विपक्षी पार्टियों ने अमित शाह और बीजेपी पर हमला बोलना शुरू कर दिया. यही नहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उनसे माफी मांगने के साथ इस्तीफे तक की मांग कर दी.
अब एक बार फिर जब बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय राजनीति में चर्चा का केंद्र बन गए हैं तो आइए आपको बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के बारे में एक ऐसी बात बताते हैं, जिससे अभी भी काफी लोग और आज की युवा पीढ़ी अनभिज्ञ है. बता दें कि आजादी के बाद भारत को लोकतांत्रिक देश बनाने में भीमराव आंबेडकर की अहम भूमिका थी, क्योंकि संविधान निर्माण में उनकी बड़ी रोल था. बहुत कम ही लोग जानते हैं कि बाबा साहब पहले हिंदू हुआ करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया.
हिंदू धर्म को लेकर बाबा साहब ने क्या कहा था?
इस घटना को इतिहास में धर्म परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना माना जाता है. भीमराव आंबेडकर का मानना था कि जाति प्रथा के चलते हिंदू धर्म में करुणा, समानता और आजादी जैसे व्यक्ति के विकास के लिए जरूरी तत्वों का अभाव है. उन्होंने हिंदू धर्म में व्याप्त वर्ण व्यवस्था को खत्म करने के लिए कानून का भी सहारा लिया था, लेकिन उन्हें लगा कि जो बदलाव वे चाहते हैं, वे कभी नहीं हो पाएंगे.
1935 में की थी धर्म परिवर्तन करने की घोषणा
बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर को जब लगा कि बौद्ध धर्म ही वह धर्म है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है. बौद्ध धर्म अपनाने से पहले बाबा साहब ने इस्लाम, ईसाई और सिख धर्म पर विचार किया, लेकिन बाद में बौद्ध धर्म को चुना. 13 अक्टूबर 1935 को को बाबा साहब ने हिंदू धर्म छोड़ने की घोषणा करके सभी को चौंका दिया था. उस समय लगा कि अभी ही बाबा साहब किसी नए धर्म के साथ जुड़ जाएंगे, लेकिन वह 21 साल तक हिंदू धर्म के साथ जुड़े रहे.
धर्म परिवर्तन के समय बाबा साहब ने क्या कहा था?
फिर साल आता है 1956, जब 14 अक्टूबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर ने नागपुर में अपने 3.65 लाख समर्थकों के साथ हिंदू धर्म को छोड़ दिया और बौद्ध धर्म अपना लिया. उनके इस कदम को धर्म परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना के तौर पर जाना जाता है. नागपुर में धर्म परिवर्तन के वक्त बाबा साहब ने कहा था कि, “मैं हिंदू के रूप में पैदा जरूर हुआ हूं, लेकिन हिंदू के रूप में मरूंगा नहीं, यह तो कम से कम मेरे वश में है.”
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