Delhi-Ncr दिल्ली में कांग्रेस के बाद सबसे अधिक चुनावों में 100% सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी कौन? चौथे नंबर पर BJP- #INA

दिल्ली चुनाव में सिर्फ 2 बार 3 दलों ने 100% फीसदी उम्मीदवार उतारे थे.

दिल्ली में चुनाव को लेकर नामांकन प्रक्रिया जारी है. चुनाव लड़ने के लिए नाम दाखिल करने के वास्ते अब महज 2 दिन ही बचे हैं. दोनों प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस अभी भी अपने सभी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं कर सके हैं. जबकि दिल्ली में जीत की हैट्रिक लगाने की योजना बना रही आम आदमी पार्टी (AAP) ने 15 दिसंबर तक अपने सभी 70 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए थे. कांग्रेस पिछले 2 चुनावों में खाता खोलने से चूकने के बावजूद वह अकेली ऐसी पार्टी है जिसने हर बार सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा. इस मामले में बीजेपी चौथे नंबर पर है.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गरमाते चुनावी माहौल में नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी बीजेपी और कांग्रेस अपने सभी प्रत्याशियों के नाम फाइनल नहीं कर सकी है. इसके उलट हर चुनाव में कांग्रेस सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ती रही है. जबकि बीजेपी ने महज 2 बार ही सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का साहस दिखाया. दिल्ली में पिछले 7 चुनावों के इतिहास में 4 बार ही किसी 2 दलों ने सभी 70 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे.

पहले चुनाव में 3 दलों के 100% प्रत्याशी

पूर्ण विधानसभा बनने के बाद दिल्ली में पहला चुनाव 1993 में कराया गया. और तब से लेकर अब तक 7 चुनाव (1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2015 और 2020) कराए जा चुके हैं. दिल्ली में 1993 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में पहली बार सबसे अधिक 3 दलों ने सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे. इसमें कांग्रेस के अलावा बीजेपी और जनता दल भी शामिल थे. फिर यह सिलसिला 2015 तक थम गया. 2015 में दूसरी बार 2020 में तीसरी बार 3 दलों ने सभी सीटों पर अपनी किस्मत आजमाई थी.

चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत हासिल हुई और वह 70 में से 49 सीटों पर जीत हासिल करते हुए बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई. कांग्रेस को महज 14 सीटें मिली थी. जबकि जनता दल को महज 4 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था.

2003 में 70 के साथ आखिरी बार BJP

हालांकि 1998 के चुनाव में स्थिति बदल गई. प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से बीजेपी को सत्ताविरोधी लहर का सामना करना पड़ा. बीजेपी को हार (15 सीटों पर जीत) मिली और कांग्रेस (52 सीट) को जीत. कांग्रेस ने चुनाव में सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे जबकि बीजेपी ने 67 सीटों पर तो जनता दल ने 48 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे. मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने 58 सीटों पर अपनी चुनौती पेश की. लेकिन मायावती की पार्टी 0 पर ही रही.

1998 के बाद 2003 में जब विधानसभा चुनाव कराए गए. तो फिर दूसरी बार 2 दलों ने 70-70 प्रत्याशी मैदान में खड़े किए. बीजेपी ने दिल्ली की सियासत में दूसरी और आखिरी बार पूरे 70 प्रत्याशी उतारने का जज्बा दिखाया, लेकिन उसे फायदा नहीं मिला.

3 चुनावों में BSP की 100% दावेदारी

कांग्रेस ने जहां 1993 से लेकर अब तक सभी चुनावों में शत-प्रतिशत अपने उम्मीदवार उतारे तो उसके अलावा मायावती की बसपा ही अकेली ऐसी पार्टी रही जिसने सबसे अधिक 3 मौकों पर 70 प्रत्याशी खड़े किए. हालांकि बसपा का दिल्ली में चुनावी सफर में खास प्रदर्शन नहीं रहा. जीत के मामले में वह कभी भी 5 सीट से ऊपर नहीं जा सकी. शुरुआती 3 चुनावों में 40 से अधिक प्रत्याशी खड़े करने के बाद भी उसका खाता नहीं खुल सका था.

साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने पहली बार सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. इसी चुनाव में उसका खाता खुला. हालांकि बसपा को महज 2 सीटों पर ही जीत मिल सकी थी. इस चुनाव में 69 सीटों पर लड़ने वाली बीजेपी को 23 सीटों पर संतोष करना पड़ा. जबकि कांग्रेस ने 43 सीटों पर जीत हासिल करते हुए सत्ता पर पकड़ बनाए रखी.

2013 में AAP की एंट्री, बदली सियासी फिजा

दिल्ली की सियासत में 2013 के चुनाव से आम आदमी पार्टी की एंट्री हो गई और उसने सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए. जबकि बीजेपी ने 68 तो बसपा ने 69 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. आम आदमी पार्टी ने अपने पहले चुनाव में ही 8 सीटों पर जीत हासिल कर ली, बसपा का खाता नहीं खुल सका. वहीं बीजेपी 31 सीट जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन हंग असेंबली में 28 सीटें लेकर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन दे दिया और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बन गए.

अब आम आदमी पार्टी की पार्टी पूरे फॉर्म में आ चुकी थी. 2013 की विधानसभा को 2014 में भंग करने के बाद 2015 की शुरुआत में ही चुनाव कराने पड़ गए. इस चुनाव में 1993 के बाद ऐसा दूसरी बार हुआ जब किसी 3 दलों (आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बसपा) ने 70-70 प्रत्याशियों को खड़ा किया. लेकिन AAP के आगे सब बेदम साबित हो गए. AAP ने रिकॉर्डतोड़ 67 सीट जीतकर सभी का सूपड़ा साफ कर दिया. वहीं 69 सीटों पर लड़ने वाली बीजेपी के खाते में 3 सीटें आईं. जबकि कांग्रेस और बसपा 0 पर ही सिमट गईं.

1993 वाली कहानी 2020 में रिपीट

बात अब 2020 के विधानसभा चुनाव की. इस चुनाव में भी इन्हीं तीनों दलों ने 70-70 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन परिणाम 2015 वाला ही रहा. इन 3 दलों में से सिर्फ AAP ही चुनाव जीतने में कामयाब रही. AAP को 62 सीटों पर जीत मिली तो कांग्रेस और बसपा दोनों फिर खाता नहीं खोल सके. बीजेपी ने 67 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 8 सीटों पर जीत दर्ज कराई.

अब एक बार फिर दिल्ली में चुनावी माहौल बन गया है. बीजेपी और कांग्रेस अब तक अपने सभी उम्मीदवार तय नहीं कर पाए हैं तो AAP चौथी बार बार 70 सीटों पर प्रत्याशी खड़ाकर अन्य दलों को कड़ी चुनौती दे रही है. अब देखना होगा कि 2025 के चुनाव में कितने दल 100 फीसदी उम्मीदवार उतारते हैं.

दिल्ली में कांग्रेस के बाद सबसे अधिक चुनावों में 100% सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी कौन? चौथे नंबर पर BJP


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