Nation- यूपी में डीएनए पॉलिटिक्स: राजनीति में नई नहीं है लड़ाई, मोदी-नीतीश से होते हुए अखिलेश-पाठक पर आई- #NA

बृजेश पाठक, अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश की सियासत ‘डीएनए पॉलिटिक्स’ से गरमा गई है. डीएनए शब्द को लेकर बीजेपी और सपा पहले भी एक दूसरे के खिलाफ निशाना साधते रहे हैं. एक बार फिर दोनों ही दलों के बीच ‘डीएनए वार’ छिड़ गया है. डीएनए को लेकर 2015 में पीएम मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच जबरदस्त वॉर छिड़ी थी, अब वैसी ही जुबानी जंग यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच जंग जारी है. सपा और बृजेश पाठक एक दूसरे के डीएनए बताने में जुट गए हैं.
डीएनए पॉलिटिक्स की सबसे पहली गूंज 2015 के बिहार चुनाव में सुनाई दी थी. 2015 विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच पीएम मोदी बिहार के दौरे पर पहुंचे थे. पीएम ने अपने भाषण में बिना नीतीश का नाम लिए कहा था कि शायद उनकी डीएनए में गड़बड़ी है. पीएम मोदी ने जीतनराम मांझी का जिक्र करते हुए एक महादलित के बेटे का सब-कुछ छीन लिया गया तब मुझे लगा कि शायद उनके डीएनए में ही गड़बड़ है. इस बयान को नीतीश ने डीएनए को चुनाव मुद्दा बना दिया था.
सीएम नीतीश-पीएम मोदी में डीएनए वॉर
पीएम मोदी के बयान को नीतीश कुमार ने बिहार के डीएनए से जोड़ दिया. नीतीश ने कहाथा कि वो अपना और बिहार के लोगों का डीएनए सैंपल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजेंगे. नीतीश ने राज्य के अलग-अलग जगहों से एकत्रित किए गए बिहार वासियों के नाखून और बाल के सैंपल को बोरियों में भरकर पीएम मोदी को भेजे थे. हालांकि, PMO ने इन सैंपल को रिसीव नहीं किया था. इस पर नीतीश ने कहा था कि अगर नहीं चाहिए तो वापस कर दो. इसके बाद दिल्ली की रामलीला मैदान में रैली करके नीतीश ने मोदी सरकार पर बिहार के डीएनए पर सवाल खड़े करने के आरोप लगाए थे.
नीतीश कुमार ने कहा था कि मोदी जी बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आपने मेरे डीएनए पर जो टिप्पणी की, उससे मुझे और समाज के एक बड़े तबके को गहरी ठेस पहुंची है. मेरा मानना है कि आपके इन शब्दों से न सिर्फ बिहार बल्कि बिहार से बाहर रहने वाले लोग खुद को अपमानित महसूस किए हैं. इससे पहले नितिन गडकरी ने भी कहा कि जातिवाद बिहार के डीएनए में है. इस तरह नीतीश कुमार ने 2015 का चुनाव डीएनए मुद्दे पर ही लड़ा था. बिहार अस्मिता से उन्होंने जोड़ दिया था, जिसका खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ा था.
अखिलेश-बृजेश पाठक में डीएनए फाइट
डीएनए को लेकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और सपा मुखिया अखिलेश यादव के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है. विवाद की शुरुआत बृजेश पाठक से हुई है. उन्होंने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं का डीएनए टेस्ट कराया जाना चाहिए, जिससे यह पता चल सके कि वे वंशवाद और परिवारवाद की राजनीति में कितने लिप्त हैं. इस पर सपा के मीडिया सेल द्वारा ब्रजेश पाठक के ‘DNA’ वाले आपत्तिजनक कमेंट पर निशाना साधा.
बृजेश पाठक ने अपनी आपत्ति जताते हुए अखिलेश पर निशाना साधा. जवाब में सपा अध्यक्ष ने लंबा-चौड़ा पोस्ट कर इस मुद्दे पर सफाई दी, साथ ही डिप्टीसीएम को ‘मर्यादा’ में रहने की हिदायत दी. ऐसे में लगा कि इस पोस्ट के बाद विवाद समाप्त हो जाएगा और दोनों नेता ‘शांत’ हो जाएंगे. इसके बाद बाद बृजेश पाठक ने लंबा चौड़ा पोस्ट लिखकर सपा के खिलाफ हमला बोला.
अखिलेश यादव के पोस्ट के बाद ब्रजेश पाठक ने फिर से एक के एक दो पोस्ट किए और सपाइयों को ‘शिशुपाल’ की संज्ञा दे डाली. डिप्टी सीएम यहीं नहीं रुके उन्होंने इसके बाद सोमवार यानी कि 19 मई को एक और पोस्ट किया और सपा की मानसिकता पर सवाल खड़ा करते हुए तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव आप इस बात को समझिए कि DNA में खराबी से हमारा मतलब किसी व्यक्ति विशेष से नहीं, बल्कि आपकी पार्टी की राजनीतिक सोच से है. अखिलेश ने इशारों में जवाब देते हुए पोस्ट कर लिखा- ‘हुक्मरानों की बदजुबानी पर भी आज़ाद, और किसी की सच कहने पर गिरफ्तारी.’
यूपी की सियासत में डीएनए की पॉलिटिक्स
डीएनए पर टिप्पणी से उपजा यह विवाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई बहस को जन्म दे रहा है. जहां एक ओर बीजेपी इसे वंशवाद बनाम राष्ट्रवाद का मुद्दा बना रही है, वहीं समाजवादी पार्टी इसे सामाजिक न्याय और लोकतंत्र पर हमले के रूप में देख रही है. हाल ही में मुसलमानों में बाहर का डीएनए वाले बयान को लेकर हंगामा मच गया था, जब सीएम योगी ने बांग्लादेश के मुसलमानों की तुलना बाबर से थी और आगाह किया था कि खतरा यहां भी है. बांग्लादेश और संभल का डीएनए एक ही जैसा है.
सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने संसद में चर्चा के दौरान कहा था कि आए दिन लोग मुसलमानों में बाबर का डीएनए है तो उनके (बीजेपी) वालों में किसका डीएनए है. साथ ही राणा सांगा पर भी विवादित टिप्पणी कर दी थी, जिसे लेकर करणी सेना सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने लगी थी. अब बृजेश पाठक और सपा के बीच जिस तरह से डीएनए को लेकर पॉलिटिक्स गर्म है, उसे लेकर दोनों ही दलों के बीच शह-मात का खेल जारी है.
यूपी में डीएनए पॉलिटिक्स: राजनीति में नई नहीं है लड़ाई, मोदी-नीतीश से होते हुए अखिलेश-पाठक पर आई
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