Delhi-Ncr दिल्ली में 1-2 नहीं 5-6 हैं दावेदार, बीजेपी की बनी सरकार तो कौन हो सकता है मुख्यमंत्री का हकदार?- #INA
सीएम की रेस में बीजेपी के नेता
दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग हो चुकी है और सभी उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम मशीन में कैद हो चुकी है. दिल्ली चुनाव को लेकर ज्यादातर एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी बहुमत के साथ दिल्ली में सरकार बनाती दिख रही है. आम आदमी पार्टी को इस बार सियासी झटका लगता दिख रहा है. एग्जिट पोल में जिस तरह से अनुमान लगाए गए हैं अगर 8 फरवरी को चुनाव नतीजों में तब्दील होते हैं तो फिर 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार होगी. ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी दिल्ली में किसे मुख्यमंत्री बनाएगी?
बीजेपी ने अपने किसी भी नेता को दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा था. पीएम मोदी के नाम और काम को लेकर बीजेपी दिल्ली चुनाव में उतरी थी. आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पूरे चुनाव के दौरान बीजेपी से यही सवाल करते रहे कि बीजेपी बताए दिल्ली में कौन उसका चेहरा होगा. इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी कभी रमेश बिधूड़ी के नाम को तो कभी प्रवेश वर्मा के नाम को बीजेपी का दिल्ली में चेहरा बताती रही है.
दिल्ली के सियासी इतिहास में बीजेपी ने 1993 में सरकार बनाई थी और पांच साल के कार्यकाल के दौरान तीन सीएम बनाए थे. 1993 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद ही मदनलाल खुराना को सीएम बनाया था और उसके बाद साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी. 1998 चुनाव से पहले साहिब वर्मा की जगह सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बना दिया था. साल 1998के चुनाव हारने के बाद बीजेपी कभी भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी. अब 2025 में एग्जिट पोल के लिहाज से बीजेपी सरकार बनाती नजर आ रही है. यही आंकड़े अगर नतीजों तब्दील होते हैं तो सीएम की रेस में बीजेपी के एक-दो नहीं बल्कि पांच से छह नेता है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी किसे मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपती है?
दुष्यंत कुमार गौतम
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम दिल्ली के करोल बाग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. बीजेपी के दलित चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के तमाम अहम पदों पर रह चुके हैं. अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनती है तो सीएम के प्रबल दावेदारों में से एक माने जा रहे हैं. अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं.
दुष्यंत कुमार गौतम ने अपना सियासी सफर एबीवीपी से शुरू किया था. दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं. राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं. दुष्यंत कुमार गौतम ने संगठनात्मक राजनीति में अपनी पहचान बनाई है. दिल्ली में दलित वोटों को जोड़े रखने के लिए बीजेपी उनके चेहरे को प्रोजेक्ट कर सकती है, लेकिन उनके विवादित बयान राह में रोड़ा भी बन सकते हैं. 2022 में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ‘निकम्मा’ कहा तो विपक्षी इंडिया गठबंधन की तुलना ‘स्ट्रीट डॉग’ से की थी. इसके अलावा उन्होंने कहा था कि कांग्रेसी मंदिरों में लड़कियां छेड़ने जाते हैं.
प्रवेश वर्मा
बीजेपी ने दिल्ली चुनाव में प्रवेश वर्मा को नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था. प्रवेश वर्मा अगर चुनाव में केजरीवाल को मात देने में सफल रहते हैं और बीजेपी की सत्ता में वापसी होती है तो सीएम की रेस में उनका नाम भी होगा. नई दिल्ली विधानसभा सीट को दिल्ली की सत्ता का धुरी कहा जाता है, यहां से जीतकर शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
प्रवेश वर्मा जाट समाज से आते हैं और बाहरी दिल्ली में जाट वोट बड़ी संख्या में है. जाट समीकरण के चलते ही उनके पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. जाट समीकरण के लिहाज से प्रवेश वर्मा फिट बैठते हैं, लेकिन परिवारवाद उनकी राह में रोड़ा बन सकता है. बीजेपी ने किसी भी मुख्यमंत्री के बेटे को अभी तक सीएम नहीं बनाया है. इसके अलावा प्रवेश वर्मा की राह में उनके विवादित बयान भी बाधा बन सकते हैं.
