दुनियां – बांग्लादेश में एक और बड़ा बदलाव, जॉय बांग्ला अब राष्ट्रीय नारा नहीं, SC ने पलटा HC का फैसला – #INA

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद एक के बाद एक करके पुराने फैसले बदले जा रहे हैं. देश की सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को हाईकोर्ट के उस अहम फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के लोकप्रिय जॉय बांग्ला (Joy Bangla) को देश का राष्ट्रीय नारा घोषित किया गया था.
छात्रों के लंबे समय तक चले प्रदर्शन के बाद रहमान की बेटी शेख हसीना को इस साल 5 अगस्त को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा और उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा था. हाल ही में देश के केंद्रीय बैंक ने करेंसी नोटों से रहमान की तस्वीर हटाने का फैसला किया.
HC के 2020 के फैसले पर रोक
शेख हसीना सरकार के जाने के बाद देश में अंतरिम सरकार अस्तित्व में आई और हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित करने की मांग की. अंतरिम सरकार ने 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दायर कर 10 मार्च, 2020 के हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सैयद रेफात अहमद की अगुवाई वाली अपीलीय खंडपीठ की 4 सदस्यीय बेंच ने मंगलवार को इस आधार पर आदेश पारित किया कि राष्ट्रीय नारा सरकार के नीतिगत फैसले से जुड़ा मैटर है और न्यायपालिका इस मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. स्थानीय समाचार पत्र डेली स्टार ने कल बुधवार को बताया कि मुख्य न्यायाधीश अहमद की अगुवाई वाली अपीलीय खंडपीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सरकार द्वारा दायर अपील याचिका के बाद यह आदेश पारित किया.सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अनीक आर हक ने कहा, “अपीलीय खंडपीठ के इस आदेश के बाद ‘जॉय बांग्ला’ को अब राष्ट्रीय नारा नहीं माना जाएगा.”
हसीना सरकार ने घोषित किया था राष्ट्रीय नारा
देश के कई शहरों में चले आंदोलन की वजह से अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को 5 अगस्त को देश छोड़कर भागना पड़ा और उनकी जगह मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार 8 अगस्त को अस्तित्व में आई.
सरकार बदलने के बाद, राज्य ने उच्च न्यायालय के फैसले को निलंबित करने के लिए कदम उठाया और 2 दिसंबर को 10 मार्च, 2020 के उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपीलीय खंडपीठ ने अपील दायर की.
तख्तापलट के बाद कई बड़े बदलाव
‘जॉय बांग्ला’ को देश के राष्ट्रीय नारे के रूप में घोषित किया गया था और सरकार को आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था ताकि नारे का इस्तेमाल सभी राज्य समारोहों और शैक्षणिक संस्थानों की सभाओं में किया जा सके. 20 फरवरी, 2022 को हसीना की अगुवाई वाली कैबिनेट ने इसे राष्ट्रीय नारे के रूप में मान्यता देते हुए नोटिस जारी किया था. अवामी लीग सरकार ने 2 मार्च, 2022 को इस संबंध में एक गजट अधिसूचना जारी की.
हालांकि तख्तापलटने के बाद पिछले हफ्ते 1 दिसंबर को, देश के शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के एक और फैसले पर रोक लगा दी. इस फैसले में 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस और सार्वजनिक अवकाश को सही ठहराया गया था. इससे पहले 13 अगस्त को अंतरिम सरकार की सलाहकार परिषद ने यह फैसला लिया कि 15 अगस्त को अब देश में कोई राष्ट्रीय अवकाश नहीं होगा. साथ ही पिछले हफ्ते मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि बांग्लादेश बैंक अब नए नोट छाप रहा है, जिसमें जुलाई के विद्रोह को शामिल किया गया है. नए नोट में ‘बंगबंधु’ शेख मुजीबुर रहमान की फोटो शामिल नहीं की गई है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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