Delhi-Ncr सालों पुरानी हमारी मांग मानी पर जो समय चुना… जाति जनगणना पर बोले खरगे, पहलगाम हमले पर कही ये बात- #INA

मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी.
कांग्रेस कार्यसमिति की शुक्रवार को बैठक हुई. इसमें पहलगाम आतंकी हमले के साथ ही जाति जनगणना पर लंबी चर्चा हुई. बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक पोस्ट किया. इसमें उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद 24 अप्रैल को CWC की अरजेंट बैठक हुई थी. उसमें हमने रेजोल्यूशन पास कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में और आतंकवादियों को सबक सिखाने में सरकार को हर संभव सहयोग देने की बात कही थी. पर इस घटना के कई दिन बाद भी सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट रणनीति सामने नहीं आई है. वहीं, जाति जनगणना के फैसले पर उन्होंने कहा कि ये सालों पुरानी हमारी मांग सरकार ने मानी पर जो समय चुना गया उससे हमें आश्चर्य के साथ हैरानी भी हुई. जिस भाषा और भाव के साथ कई बातें कही गईं, उनको लेकर भी कई संदेह हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, राहुल गांधी ने कानपुर में शुभम द्विवेदी के परिवारजनों से मुलाकात की थी. उन्होंने सरकार से मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा और सम्मान देने की मांग की. देश की एकता, अखंडता और खुशहाली की राह में जो भी चुनौती बनकर आएगा, उसके खिलाफ हम एक होकर सख्ती से निपटेंगे. पूरा विपक्ष इस मसले पर सरकार के साथ है. हमने पूरी दुनिया को यही संदेश दिया है.
सबसे पहले मैं राहुल गांधी को बधाई देता हूं
खरगे ने कहा कि इसी बीच मोदी सरकार ने जनगणना के साथ जाति जनगणना कराने का फैसला किया है. इसके लिए मैं सबसे पहले मैं राहुल गांधी को बधाई देता हूं, जिन्होंने लगातार इस मुद्दे को उठाया और सरकार को जाति जनगणना का फैसला करने को मजबूर किया. उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा में इसे ताकतवर कैंपेन में बदला और सामाजिक न्याय 18वीं लोकसभा के चुनाव का सबसे अहम मुद्दा बना.
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राहुल गांधी ने फिर साबित किया है कि अगर हम सच्चाई से लोगों के मुद्दों को उठाते हैं तो सरकार को झुकना ही पड़ता है. भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक से लेकर तीन काले किसान कानून की वापसी के बाद जाति जनगणना भी इस कड़ी में शामिल हो गई है, जिसमें एक हठी सरकार को एक बार फिर झुकना पड़ा है. कांग्रेस की राज्य सरकारों ने तेलंगाना और कर्नाटक में कास्ट सर्वे की प्रक्रिया पूरी करके सरकारी योजनाओं में इसे अमल में लाना शुरू कर चुकी हैं.
हमने 50 परसेंट सीलिंग को भी हटाने की मांग की
उन्होंने कहा कि गुजरात में कांग्रेस के अधिवेशन में भी हमने अपनी मांग दोहराते हुए रेजोल्यूशन पारित किया था. हमने 50 परसेंट सीलिंग को भी हटाने की मांग की. सीलिंग हटाने का काम संविधान संशोधन के द्वारा होगा. जब 16 अप्रैल 2023 को मैंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर इस बारे में मांग की थी तो सरकार इसके बिल्कुल खिलाफ थी. फिर अचानक हृदय परिवर्तन कैसे हुआ?
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने हरेक मंच पर हमारी मांग का विरोध किया. इसे विभाजनकारी बताया और अर्बन नक्सन कहा. राज्यों के चुनावों में प्रधानमंत्री से लेकर आरएसएस नेताओं ने आलोचना की. बंटेगे तो कटेंगे जैसे नारे दिए गए. हमें लोगों को यह बताने की जरूरत है कि यूपीए 2 में शुरू हुई 2011 जाति जनगणना की पूरी प्रक्रिया 31 मार्च 2016 में समाप्त हुई. सरकार ने इस बात को 2022 में एक राज्य सभा के प्रश्न के उत्तर में खुद माना है. फिर हमसे 2014 में अधूरे आंकड़ों को प्रकाशित करने की अपेक्षा नासमझी नहीं तो क्या है?