विजेंद्रर गुप्ता
दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी और विधायक विजेंदर गुप्ता एक बार फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के सुमेश गुप्ता और आम आदमी पार्टी के प्रदीप मित्तल से है. विजेंदर गुप्ता ने अपनी सियासी पहचान एक मजबूत नेता और केजरीवाल की लहर में भी जीतने में सफल रहने वाले एकलौते नेता के रूप में बनाई हैं. केजरीवाल के 10 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले बीजेपी नेता हैं.
दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी अदा कर चुके हैं. ऐसे में बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो विजेंद्रर गुप्ता सीएम पद के प्रबल दावेदार होंगे. इसकी वजह यह है कि दिल्ली के सियासी समीकरण में फिट बैठते हैं, केजरीवाल की तरह वैश्य समाज से आते हैं. दिल्ली में वैश्य वोटर बड़ी संख्या में है, लेकिन उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा यह है कि उनका पूरे दिल्ली में जनाधार नहीं है.
कौन बिधूड़ी बनेंगे दिल्ली का सीएम
दिल्ली में बीजेपी सत्ता में आती है तो गुर्जर समाज से आने वाले रामवीर सिंह बिधूड़ी और रमेश बिधूड़ी भी प्रबल दावेदारों में से एक होंगे. रामवीर बिधूड़ी दिल्ली में लंबे समय तक विधायक रहे हैं और अब दक्षिणी दिल्ली से सांसद हैं. सांसद होने के नाते विधानसभा चुनाव नहीं लड़े हैं. सीएम की रेस में उनके नाम के कयास लगाए जा रहे हैं, क्योंकि दिल्ली चुनाव में काफी एक्टिव नजर आए हैं. इसके अलावा दूसरा नाम रमेश बिधूड़ी का है, जो कालकाजी सीट पर सीएम आतिशी के खिलाफ चुनाव लड़े हैं.
रमेश बिधूड़ी दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं और उससे पहले दिल्ली में विधायक रह चुके हैं. सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ने की वजह से ही मुख्यमंत्री पद के लिए कयास लगाया जा रहा है, लेकिन उसके लिए उन्हें जीत दर्ज करनी होगी. इसके अलावा उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा विवादित बयान है. लोकसभा में कुंवर दानिश अली पर सांप्रदायिक टिप्पणी कर दी थी. इसके अलावा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी और आतिशी को लेकर भी विवादित टिप्पणी की थी.
मनोज तिवारी
दिल्ली में अगर बीजेपी इस बार चुनाव जीत जाती है तो सांसद मनोज तिवारी भी सीएम के प्रबल दावेदार हो सकते हैं. मनोज तिवारी लगातार तीन बार से नॉर्थ दिल्ली सीट से सांसद हैं और बीजेपी के पूर्वांचल चेहरा माने जाते हैं. मनोज तिवारी तीन बार से लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं. 2024 में बीजेपी ने दिल्ली के 7 में से 6 सांसदों का टिकट काट दिया था, लेकिन मनोज तिवारी एकलौते चेहरा थे, जिनको टिकट दिया था.
मनोज तिवारी दिल्ली प्रदेश की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. उनके अध्यक्ष रहते हुए 2020 में चुनाव हुए थे, लेकिन बीजेपी सत्ता में नहीं आ सकी. हालांकि, दिल्ली में पूर्वांचल वोटों की सियासी ताकत को देखते हुए उनकी किस्मत का सितारा बुलंद हो सकता है, लेकिन उनकी राजनीतिक पारी का आगाज बीजेपी से नहीं हुआ. वो सपा से बीजेपी में आए हैं. इसके अलावा दिल्ली में विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़े हैं. ऐसे में बीजेपी उन्हें सीएम बनाने का दांव चलेगी, यह देखना होगा.
दिल्ली में 1-2 नहीं 5-6 हैं दावेदार, बीजेपी की बनी सरकार तो कौन हो सकता है मुख्यमंत्री का हकदार?
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