भाकपा(माले) ने जंदाहा में धरना प्रदर्शन किया: गरीबों की आवाज को उठाने का संकल्प

जंदाहा, वैशाली: वैशाली जिले के जंदाहा प्रखंड मुख्यालय के समक्ष भाकपा(माले) के सैकड़ों महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं ने धरना और प्रदर्शन किया। इस धरने का उद्देश्य सरकार से उन वादों को पूरा कराने का था जो गरीबों से किए गए थे। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपनी आवाज उठाते हुए विभिन्न मांगों का ज्ञापन प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी को सौंपा।
धरने का आयोजन प्रखंड संयोजक रामबाबू पासवान के नेतृत्व में और प्रभारी नरेंद्र कुमार सिंह के संचालन में किया गया। पार्टी के जिला सचिव विशेश्वर प्रसाद यादव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार सरकार की ओर से प्रस्तावित योजनाओं का कितना प्रभाव गरीबों पर पड़ा है, इसकी सामूहिक समीक्षा की जानी चाहिए। उनको यह बताने का दावा किया गया था कि उनकी सरकार गरीबों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं की गई।
गरीबों की उम्मीदों का दमघोटू नजारा
प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रगति यात्रा से उन्हें उम्मीद थी कि उनकी सरकार गरीबों के साथ किए गए वादों की गंभीरता से समीक्षा करेगी। लेकिन वहवाही बात है कि इस यात्रा के बाद भी कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। उन्होंने न तो बताया कि कितने गरीबों का आय प्रमाण पत्र बना, न ही कितनों को लघु उद्यमी योजना के तहत 2 लाख की आर्थिक सहायता मिली।
इस कार्यक्रम में उपस्थित भीड़ ने जोरदार आवाज में यह मांग उठाई कि सभी गरीबों को पक्का मकान और 5 डिसमिल आवासीय जमीन जैसे मूलभूत अधिकार मिलने चाहिए। सभी दलितों और महादलितों के टोले को संपर्क पथ से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि वे विकास की मुख्यधारा में आने में सक्षम हो सकें।
बच्चों और महिलाओं की स्थिति पर चिंता
धरने में भाग लेने वाली जीविका समूह की महिलाओं ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि कई महिलाएँ कठिन परिस्थितियों में आत्महत्या कर रही हैं। ऐसी स्थिति में, यह सवाल उठता है कि क्या सरकार ने उनके कर्ज माफ करने की योजना बनाई है। विशेश्वर प्रसाद यादव ने यह भी टिप्पणी की कि सरकार को ₹3000 प्रति महीने महिला सम्मान निधि, वृद्ध, विधवा और विकलांग लोगों के लिए पेंशन योजना की घोषणा कब करेगी, इस पर भी सरकार को स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए।
युवा माले नेताओं ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मोदी सरकार द्वारा किए गए “15-15 लाख” के वादों की तरह यह भी केवल जुमला साबित नहीं होना चाहिए। इस धरने का मुख्य मकसद यह था कि बिहार के गरीब अब और जुमलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
एकता का संकल्प
इस सभा में शामिल हुए नेताओं ने स्पष्ट किया कि वे 9 मार्च 2025 को गांधी मैदान पटना में आयोजित “बदलो बिहार महाजुटान” में शामिल होकर आंदोलन को और तेज करेंगे। यह केवल सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति के एजेंडा को बदलने का संकल्प भी है। उन्होंने सभी संगठनों से एकजुट होकर कार्य करने की अपील की ताकि वे विरोध और मांगों के साथ आगे बढ़ सकें।
भाकपा(माले) का यह धरना प्रदर्शन केवल एक सामूहिक आवाज़ नहीं, बल्कि गरीबों के हक़ की लड़ाई का एक प्रतीक था। जिस तरह से लोगों ने अपनी मांगों को उठाया है, उसे देखकर यह स्पष्ट होता है कि अब गरीब और मेहनती वर्ग अपनी आवाज़ को उठाने से पीछे नहीं हटेगा। यह धरना एक संकेत है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे और भी बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं।
इस प्रकार, जंदाहा का आज का आयोजन सिर्फ एक जिला का मामला नहीं, बल्कि पूरे बिहार के गरीबों की आकांक्षाओं और संघर्षों का प्रतीक बन गया है। भाकपा(माले) ने इसे साबित कर दिया है कि वे धरने और प्रदर्शनों के माध्यम से गरीबों की आवाज को बुलंद करने के लिए अनवरत प्रयासरत रहेंगे।