Delhi-Ncr सेलेबी को मिलेगी राहत? तुर्किए की एविएशन कंपनी की सुरक्षा मामले में कल हाई कोर्ट में होगी सुनवाई- #INA

दिल्ली हाईकोर्ट में कल केंद्र सरकार द्वारा तुर्किए की एविएशन कंपनी सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी. कल केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में दलीलें पेश की जाएंगी. इस मामले पर आज (बुधवार 21 मई) को जस्टिस सचिन दत्ता की कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका में कंपनी ने सरकार द्वारा उसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले को चुनौती दी है.
दरअसल तुर्किए की एविएशन कंपनी सेलेबी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि केंद्र सरकार ने बिना नोटिस दिए 15 मई को एयरपोर्ट पर काम करने के लिए जरूरी उनकी सुरक्षा मंजूरी को रद्द कर दिया है. इससे हजारों कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं. पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि याचिकाकर्ता एयर कार्गो हैंडलिंग से जुड़े हैं और एयरपोर्ट की संवेदनशील जानकारी रखते हैं.
सेलेबी की तरफ से मुकुल रोहतगी ने दलीलें पेश कीं
वहीं आज हुई सुनवाई के दौरान सेलेबी की ओर से मुकुल रोहतगी कोर्ट पेश हुए. उन्होंने दलील दी कि कंपनी के पास कई एयरपोर्ट पर काम करने वाले 10,000 से ज़्यादा कर्मचारी हैं. पिछले 17 सालों से कंपनी इस व्यवसाय में है. इसलिए सुरक्षा मंजूरी की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह संबंधित नियमों का नियम 15 था. 2022-23 से, वह नियम अब नियम 12 है. वहीं कोर्ट ने पूछा कि क्या यह एक जैसा है?.
इस पर सेलेबी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि नहीं, ऐसा नहीं है. इसमें विकास हुआ है. यह कंपनी सिक्योरिटी क्लीयरेंस है, दिनांक 21-11-22 का. यह क्लीयरेंस नियम 15 के अनुसार था. सिक्योरिटी क्लीयरेंस 5 साल के लिए वैध है. इसे स्थगित रखा गया है और 15 मई को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है. रोहतगी ने कहा कि बिना सुनवाई, बिना नोटिस, बिना कारण बताए पूरी तरह से निरस्त कर दिया गया.
‘प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए’
उन्होंने कोर्ट से कहा कि नियम 15 और नया नियम 12 देखें. 2011 के नियम 15 में इसे अब की तुलना में बहुत अलग तरीके से लिखा गया था. एक बार नियम 9 देखें. यह संचालन के लिए सुरक्षा मंजूरी से संबंधित है और यह एयरपोर्ट ऑपरेटर पर लागू होता है. रोहतगी ने कहा कि नियम 15 प्रक्रिया के बारे में चुप है, लेकिन यह अच्छी तरह से स्थापित है कि जहां कठोर निर्णय लिए जाते हैं, वहां प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि क्या यहां ग्राउंड हैंडलिंग सेवा को परिभाषित किया गया है? क्योंकि नियम 15 में उस अभिव्यक्ति का उपयोग किया गया है. रोहतगी ने कहा कि अब 2023 के नए नियमों को देंखें. अब ग्राउंड हैंडलिंग को परिभाषित किया गया है. कृपया 2(e) और 2(w)- ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी देखें. इस मामले में नियम 12 पर आइए जो अध्याय 3 का हिस्सा है.
‘नियम बनाने वाले को नियम में अपवाद बनाने का अधिकार नहीं’
कोर्ट ने पूछा कि ग्राउंड हैंडलिंग क्या है, इसकी परिभाषा नहीं दी गई है ?. रोहतगी ने कहा कि नहीं. सुनवाई का मौका देना एक वैधानिक आवश्यकता है. नियम बनाने वाले को नियम में अपवाद बनाने का अधिकार नहीं है. ऐसा नहीं है कि मेरी कोई धारणा है. आपके पास कारण होने चाहिए. लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारण व्यक्तिपरकता को खारिज करते हैं.
रोहतगी ने कहा कि इसमें लचीलापन उपलब्ध है.आपको कारण दर्ज करने होंगे. यह एक और आवश्यकता है, कि उसके पास विश्वास करने के लिए उचित आधार हों और वह कार्रवाई को आवश्यक समझता हो. प्रत्येक आवश्यकता को पूरा किया जाना चाहिए. उन्हें ऐसा करने का अधिकार है, बशर्ते कि वे मुझे सुनवाई का अवसर दें. वे मुझे कारण बताओ नोटिस दे सकते हैं. उन्हें कारण दर्ज करने होंगे, उन्हें आशंका होनी चाहिए. कम से कम आदेश में तो ऐसा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि नियम 12 के कोई भी हिस्से का पालन नहीं किया गया है. सुनवाई देना अनिवार्य है, इसमें कोई बहिष्कार नहीं है, बहिष्कार के संबंध में उन्होंने कानून बनाया है.
