हैदराबाद यूनिवर्सिटी में पेड़ों की कटाई, सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी:अधिकारियों को कहा-यूनिवर्सिटी के पास दोबारा जंगल उगाएं या जेल जाएं- INA NEWS

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास कान्चा गाचीबोवली जंगल में पेड़ों की अवैध कटाई पर कड़ा रुख अपनाया और कहा कि यह काम पहले से योजनाबद्ध लगता है। कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जंगल दोबारा उगाया नहीं किया गया तो तेलंगाना सरकार के अधिकारी जेल जा सकते हैं। मामले में सुनवाई के दौरान सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि पेड़ों की कटाई ऐसे समय पर की गई जब कोर्ट 3 दिन की छुट्टी पर था, ताकि कोई रोक न लग सके। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को स्वत: संज्ञान लेते हुए आदेश दिया था कि वन क्षेत्र में यथास्थिति बनी रहे और कोई नया काम न हो। इसके बावजूद पेड़ों की कटाई की गई, जो आदेश का उल्लंघन है। तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अब वहां कोई गतिविधि नहीं हो रही है और सरकार कोर्ट के आदेशों का पूरा पालन करेगी। मामले में अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी। 16 अप्रैलः SC ने तेलंगाना सरकार को फटकार लगाई सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को तेलंगाना सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर वह चाहती है कि उसके मुख्य सचिव को किसी भी गंभीर कार्रवाई से बचाया जाए तो वह 100 एकड़ वन भूमि को पहले जैसा करने की योजना लेकर आए। पेड़ों को काटने की कांग्रेस सरकार की जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह भी कहा कि वह पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ‘ऑउट ऑफ दे वे’ जाने से पीछे नहीं हटेगी। बेंच ने यह भी कहा कि कांचा गाचीबोवली फॉरेस्ट एरिया में इस भूमि पर एक भी पेड़ नहीं काटा जाना चाहिए। जस्टिस गवई ने तेलंगाना सरकार के वकील अभिषेक सिंघवी से कहा कि अपनी कार्रवाई को सही ठहराने के बजाय, आपके लिए बेहतर होगा कि इस बारे में कोई योजना बनाकर लाएं कि आप उस 100 एकड़ भूमि को कैसे बहाल करेंगे। वरना हम नहीं जानते कि आपके कितने अधिकारियों को उसी जगह पर बनाई जाने वाली अस्थायी जेल में जाना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- ऐसा करने की क्या जल्दी थी? सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने पूछा, “छुट्टियों के तीन दिनों में ऐसा करने की क्या जल्दी थी? हमें केवल इस बात की चिंता है कि सक्षम प्राधिकारी की परमिशन के बिना बड़ी संख्या में पेड़ों को कैसे गिराया गया। बुलडोजर का इस्तेमाल कैसे किया गया। यदि आप निर्माण करना चाहते थे, तो आपको प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था, परमिशन लेनी चाहिए थी। बेंच ने कहा- हमें केवल पर्यावरण को होने वाले नुकसान की चिंता है। बेंच ने तेलंगाना सरकार को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 15 मई को तय की है। साथ ही कहा कि इस बीच, वहां एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की बड़ी बातें… क्या था हैदराबाद यूनिवर्सिटी से जुड़ा पूरा मामला हैदराबाद विश्वविद्यालय कैंपस में बन रहे आईटी पार्क के लिए 400 एकड़ में फैले पुराने जंगल को नष्ट किया जा रहा था। आईटी पार्क बनाने के का विरोध कर रहे छात्रों और पुलिस के बीच 30 मार्च को खूब हंगामा हुआ। छात्र पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं की वजह से प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे थे। जमीन साफ करने के लिए पुलिस की मौजूदगी में दर्जनों बुलडोजर लाए गए थे। इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच तीखी झड़प हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2 अप्रैल को यूनिवर्सिटी के पास की 400 एकड़ जमीन पर पेड़ों की कटाई का संज्ञान लिया था। कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को साइट का दौरा कर रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया था। पेड़ों की कटाई पर सुनवाई से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट परिसर के 26 पेड़ों को ट्रांसप्लांट की मंजूरी:260 नए पेड़ लगाने के शर्त पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया सुप्रीम कोर्ट भवन के विस्तार के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने परिसर में खड़े 26 पेड़ों के ट्रांसप्लांट की मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट के तहत नए कोर्टरूम, कॉन्स्टीट्यूशनल कोर्ट, जजों के चैबंर और वकीलों के लिए अच्छी सुविधाएं बनाई जाएंगी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट प्रोजेक्ट डिविजन-1 और सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (CPWD) ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 26 पेड़ ट्रांसप्लांट करने की परमिशन मांगी थी। इसको जस्टिस जस्मीत सिंह की बेंच ने मंजूरी दे दी। पढ़ें पूरी खबर…

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यह पोस्ट सबसे पहले भस्कर डॉट कोम पर प्रकाशित हुआ हमने भस्कर डॉट कोम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है |

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