Delhi-Ncr दिल्ली दंगों से प्रभावित 6 सीटों पर कैसी हो रही फाइट, जानें किसके लिए चुनाव बना टाइट- #INA

कपिल मिश्रा-ताहिर हुसैन. अरविंद केजरीवाल

साल 2020 के फरवरी महीने में हुए दंगों के बाद दिल्ली में पहला विधानसभा चुनाव हो रहा है. पांच साल पहले अरविंद केजरीवाल को तीसरी बार सत्ता में लौटे हुए चंद दिन ही गुजरे थे, कि दिल्ली का नार्थ ईस्ट इलाका दंगे की चपेट में आ गया था. दिल्ली दंगों ने कई विधानसभा क्षेत्र के लोगों को गहरे जख्म दिए हैं. जिसे पांच साल के बाद भी लोग नहीं भुला सके. दिल्ली विधानसभा चुनाव में दंगे के जख्मों को कुरेदकर फिर से हरा किया जा रहा है, जिसके चलते चुनावी फाइट काफी टाइट नजर आ रही है.

दिल्ली दंगे का पहला प्वाइंट सीलमपुर का इलाका था. सीलमपुर क्षेत्र के तहत आने वाले जफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे सीएए-एनआरसी के विरोध में आंदोलन चल रहा था. मेट्रो स्टेशन के नीचे लोगों ने सड़क जाम कर रखा था. जिसके जवाब में मौजपुर में धरना प्रदर्शन शुरू हो गया. इसके बाद स्थिति इतनी बिगड़ गई कि बात पथराव से आगजनी और गोलीबारी तक पहुंच गई. जिसने अपनी चपेट में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के आधा दर्जन विधानसभा क्षेत्र के इलाके को ले लिया. इन विधानसभा के इलाकों में लोगों को जान-माल का काफी नुकसान उठाना पड़ा था.

दिल्ली दंगे के चपेट में आईं थीं छह सीटें

दिल्ली के सीलमपुर क्षेत्र से शुरू हुए दंगे से आधा दर्जन विधानसभा सीट प्रभावित हुईं थी. सीलमपुर, मुस्तफाबाद, गोकलपुरी, घोंडा, बाबरपुर और करावल नगर सीट सीधे तौर पर दंगे के चपेट में आईं थी. 2020 में इन छह में से चार विधानसभा सीटें आम आदमी पार्टी जीतने में सफल रही थी, जबकि दो सीटों पर बीजेपी के विधायक चुने गए थे. इस बार बदले हुए सियासी माहौल में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और सियासी दल दंगे के जख्मों को हराकर सियासी रोटियां सेकते हुए नजर आ रहे हैं.

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दिल्ली दंगे के दो साल बाद एमसीडी चुनाव हुए थे. नार्थ ईस्ट दिल्ली के मुस्लिम इलाके में आम आदमी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था तो कांग्रेस को जीत मिली थी. बीजेपी ने हिंदू बहुल इलाके में ठीक-ठाक प्रदर्शन किया था. इसके बाद 2024 में लोकसभा चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ी थी. नॉर्थ ईस्ट दिल्ली सीट पर कांग्रेस के कन्हैया कुमार और बीजेपी के मनोज तिवारी के बीच मुकाबला हुआ था. मनोज तिवारी जरूर जीतने में कामयाब रहे थे, लेकिन दंगे वाले मुस्लिम बहुल क्षेत्र में कांग्रेस को बढ़त मिली थी.

दिल्ली दंगे के जख्मों को किया जा रहा हरा

विधानसभा चुनाव में बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग किस्मत आजमा रही हैं. इसके अलावा AIMIM ने भी दिल्ली दंगे प्रभावित वाली मुस्तफाबाद सीट पर दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को उतार रखा है तो दूसरी तरफ ओखला सीट पर सीएए-एनआरसी आंदोलन के मामले में जेल में बंद सफाउर रहमान को उतार है. ऐसे में बीजेपी ने भी दिल्ली दंगे मामले से सियासी सुर्खियों में आए कपिल मिश्रा को करावल नगर सीट से प्रत्याशी बना रखा है.

कपिल मिश्रा पर ही आरोप लगाया जाता है कि उनकी रैली के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण देने के चलते दंगा भड़का था. दंगे प्रभाव वाले इलाके की करावल नगर सीट से बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर कपिल मिश्रा पर दांव लगाया है.इस तरह से दिल्ली दंगे हुए भले ही पांच साल हो गए हों, लेकिन सियासी दल उसकी याद को ताजा किए हुए हैं. कांग्रेस और AIMIM ने दंगे का मुद्दा उठाकर मुस्लिम इलाकों में आम आदमी पार्टी को घेरने में जुटी है तो बीजेपी भी ध्रुवीकरण के सहारे जीत का ताना बाना बुना है. ऐसे में दंगे प्रभावित क्षेत्रों में चुनावी मुकाबला काफी टाइट माना जा रहा है.

दंगे प्रभाव वाली मुस्लिम बहुल तीन सीटों का हाल

दिल्ली दंगों की शुरुआत का पहला प्वाइंट सीलमपुर का इलाका था, जो मुस्लिम बहुल माना जाता है. इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक अब्दुल रहमान का टिकट काटकर पूर्व विधायक चौधरी मतीन के बेटे जुबैर अहमद को प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में कांग्रेस ने अब्दुल रहमान को प्रत्याशी बना दिया है. बीजेपी ने मौजपुर से पार्षद अनिल गौड़ को प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. सीलमपुर के मुस्लिम इलाके ही नहीं बल्कि मौजपुर का क्षेत्र भी दंगा की आंच ने कई लोगों को झुलसा दिया था. बीजेपी यह सीट कभी नहीं जीत सकी, लेकिन धार्मिक ध्रुवीकरण के सहारे कमल खिलाने की फिराक में है.