रोहतगी ने कहा कि मैं सिर्फ अटकलें लगा सकता हूं कि इसके क्या कारण हैं. अटकलें सिर्फ एक ही हो सकती हैं, कि शेयरहोल्डिंग तुर्की नागरिक की है और मैं इसे सीलबंद लिफ़ाफ़े में रखने की प्रक्रिया का विरोध करता हूं. दूसरे पक्ष को अंधेरे में रखना गलत है.
‘कोई भी कार्रवाई नियमों के विरुद्ध नहीं हो सकती’
कोर्ट ने कहा कि अगर आप धारा 5 को देखें, तो केंद्र को नियम बनाने का अधिकार है, इसका कौन सा हिस्सा सुरक्षा मुद्दों से संबंधित है? रोहतगी ने कहा कि ऐसे नियमों के हमेशा दो भाग होते हैं. कोई भी निर्देश नियमों के साथ असंगत नहीं हो सकता. अगर नियम कहते हैं कि सुनवाई करें, तो क्या निर्देश यह कह सकते हैं कि सुनवाई न करें?. उन्होंने कहा कि हमें इस मुद्दे पर संघर्ष करने की ज़रूरत नहीं है. कोई भी कार्रवाई नियमों के विरुद्ध नहीं हो सकती और नियमों के अनुसार सुनवाई की आवश्यकता होती है.
‘निर्देश किसी पार्टी विशेष के लिए नहीं होते’
रोहतगी ने भी कहा कि निर्देश किसी पार्टी विशेष के लिए नहीं होते. वे समय-समय पर दिए जाते हैं, जैसे कि हाईकोर्ट के व्यवहारिक निर्देश. कोर्ट ने कहा कि हम देखेंगे क्योंकि आदेश में यह उल्लेख नहीं है कि किस धारा के तहत है. हमें इसमें शामिल होने की आवश्यकता है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि प्रतिवादी का रुख क्या है.
रोहतगी ने कहा कि कोई कारण नहीं, कोई अवसर नहीं. इसलिए हम संघर्ष कर रहे हैं. मेरे मामले में नियम 12 है. नियम 12 से बचने का कोई रास्ता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि फैसले में कहां लिखा है कि आपको सामग्री उपलब्ध करानी होगी?. रोहतगी ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मैं दिखाता हूं. कोर्ट ने कहा कि लेकिन आपकी दलीलों में से एक यह है कि आपको कारण नहीं बताए गए हैं. किस कानून के तहत?. कोर्ट ने कहा कि आप कारणों की कॉपी पर जोर नहीं दे रहे हैं?.
‘कोई नोटिस नहीं, कोई अवसर नहीं दिया गया’
रोहतगी ने कहा कि नहीं मैं कह रहा हूं कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है. कोई नोटिस नहीं, कोई अवसर नहीं. कोर्ट ने कहा कि दो तरह की परिस्थितियां हैं. एक, आप कहते हैं कि मेरे पास सामग्री के लिए एक अविभाज्य अधिकार है. दूसरा, मैं सामग्री पर जोर नहीं दे रहा हूं, लेकिन मुझे व्यापक रूप से सूचित करें.
रोहतगी ने कहा कि मुझे आरोपों के बारे में पता होना चाहिए. अगर मैं उन्हें जानता हूं और नियम के अनुसार लचीलापन है, तो मैं एक समाधान प्रदान कर सकता हूं जो देने वाले को शांत करेगा. अगर समस्या यह है कि ये लोग तुर्की के हैं, तो हम प्रतिस्थापित करेंगे, मैं और क्या कह सकता हूं?. कोर्ट ने कहा कि यह हमें बहुत दूर नहीं ले जाता है. आप X व्यक्तियों को प्रतिस्थापित करेंगे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
कल फिर होगी सुनवाई
रोहतगी ने कहा कि मैं एक और फैसले का हवाला दूंगा उन्होंने कहा ‘ मैं कह रहा हूं कि आप नियम 12 का उल्लंघन कर रहे हैं. मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है, कोई आरोप नहीं. इसे रद्द किया जाना चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुरुवार दोपहर 3:30 बजे करने का फैसला किया.
सेलेबी को मिलेगी राहत? तुर्किए की एविएशन कंपनी की सुरक्षा मामले में कल हाई कोर्ट में होगी सुनवाई
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,