Delhi-Ncr रेखा सरकार के जरिए बीजेपी ने कैसे साधा दिल्ली का समीकरण, जातीय के साथ चला क्षेत्रीय बैलेंस का मास्टरस्ट्रोक- #INA
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रेखा गुप्ता
दिल्ली की सत्ता में 27 साल बाद वापसी करने वाली बीजेपी ने अबकी बार लंबी सियासी पारी खेलने का मन बनाया है. यही वजह है कि सरकार गठन के लिए बीजेपी ने किसी तरह की कोई जल्दबाजी नहीं की. चुनावी नतीजे के बाद 11 दिन तक मंथन चला. उसके बाद मुख्यमंत्री के लिए रेखा गुप्ता के नाम पर मंजूरी के साथ ही मंत्रिमंडल के लिए आधा दर्जन विधायकों के नाम पर फाइनल मुहर लगाई. इस तरह बीजेपी ने रेखा सरकार की कैबिनेट के जरिए अपने कोर वोटबैंक का ख्याल रखा तो जातीय और क्षेत्रीय बैलेंस भी बनाए रखने का मास्टर स्ट्रोक चला है, जिसमें पश्चिमी और बाहरी दिल्ली का दबदबा देखने को मिला है.
दिल्ली के रामलीला मैदान में गुरुवार को दोपहर 12 बजे रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी. इसके साथ ही मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले बीजेपी के आधा दर्जन नेता मंत्री पद की शपथ लेंगे. बीजेपी ने रेखा गुप्ता के जरिए महिला वोटरों और वैश्य समीकरण साधने की कवायद की है. यही नहीं बीजेपी ने रेखा गुप्ता की कैबिनेट में जिन नेताओं को जगह दी है, उसके पीछे भी दिल्ली के पॉलिटिकल केमिस्ट्री छिपी हुई है. इस तरह दिल्ली में बीजेपी अपनी सियासी जड़ों को लंबे समय तक कायम रखने का प्लान बनाया है.
रेखा सरकार में कौन-कौन बन रहा मंत्री
डीयू की छात्र राजनीति से सियासी पारी आगाज करने वाली रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं. रेखा गुप्ता शालीमार बाग विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुनी गई हैं, जो दिल्ली की चौथी महिला सीएम होंगी. रेखा गुप्ता की अगुवाई वाली दिल्ली की बीजेपी सरकार में प्रवेश वर्मा, मनजिंदर सिंह सिरसा, आशीष सूद, पंकज सिंह, कपिल मिश्रा और रविंदर इंद्रराज सिंह कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल होंगे. बुधवार को बीजेपी ने रेखा गुप्ता मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले सभी छह मंत्रियों के नाम उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भेज दिया है. इस तरह रेखा गुप्ता के साथ छह नेता मंत्री पद की शपथ लेंगे.
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कैबिनेट के जरिए साधा जातीय समीकरण
बीजेपी ने रेखा सरकार के जरिए दिल्ली के सियासी समीकरण को साधने की कवायद की है. रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर अपने कोर वोटबैंक वैश्य समाज को साधने की कवायद की तो कैबिनेट के जरिए जाट, सिख, पंजाबी, दलित और पूर्वांचली वोटों के साथ संतुलन बनाने की स्ट्रैटेजी बनाई है.
इस तरह बीजेपी ने दिल्ली के जातीय समीकरण के साथ-साथ पूर्वांचली बैलेंस बनाने की कोशिश की है. इतना ही नहीं बीजेपी ने केजरीवाल की दिल्ली में सबसे बड़ी ताकत रहे वोट बैंक में सेंधमारी का दांव चला है.
रेखा गणित से गड़बड़ाएगा AAP का गणित
बीजेपी ने दिल्ली के सत्ता की कमान रेखा गुप्ता को सौंपी है, जो वैश्य समुदाय से आती है. वैश्य समुदाय बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जाता है. अरविंद केजरीवाल के सियासी पिच में उतरने के बाद वैश्य समाज का बड़ा हिस्सा बीजेपी से छिटक गया था, आम आदमी पार्टी के साथ चला है. बीजेपी ने रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर केजरीवाल के कोर वोटबैंक माने जाने वाले वैश्य समाज के वोट में सेंधमारी की रणनीति बनाई है. केजरीवाल वैश्य समाज से आते हैं. दिल्ली में वैश्य समाज का वोट करीब 8 फीसदी है, जो काफी अहम माना जाता है.
