Entertainment: हत्या की खबर सुनकर राम गोपाल वर्मा को मिला ‘सत्या’ बनाने का आइडिया, ऐसे तैयार हुए थे कैरेक्टर्स – #iNA
साल 1998 में मनोज बाजपेयी ने फिल्म की ‘सत्या’, इस फिल्म के बाद से एक्टर के फिल्मी करियर को एक दिशा मिल गई. इसे राम गोपाल वर्मा ने डायरेक्ट किया था. हाल ही में उन्होंने इस फिल्म के बारे में बात की है. उन्होंने ये खुलासा किया है कि इस ‘सत्या’ में जो भी किरदार हैं, वो सभी किसी न किसी असल किरदार के साथ मेल खाते हैं, जिनकी कहानी राम गोपाल वर्मा ने सुनी है या फिर उनसे मिले हैं. इस फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया था.
राम गोपाल वर्मा ने इस फिल्म के बारे में बात करते हुए बताया कि वो रंगीला के लिए मुंबई आए हुए थे, उस दौरान उन्हें इस शहर की एनर्जी इतनी भा गई थी कि उन्होंने मुंबई में ही रुकने का फैसला कर लिया. हालांकि, जिस वक्त उन्होंने मुंबई में रहना शुरू किया था, तो उस समय डायरेक्टर ने फिल्म के बारे में बहुत कम बातें सुनी हुई थी. उन्होंने एक पुराने दिन को याद करते हुए बताया कि जब वो किसी काम के सिलसिले में अपने प्रोड्यूसर के ऑफिस में बैठे हुए थे, तो वहां पर खबर सुनाई दी कि एक आदमी को किसी गैंग ने जान से मार दिया है.
हत्या से शुरू हुई थी कहानी
जब ये खबर सामने आई, तो वहां मौजूद लोग उस मरने वाले शख्स के आखिरी लम्हें के बारे में बात करने लगे. डायरेक्टर ने कहा कि उस दौरान मैं ये सोच रहा था कि जिस शख्स को 8.30 बजे सुबह में मार दिया गया है, उसके लिए हत्यारे कितने बजे जगे होंगे? क्या उसने मर्डर के बाद और पहले नाश्ता किया होगा? उनके दिमाग में ये बात चलने लगी कि जब गैंगस्टर कुछ गलत काम करते हैं, तभी चर्चा में आते हैं, लेकिन आमतौर पर वो क्या करते हैं इसके बारे में किसी को भी नहीं पता होता है.
आम लोगों जैसे हैं गैंगस्टर
डायरेक्टर ने कहा कि मैंने टाइम्स ऑफ इंडिया में कुछ तस्वीरें भी देखीं, जिनमें गैंगस्टरों को सिर पर काला कपड़ा बांधे हुए दिखाया गया था, जो कि बॉलीवुड में दिखाए जाने वाले गैंगस्टर से अलग था. उनको एहसास हुआ कि गैंगस्टर अलग से नहीं दिखते, जबकि आम लोगों के जैसे ही होते हैं, वो कोई भी हो सकता है. अपनी कहानी याद करते हुए उन्होंने बताया कि वो जहां रहते थे वहां एक शख्स रहता था, जिससे उनकी कभी-कभी मुलाकात हो जाती थी, बाद में वो एक गैंगस्टर निकला. यही कॉन्सेप्ट ‘सत्या’ की कहानी बन गई.
असल के हैं सभी किरदार
राम गोपाल वर्मा ने कहा कि ‘सत्या’ का हर किरदार किसी ऐसे शख्स पर बना था, जिससे वो मिले थे या कहानी सुनी थी, हालांकि इसमें सभी गैंगस्टर नहीं थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने एक गैंगस्टर से भी मुलाकात की, जिससे फिल्म के कल्लू मामा का किरदार बना, फिर एक गैंगस्टर की कहानी सुनी, जिसने बात न मानने पर अपने भाई को मार दिया था, जिससे भीकू का किरदार प्रेरित है. हालांकि, फिल्म का मेन कैरेक्टर सत्या है, उसके लिए डायरेक्टर ने कहा कि मैंने उसे फाउंटेनहेड के हावर्ड रोर्क के आधार पर तैयार किया था.
हत्या की खबर सुनकर राम गोपाल वर्मा को मिला ‘सत्या’ बनाने का आइडिया, ऐसे तैयार हुए थे कैरेक्टर्स
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