पुरानी कहावत है देर आए दुरुस्त आए!
उन्होंने कहा कि हम ये कहेंगे कि हमारी बात देर से ही सही उनकी समझ में आई, इस बात की हमें खुशी है. पुरानी कहावत है देर आए दुरुस्त आए! कांग्रेस ने 2024 के चुनाव में विस्तृत सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना कराकर सभी जातियों और समुदायों की आबादी, सामाजिक- आर्थिक दशा, राष्ट्रीय संपदा में उनकी हिस्सेदारी और शासन से जुड़े संस्थानों में उनके प्रतिनिधित्व को जानने की बात कही थी. समाज का X RAY इससे होगा, हमारा ये विचार है.
इस मांग पर हम लगातार कायम रहे. मुख्य विपक्षी दल के रूप में हमने संविधान बचाओ अभियानों में इस मांग को लगातार उठाया. संसद में और संसद के बाहर लगातार राहुल गांधी ने अपने भाषण में इसकी मांग रखी. हमारे सभी साथियों ने इस बात को आगे बढ़ाया. इसलिए मैं आप सभी को इसकी बधाई देता हूं. लेकिन यह हमारे लिए यह किसी जीत-हार या राजनीति का मुद्दा नहीं है. कांग्रेस हमेशा से ही देश के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और गरीबी के खिलाफ संघर्ष करती आ रही है. हमारे राजनीतिक एजेंडे का ये हिस्सा बना हुआ है.
महात्मा गांधी ने एक संपादकीय लिखा था
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि 1931 में जो जातिगत जनगणना हुई, इस गणना के दो महीने पहले महात्मा गांधी ने यंग इंडिया में एक संपादकीय लिखा था और कहा था कि जैसे अपने शरीर की पड़ताल के लिए हम समय समय पर मेडिकल परीक्षण कराते हैं, जनगणना उसी तरह किसी राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण परीक्षण होती है. गांधी जी ने यह बात भी कही थी, जनगणना की उपयोगिता तब है जब सरकार जरूरी सूचनाओं का इस्तेमाल बेहतरी के लिए करे.
उन्होंने कहा, बेशक सरकार ने जातिगत जनगणना कराने की हमारी मांग मान ली है लेकिन अब हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा की यह जातिगत जनगणना सही तरीके से हो. इसके जो नतीजे आएं, उन पर भी अमल हो. उनके हिसाब से पॉलिसी और कानून बने. मोदी सरकार ने तो 2021 की जनगणना नहीं कराई. आज भी सारा सरकारी काम 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर चल रहा है.
हमें इसे अंजाम तक ले जाने तक मुस्तैद रहना है
जातिगत जनगणना का काम आरएसएस की आरक्षण विरोधी सोच के कारण भी मोदी सरकार लगातार टालती रही. पर अब जब जनता इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी और सहोयोगी दलों के साथ जुड़ने लगी तो प्रधानमंत्री के लिए इसे और अधिक टालना संभव नहीं रहा. लेकिन अभी भी बजट से लेकर सरकारी की नीति और नीयत के कई सवाल कायम हैं. इसलिए हमें इसे अंजाम तक ले जाने तक मुस्तैद रहना है.
उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने में लगी है. आज बिहार में उनके बड़े नेता हरेक जिले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसका श्रेय बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को देने की कोशिश कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी को ही जातिगत जनगणना विरोधी बता रहे हैं. इसलिए हमें अपनी रणनीति बनानी होगी. अगर जरूरी हो तो अपने सहयोगी दलों को साथ लेकर राष्ट्रीय स्तर पर या राज्य स्तर पर जो उचित हो पब्लिक मीटिंग करनी चाहिए या फिर पूरे देश में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की बात पर विचार करना चाहिए.
सालों पुरानी हमारी मांग मानी पर जो समय चुना… जाति जनगणना पर बोले खरगे, पहलगाम हमले पर कही ये बात
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