रेखा गुप्ता के जरिए केजरीवाल के सियासी गणित को बिगाड़ने की स्ट्रैटेजी बनाई है. बीजेपी की रणनीति एक तरफ वैश्य समुदाय को वोटों को साधने की है तो दूसरी तरफ महिलाओं को भी सियासी संदेश देना चाहती है.
दिल्ली में आधी आबादी यानी महिलाएं सियासी दलों का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. दिल्ली को संवारने का काम महिला नेताओं ने बेहतर तरीके से किया है, चाहे मुगल काल में रजिया सुल्ताना रही हों या फिर शीला दीक्षित. इसीलिए बीजेपी ने रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर महिला वोट बैंक को सियासी संदेश देने का दांव चला है.
जाट-पंजाबी-सिख समीकरण को तवज्जो
बीजेपी ने दिल्ली मंत्रिमंडल के जरिए जाट-पंजाबी और सिख समीकरण बनाने का दांव चला है. प्रवेश वर्मा के जरिए जाट वोटबैंक को साधने की स्ट्रैटेजी है तो आशीष सूद के जरिए पंजाबी वोटों को सियासी संदेश दिया है. मनजिंदर सिंह सिरसा के जरिए दिल्ली के सिख वोटों को साधने की स्ट्रैटेजी बनाई है. दिल्ली में 8 फीसदी जाट वोटर हैं तो 15 फीसदी के करीब पंजाबी वोटर हैं. इसके अलावा 4 फीसदी सिख वोटर हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में जाट-पंजाबी-सिख वोटों का बड़ा झुकाव बीजेपी की तरफ था.
दिल्ली में पंजाबी वोटर बीजेपी का कोर वोट बैंक रहा है, जिसके जरिए जनसंघ के दौर के राजनीतिक की सियासत में अपना वर्चस्व कायम रखा था. 1993 में बीजेपी पंजाबी चेहरा आगे करके ही दिल्ली की सत्ता में आई थी, लेकिन मदनलाल खुराने के हटाए जाने के बाद से पंजाबी वोटर छिटक गया है. इस बार बीजेपी आशीष सूद को कैबिनेट में जगह देकर पंजाबी वोटों फिर से जोड़े रखने का दांव चला है. इसी तरह बीजेपी ने साहिब सिंह वर्मा को जाट चेहरे के तौर पर आगे करके अपनी जड़े जमाई थी और अब फिर से उन्हीं बेटे प्रवेश वर्मा को मंत्रिमंडल में शामिल करके दांव चला है.
मनजिंदर सिंह सिरसा दिल्ली में सिख समुदाय के बड़ा चेहरा माने जाते हैं. सिरसा शिरोमणि अकाली दल से बीजेपी में आए हैं. राजौरी गार्डन सीट से सिरसा विधायक बने हैं. इससे पहले दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इस तरह सिख समुदाय के बीच उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है, जिसके चलते बीजेपी उन्हें कैबिनेट में जगह दी है. दिल्ली के साथ-साथ पंजाब के सिख वोटों को बीजेपी सियासी संदेश देना चाहती है.
पूर्वांचल-दलित-ब्राह्मण समीकरण का रखा ख्याल
दिल्ली के सियासी समीकरण को रेखा कैबिनेट में पूरा ख्याल रखा है, जिसके चलते एक पूर्वांचली नेताओं को मंत्री बनाया है तो एक दलित और एक ब्राह्मण चेहरे को भी जगह दी है. बीजेपी ने रेखा सरकार में पूर्वांचली चेहरे के तौर पर पंकज सिंह को मंत्री बनाया जा रहा है, जो बिहार से आते हैं.
दिल्ली में करीब 25 फीसदी मतदाता पूर्वांचली है, जिसके लिए पंकज सिंह पर दांव चला है. इसके अलावा उनके जरिए ठाकुर वोटों को भी सियासी संदेश दिया है. इसके अलावा ब्राह्मण चेहरे के तौर पर कपिल मिश्रा को मंत्रिमंडल में जगह दी है, जो आम आदमी पार्टी से बीजेपी में आए हैं. आक्रामक हिंदुत्व की राजनीति करते हैं और 10 फीसदी के करीब ब्राह्मण वोट को साधने का दांव चला है.
