Delhi-Ncr आतिशी-अलका, अनिता, शिखा-रागिनी… दिल्ली चुनाव में महिला उम्मीदवारों का कैसा रहा प्रदर्शन- #INA

अलका लांबा और सीएम आतिशी. (फाइल फोटो)

दिल्ली चुनाव उलटफेर भरे परिणाम के साथ खत्म हो गया. भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल के सूखे को खत्म करते हुए सत्ता पर कब्जा जमा लिया है. चुनाव में कई अप्रत्याशित परिणाम भी आए जिनका असर लंबे समय तक दिल्ली की राजनीति में दिख सकता है. 2025 के चुनाव में दिल्ली में रिकॉर्ड संख्या में महिला प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन जीत के मामले में उसकी किस्मत बहुत खास रही. चुनाव में खुद मुख्यमंत्री आतिशी को कालकाजी सीट से लगातार उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन अंत में उन्हें जीत मिली.

केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में अब तक 3 महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, लेकिन जहां तक महिलाओं के प्रतिनिधित्व की बात है तो जमीनी हकीकत इसके उलट है. दिल्ली चुनाव में 70 विधानसभा सीटों पर 699 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, जिसमें महज 14 फीसदी उम्मीदवार महिलाएं थीं. दिल्ली में 96 महिलाओं ने अपनी दावेदारी पेश की थी. लेकिन सीएम आतिशी समेत महज 5 महिलाओं को ही जीत नसीब हो सकी.

AAP-कांग्रेस की सबसे अधिक महिला प्रत्याशी

दिल्ली के पूर्ण विधानसभा बनने के बाद इस चुनाव में सबसे अधिक महिला प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 8 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, तो आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस दोनों ने 9-9 महिलाओं को मौका दिया था.

AAP और कांग्रेस की तुलना में बीजेपी ने कम महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था. लेकिन सबसे अधिक जीत (4 सीट) उसी के खाते में आई. बीजेपी की ओर से 4 महिला तो AAP की ओर से एक महिला प्रत्याशी को जीत मिली है.

आतिशी-अरविंद के खिलाफ कई महिला प्रत्याशी

मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी ने कालकाजी सीट से कड़े मुकाबले में 3,521 मतों के अंतर से जीत हासिल की. यहां से 4 महिला प्रत्याशी मैदान में थीं. कांग्रेस की अलका लांबा, भारतीय राष्ट्रवादी पार्टी की तान्या सिंह और भीम सेना की संघमित्रा ने भी अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. इसके अलावा चुनाव जीतने वाली अन्य 4 महिला प्रत्याशी बीजेपी की प्रत्याशी थीं. कांग्रेस का तो चुनाव में खाता तक नहीं खुला.

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं. वह इस बार भी इस सीट पर मैदान में उतरे थे, उनके खिलाफ सबसे अधिक 23 प्रत्याशी मैदान में थे जिसमें 4 महिला प्रत्याशी भी शामिल थीं. अनुराधा राणा, अनिता, डॉक्टर अभिलाषा और भावना निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरीं लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इन 4 महिलाओं को कुल मिले वोटों को जोड़ दिया जाए तो इन्हें महज 169 वोट ही मिल सके थे. इन दोनों ही हाई प्रोफाइल सीटों पर 8 महिलाएं मैदान में उतरी थीं.

वजीरपुर सीट पर शीला को मिले महज 63 वोट

वजीरपुर सीट पर भी 3 महिला प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, जिसमें महिला को ही जीत मिली. बीजेपी की पूनम शर्मा ने AAP के राजेश गुप्ता को 11 हजार से अधिक वोटों से हराया. कांग्रेस की रागिनी नायक तीसरे नंबर पर रहीं. गरीब एकता पार्टी की शीला देवी को महज 63 वोट मिले और सबसे नीचे रहीं.

दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा में इस बार महज 5 महिलाएं ही पहुंच सकी हैं. यहां के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो पिछले 3 दशकों में दिल्ली विधानसभा में थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव आया जरूर लेकिन महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगातार कम ही रहा है. 1993 से लेकर अब तक हुए 8 चुनावों में महज 2 बार (1998 और 2020) ही विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व दहाई के आंकड़े को पार कर सका है.

1998 में मिली थी सबसे अधिक जीत

साल 1993 में, सिर्फ 3 महिलाएं विधानसभा के लिए चुनी गई थीं, जो विधानसभा का महज 4.3 फीसदी हिस्सा थीं. जबकि दिल्ली के इतिहास में साल 1998 सबसे अच्छा रहा क्योंकि इस चुनाव में सबसे अधिक 9 महिला प्रत्याशियों को जीत नसीब हुई थी. जो कुल सीटों का 12.9 फीसदी हिस्सा थीं. फिर दिल्ली की महिलाएं इस नंबर के करीब कभी नहीं आ सकीं.

आगे के चुनावों में महिलाएं इस संख्या को कभी छू भी नहीं सकीं. 2003 के चुनाव में 7 महिलाएं चुनी गईं, जबकि 2008 और 2013 में इस संख्या में तेजी से कमी आई और महज 3 ही रह गई. हालांकि 2015 के चुनाव में इस मामले में मामूली सुधार हुआ, और छह महिलाएं जीत हासिल करने में कामयाब रहीं.

1998 के बाद 2020 में बेस्ट प्रदर्शन

दिल्ली में हुए 2020 के चुनाव में इस संख्या में थोड़ा सा बदलाव हुआ और 8 महिला प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब रहीं, और यह कुल प्रतिनिधित्व का 11.4 फीसदी हिस्सा था. अब 2025 के चुनाव में यह आंकड़ा फिर सिमट गया. महज 5 महिला प्रत्याशी ही चुनाव जीत सकीं. विधानसभा में यह संख्या महज 7.1 फीसदी ही रहा. यह हाल तब है जब दिल्ली की कमान एक महिला के हाथों में थीं.

दिल्ली देश का अकेला ऐसा राज्य या केंद्र शासित प्रदेश है जिसने रिकॉर्ड 3 महिला मुख्यमंत्री दिए. 1998 में बीजेपी की सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. फिर कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद शीला दीक्षित 1998 में मुख्यमंत्री बनीं. वह लगातार 3 कार्यकाल यानी 15 साल तक मुख्यमंत्री बनीं रहीं.

आतिशी-अलका, अनिता, शिखा-रागिनी… दिल्ली चुनाव में महिला उम्मीदवारों का कैसा रहा प्रदर्शन


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