सीलमपुर की तरह मुस्तफाबाद का इलाका भी मुस्लिम बहुल माना जाता है और आम आदमी पार्टी दो बार से लगातार जीत रही है. दंगे की चपेट में मुस्तफाबाद का अच्छा खासा इलाका आया था. मौके की नजाकत को समझते हुए आम आदमी पार्टी ने मुस्तफाबाद सीट से अपने मौजूदा विधायक यूनुस खान का टिकट काटकर आदिल खान को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने पूर्व विधायक अहमद हसन के बेटे अली मेंहदी को टिकट दे रखा है तो AIMIM ने दंगे के आरोपी ताहिर हसन को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने इस सीट पर करावल नगर से विधायक मोहन सिंह बिष्ट को उतारा है.

मुस्तफाबाद विधानसभा वही सीट, जिसके इलाके के कुछ वीडियोज और फोटोज ने दंगों के दौरान मचे कोहराम की तस्वीर सबके सामने रख दी थी. नेहरू विहार सीट से पार्षद रहे ताहिर हुसैन के घर की छत की यह तस्वीर थी. फिलहाल दंगे भड़काने के आरोप में जेल में बंद हैं और AIMIM के टिकट पर चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं. इसके चलते मुस्तफाबाद का चुनाव पूरी तरह से दिल्ली दंगे के साये में हो रहा है, जो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों के सियासी बेचैन कर रहा है.

बाबरपुर विधानसभा सीट भी दंगे के प्रभाव वाली रही है, जहां पर करीब 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. आम आदमी पार्टी से दिग्गज नेता गोपाल राय चुनाव लड़ रहे हैं, जो दिल्ली सरकार में मंत्री भी हैं. कांग्रेस ने सीलमपुर से विधायक रहे हाजी इशराक खान को बाबरपुर से उतार रखा है तो बीजेपी ने ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले अनिल वशिष्ठ को उतारा है. हाजी इशराक के उतरने से मुस्लिम वोट में बिखराव होता दिख रहा है, जो आम आदमी पार्टी के लिए सियासी टेंशन का सबब बना हुआ है तो बीजेपी के लिए कमल खिलने की उम्मीद जगा रहा.

दंगे प्रभावित हिंदू बहुल वाली 3 सीटों का हाल

दिल्ली में दंगा प्रभावित हिंदू बहुल की तीन सीटें हैं, जिसमें करावल नगर, घोंडा और गोकलपुरी (सुरक्षित) है. बीजेपी ने करावल नगर से मौजूदा विधायक मोहन सिंह बिष्ट का टिकट काटकर कपिल मिश्रा को उतारा है. कपिल मिश्रा ने आम आदमी पार्टी में रहते हुए 2015 में करावल नगर से विधायक रहे हैं.

कपिल मिश्रा ने 23 फरवरी 2020 को दिल्ली दंगों के कुछ घंटे पहले ही भाषण दिया था और सड़कों को खाली करने का ‘अल्टीमेटम’ दिया था. कपिल मिश्रा को कई लोग दिल्ली दंगों के लिए जिम्मेदार मानते हैं और बीजेपी ने उन्हें करावल नगर सीट से प्रत्याशी बनाकर धार्मिक ध्रुवीकरण का दांव चला है. वहीं, करावल नगर से आम आदमी पार्टी ने मनोज त्यागी और कांग्रेस ने पीके मिश्रा पर अपना दांव लगाया है.

घोंडा सीट विधानसभा सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक अजय महावर पर फिर से दांव लगा रखा है तो आम आदमी पार्टी ने इस बार अपना कैंडिडेट बदल दिया है. गौरव शर्मा को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने महेक डोगरा को उम्मीदवार बना रखा है. इसी तरह से
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गोकलपुरी विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक सुरेंद्र कुमार को उतारा है तो बीजेपी ने प्रवीण निमेष और कांग्रेस ने ईश्वर बागरी को प्रत्याशी बनाया रखा है.

दंगे प्रभावित वाली इलाके में कौन जीतेगा

दंगे प्रभावित वाले इलाके की छह विधानसभा सीटों पर बीजेपी से लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस तक ने पूरी ताकत लगा है. कांग्रेस का पूरा फोकस दंगे प्रभावित वाली मुस्लिम सीटों को जीतने की है, जिसके लिए राहुल गांधी ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत दंगे के प्वाइंट वाली सीलमपुर सीट से शुरू किया था. इसके बाद गुरुवार को दोबारा से दंगा प्रभावित वाले मुस्तफाबाद क्षेत्र में रैली को संबोधित करेंगे.

पीएम मोदी की जनसभा एक नए जनसभा नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के इलाके में रखी गई है तो सीएम योगी की भी जनसभाएं कराने की रणनीति बनाई गई है. आम आदमी पार्टी की तरफ से दंगे प्रभावित वाले इलाके में अरविंद केजरीवाल की जगह संजय सिंह ने चुनावी जनसभाएं कर रहे हैं.

सीलमपुर से लेकर मुस्तफाबाद तक के इलाके में रैलियां कर चुके हैं, क्योंकि संजय सिंह को पार्टी का सेकुलर चेहरा माना जाता है और मुस्लिमों के बीच उनकी पैठ है. ऐसे में देखना है कि दिल्ली दंगे वाले इलाके में किसका पलड़ा भारी रहता है?

दिल्ली दंगों से प्रभावित 6 सीटों पर कैसी हो रही फाइट, जानें किसके लिए चुनाव बना टाइट


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