बीजेपी ने दलित चेहरे के तौर पर रविंदर इंद्रराज सिंह को मंत्रिमंडल में जगह दी है. दिल्ली में करीब 17 फीसदी वोट दलित समाज का है, जिस पर बीजेपी की काफी समय नजर है. दलितों का बड़ा तबका अभी भी आम आदमी पार्टी के साथ है. रविंद्र इंद्रराज सिंह को मंत्री बनाकर बीजेपी दलित और ग्रामीण समुदाय के साथ पंजाब को भी साधने का दांव चला है. रविंद्र इंद्रराज सिंह पंजाबी मजहबी दलित समाज से हैं. इस तरह बीजेपी ने उनके जरिए बड़ा दांव चला है.
कार्यकर्ताओं को संदेश और वफादारी का दिया इनाम
बीजेपी ने दिल्ली सरकार के गठन के जरिए पार्टी के कार्यकर्ताओं को सियासी संदेश देने की कवायद की है. बीजेपी ने दिल्ली में मुख्यमंत्री बनाने से लेकर मंत्री चयन तक में पार्टी के कार्यकर्ताओं को ज्यादा अहमियत दी है. रेखा गुप्ता से लेकर आशीष सूद और रविंद्र इंद्रराज सिंह एबीवीपी से अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया है. रेखा गुप्ता और आशीष सूद डीयू छात्र संग के अध्यक्ष रहने के साथ-साथ एमसीडी में पार्षद रहे हैं. इस तरह बीजेपी ने रेखा गुप्ता को सीएम और आशीष सूद को मंत्री बनाकर पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को सियासी संदेश दिया है.
वहीं, दूसरे दलों से आए हुए नेताओं को भी कैबिनेट में जगह दी है, जिसमें अकाली दल से आए मनजिंदर सिंह सिरसा हों या फिर आम आदमी पार्टी से आए कपिल मिश्रा. बीजेपी उन्हें कैबिनेट में जगह देकर वफादारी का इनाम दिया है. इसके अलावा प्रवेश वर्मा को नई दिल्ली सीट के केजरीवाल को हराने का इनाम दिया गया है.
दक्षिण और पूर्वी दिल्ली को नहीं मिली जगह
रेखा सरकार के मंत्रिमंडल के जरिए बीजेपी ने दिल्ली के जातीय समीकरण का ख्याल रखा, लेकिन दिल्ली के क्षेत्रीय संतुलन नहीं बना सकी है. रेखा कैबिनेट में पूरी तरह से बाहरी और पश्चिमी दिल्ली का दबदबा दिख रहा है. इतना ही नहीं उत्तरी पूर्वी दिल्ली को भी जगह दिया है, लेकिन पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली को मंत्रिमंडल में अहमियत नहीं मिली सकी है. हालांकि, बीजेपी ने कैबिनेट में उस इलाके को ज्यादा जगह दी है, जहां बीजेपी को अच्छी खासी सीटें मिली है. दिल्ली के ग्रामीण और पश्चिमी दिल्ली में बीजेपी क्लीन स्वीप करने में कामयाब रही है, जिसके चलते पार्टी ने सरकार गठन में उसका पूरा ख्याल रखा है.
करावल नगर से जीतकर आए कपिल मिश्रा के जरिए उत्तरी पूर्वी दिल्ली को प्रतिनिधित्व दिया है तो प्रवेश वर्मा के जरिए सेंट्रल दिल्ली और बाहरी दिल्ली को साधने का दांव चला है. राजौरी गार्डन से जीतकर आए मनजिंदर सिंह सिरसा पश्चिमी दिल्ली को साधने की कवायद की है.
शालीमार बाग से विधायक बनी रेखा गुप्ता को सीएम और बवाना से जीतकर आने वाले रविंदर इंद्रराज सिंह को मंत्री बनाकर बीजेपी ने उत्तरी पश्चिमी दिल्ली का साधने की कवायद की है. विकासपुरी से जीते विधायक पंकज सिंह को मंत्री बनाकर दक्षिण पश्चिमी इलाके को साधने का दांव चला है. पूर्वी दिल्ली और दक्षिण दिल्ली से किसी भी विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है.
रेखा सरकार के जरिए बीजेपी ने कैसे साधा दिल्ली का समीकरण, जातीय के साथ चला क्षेत्रीय बैलेंस का मास्टरस्ट्रोक
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