Delhi-Ncr आरोपी को भी मिलना चाहिए उचित मौका… दिल्ली दंगा मामले में HC ने की सख्त टिप्पणी- #INA

दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में कहा है कि तत्काल सुनवाई निष्पक्षता की कीमत पर नहीं की जा सकती, क्योंकि यह न्याय के सभी सिद्धांतों के खिलाफ होगा और आरोपी को उचित अवसर दिया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति अनूप जे भंभानी ने 16 फरवरी को एक आदेश में कहा कि वह मुकदमे को तेजी से आगे बढ़ाने के प्रयास के लिए सुनवाई कोर्ट को कसूरवार नहीं ठहरा रहे हैं, लेकिन जिरह का अधिकार याचिकाकर्ता के बचाव के लिए अहम था और इसमें असंगत तरीके से निपटान की भावना झलकती है.

न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा कि हमें यह मानने की गलती नहीं चाहिए कि किसी आरोपी को किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर अभियोजन पक्ष के गवाह से जिरह करने का निष्पक्ष और उचित अवसर न देने से त्वरित सुनवाई का उद्देश्य पूरा होगा.

मुकदमे में तेजी निष्पक्षता की कीमत पर नहीं

उन्होंने कहा कि इस कोर्ट का मानना है कि मामले की सुनवाई को अगले दिन या उसके बाद के किसी भी दिन के लिए स्थगित करना, संतुलित और उचित तरीका होता. तत्काल सुनवाई वास्तव में उस अभियुक्त के हित में है, जो निर्दोष होने का दावा करता है, लेकिन मुकदमे में तेजी निष्पक्षता की कीमत पर नहीं हो सकती, क्योंकि यह न्याय के सभी सिद्धांतों के खिलाफ होगा.

एक गवाह को फिर से बुलाने की अपील

मामला फरवरी 2020 के दंगों से जुड़े एक आरोपी से संबंधित है, जिसने मुकदमे के दौरान जिरह के लिए एक गवाह को फिर से बुलाने का अनुरोध किया है. आरोपी इस बात को साबित करने के लिए एक पुलिसकर्मी से जिरह करना चाहता है कि जब उसने (पुलिसकर्मी) अपने शुरुआती बयान में उसका (आरोपी) जिक्र नहीं किया था और याचिकाकर्ता की कभी भी पहचान परेड नहीं कराई गई, तो फिर उसने अचानक आरोपी के रूप में उसकी पहचान कैसे कर ली.

याचिकाकर्ता को गवाह से जिरह करने का मौका

आरोपी की शिकायत थी कि सुनवाई अदालत ने कार्यवाही टालने का अनुरोध किए जाने के बावजूद गवाह से जिरह करने के लिए एक दिन का समय भी देने से इनकार कर दिया और उसे उचित अवसर से वंचित किया. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को गवाह से जिरह करने का एक मौका दे दिया. उसने कहा कि बेशक अनावश्यक स्थगन कभी नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि इसका उद्देश्य निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना है, और तेजी से बयान दर्ज किए जाने का मकसद भी इसे उद्देश्य को पूरा करना है.

निचली अदालत के फैसले का बचाव

अभियोजन पक्ष ने निचली अदालत के फैसले का बचाव किया और कहा कि आरोपी व्यक्ति की ओर से वरिष्ठ वकील की अनुपलब्धता स्थगन का अनुरोध करने का कोई उचित आधार नहीं है. हाईकोर्ट ने अभियोजन की दलील पर गौर किया, लेकिन कहा कि जब कोई अच्छा कारण हो तो किसी मामले को जिरह के लिए एक या दो दिन के लिए टालना संभवतः गलत नहीं हो सकता.

आरोपी को भी मिलना चाहिए उचित मौका… दिल्ली दंगा मामले में HC ने की सख्त टिप्पणी


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