Crime- ‘मैं किन्नर हूं…’, ढाई साल तक पुलिस को छकाता रहा, लेकिन ‘साइंस’ को नहीं दे पाया गच्चा; कैसे मिली रेपिस्ट को 20 साल की सजा?

‘मैं किन्नर हूं…’, ढाई साल तक पुलिस को छकाता रहा, लेकिन ‘साइंस’ को नहीं दे पाया गच्चा; कैसे मिली रेपिस्ट को 20 साल की सजा?

उत्तर प्रदेश के बरेली में कोर्ट ने 8 साल की बच्ची से रेप करने वाले को 20 साल कैद की सजा सुनाई है. ढाई साल बाद ये फैसला आया है. इससे पहले आरोपी कोर्ट को यह कहकर गुमराह करता रहा कि मैं तो किन्नर हूं. मैं रेप कैसे कर सकता हूं. लेकिन साइंस की मदद से इस बात की पुष्टि हो गई कि आरोपी किन्नर नहीं बल्कि, एक मर्द है. इसके बाद कोर्ट ने उसे यह सजा सुनाई. साथ ही 12 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

पॉक्सो एक्ट न्यायालय संख्या-तीन के स्पेशल जज उमाशंकर कहार ने कहा- आरोपी को 20 साल कैद की सुजा सुनाई जाती है. उसने बेहद घिनौना कृत्य किया है. आरोपी माफी के लायक नहीं है. साथ ही उसने कोर्ट और पुलिस को भी गुमराह किया.

जानकारी के मुताबिक, 9 अप्रैल 2022 को बच्ची की मां ने पड़ोस में रहने वाले फरहीनन किन्नर के खिलाफ रिपोर्ट थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. मां ने आरोप लगाया था कि उनकी आठ साल की बेटी 27 मार्च 2022 को दोपहर दो बजे फरहीन किन्नर की बुआ के घर टीवी देखने गई थी. फरहीन फिर बच्ची को वहां से खीरा खिलाने के बहाने अपने घर ले गया. बेटी जब आई तो उसके प्राइवे
पार्ट से खून बह रहा था. मां बोली- जब मैंने बेटी से पूछा तो उसने पूरी कहानी मुझे सुनाई. उसके बाद मैं बेटी को डॉक्टर के पास ले गई. अस्पताल में 10-12 दिन बच्ची का इलाज चला.

किन्नर बताया खुद को

रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने विवेचना की और 22 जून 2022 को कोर्ट में पूरे मामले की चार्जशीट दाखिल की गई. कोर्ट में आरोपी खुद को किन्नर होने का हवाला देकर कहने लगा कि वह तो दुष्कर्म कर ही नहीं सकता. बोला- मेरे खिलाफ झूठा केस दर्ज किया गया है. मैं निर्दोष हूं. उसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि जेल प्रशासन उसका एसजीपीजीआई में लिंग परीक्षण कराए.

पुरुष निकला फरहीन

जब लिंग परीक्षण हुआ तो फरहीन पुरुष निकला. इसी आधार पर स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट न्यायालय संख्या तीन उमाशंकर कहार ने उसे 20 साल कैद की सुजा सुनाई है. साथ ही 12 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की राशि पीड़िता को बतौर पुनर्वास देने का आदेश दिया है. आरोपी को सजा मिलने के बाद परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. परिजनों का कहना है कि खुशी है कि देर से ही सही लेकिन उन्हें न्याय तो मिला.


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