Entertainment: Badass Ravi Kumar Review: दो एक्सप्रेशन पर अटकी हिमेश रेशमिया की एक्टिंग, पढ़ें बैडएस रविकुमार का रिव्यू – #iNA
![Entertainment: Badass Ravi Kumar Review: दो एक्सप्रेशन पर अटकी हिमेश रेशमिया की एक्टिंग, पढ़ें बैडएस रविकुमार का रिव्यू – #iNA Entertainment: Badass Ravi Kumar Review: दो एक्सप्रेशन पर अटकी हिमेश रेशमिया की एक्टिंग, पढ़ें बैडएस रविकुमार का रिव्यू – #iNA](http://images.tv9hindi.com/wp-content/uploads/2025/02/himesh_reshammiya_prabhu_deva_1280_720.jpg)
“जिन तूफानों में तुम जैसों के झोपड़े उड़ जाया करते थे, उन्हीं तूफानों में हम अपने कपड़े सुखाया करते हैं.” ये डायलॉग बोलते हुए बुक माय शो की वेबसाइट पर 60 परसेंट बुकिंग दिखाने वाले खाली थिएटर में जब बिना एक्सप्रेशन के हिमेश रेशमिया जोर से चिल्लाते हैं, तब मेरा बेचारा दिमाग मुझसे यही सवाल पूछता है कि आखिर क्यों? क्यों हम (मैं और मेरा दिमाग) ये फिल्म देख रहे हैं? और फिर मैं उसे ये याद दिलाती हूं कि इस तरह की फिल्में जनता तक पहुंचने से पहले इसका बहादुरी से सामना करना हमारा फर्ज है. हिमेश रेशमिया की फिल्म ‘बैडएस रविकुमार’ आपके दिमाग के लिए हानिकारक साबित हो सकती है.
कहानी
80 के दशक की इस कहानी की शुरुआत भारत से दूर ओमान के मस्कट शहर में होती है. मस्कट का डॉन कार्लोस (प्रभु देवा) पाकिस्तान के साथ एक सौदा कर रहा है, जहां उसे इंडिया के सभी सीक्रेट एजेंट की लिस्ट पाकिस्तान को देनी है और इस लिस्ट के बदले पाकिस्तान उसे मोटी रकम दे रहा है. इन तमाम सीक्रेट एजेंट के नामों की रील कीर्ति कुल्हारी के पास है और कार्लोस उसके साथ डील करके ये रील हथियाना चाहता है. दूसरी तरफ भारत सरकार को भी इस रील के बारे में पता चल जाता है, जिसके बाद ‘बैडएस रवि कुमार‘ को इस रील को हासिल करने के मिशन पर भेजा जाता है. आगे क्या होता है? ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर फिल्म देखनी होगी.
जानें कैसी है ये फिल्म
फिल्म कैसी है ये बताने से पहले मैं फिल्म का एक सीन बताना चाहूंगी. पूरी फिल्म में हम रवि कुमार की मुंह में सिगरेट देखते हैं, लॉलीपॉप की तरह सिगरेट को चूसने वाला रवि कुमार बीच फिल्म में ये कहता है कि मैं सिगरेट पीता नहीं हूं, बस मेरे भाई की याद में मैं सिगरेट मुंह में रखता हूं. ये बस एक बार की बात नहीं है, ऐसे कई सारे सीन पूरी फिल्म में हमें टॉर्चर करते हैं. फिल्म का फर्स्ट हाफ फिर भी ठीक था, क्योंकि उसमें सिर्फ बुरे डायलॉग और बुरी एक्टिंग ही देखने को मिली, लेकिन सेकंड हाफ में बुरी एक्टिंग, बुरे डायलॉग, बुरे गाने और बुरी फाइट भी देखने को मिली, जिसकी वजह से देखने वालों का बहुत बुरा हाल हुआ और तब ‘दिमाग का दही’ होना क्या होता है, ये मुझे अच्छी तरह से समझ में आ गया. ये फिल्म देखने के बाद तो मैं क्रिंज फिल्मों की फैन बन गई हूं. वो फिल्में इससे तो 10 गुना अच्छी होती हैं.
80 के दशक में ‘शहंशाह’ बनी थी, ‘तेजाब’ बनी थी,’परिंदा’, ‘कर्ज’, ‘कर्मा’ जैसी शानदार फिल्में बनी थीं, ‘खून भरी मांग’ भी बनी थी, लेकिन ‘बैडएस रविकुमार’ की तरह लॉजिक का खून करने वाली फिल्में तब भी नहीं बनी थी. बाकी सब तो मैं फिर भी माफ किया जा सकता है, लेकिन प्रभु देवा का डांस करते हुए फाइटिंग करना और लोगों को मारना, इसके लिए तो बिल्कुल भी माफ नहीं किया जा सकता है. फिल्म कैसी है ये तो बहुत दूर की बात है , लेकिन फिल्म क्यों बनाई ये मेरा निर्देशक से बहुत बड़ा सवाल है. क्योंकि उनके बारे में चार लाइन लिखना भी वो डिजर्व नहीं करते.
एक्टिंग
हिमेश रेशमिया अच्छे सिंगर हैं, अच्छे गीतकार भी हैं. लेकिन वो बहुत बुरे एक्टर हैं. फिटनेस, हेयरस्टाइल, शानदार कपड़े, इन सबसे पहले किसी भी फिल्म में जरूरी होती है अच्छी एक्टिंग. अगर एक्टिंग अच्छी हो, फटे हुए कपड़े में हमारे सामने आए, तो दो एक्टर्स को भी हम ढाई घंटे देख सकते हैं. पर एक्टिंग बुरी हो, तो फिर चाहे करोड़ो का सेट और लाखों का ग्लैमर क्यों न हो, वो फिल्म देखने में मजा नहीं आता. पूरी फिल्म में हिमेश रेशमिया के दो एक्सप्रेशन हैं, एक हंसने का और दूसरा ब्लैंक. सौरभ सचदेवा, संजय मिश्रा, प्रशांत नारायण और जॉनी लीवर का वो कौन सा सीक्रेट मेकर्स के पास था, जिसके चलते उन्होंने ये फिल्म की होगी, वो ‘ईश्वर’ ही जाने, क्योंकि बैडएस रवि कुमार भी सिर्फ ईश्वर पर विश्वास करता है.
देखे या न देखें
ये फिल्म आप बिलकुल स्किप कर सकते हैं. इससे अच्छा आप ‘लवयापा’ देख लीजिए. वो बहुत एंटरटेनिंग है. बाकी इस फिल्म से तो शिकायत बहुत ज्यादा है. हिमेश रेशमिया की फिल्म में एक डायलॉग है कि ‘शीशे के घर में रहने वाले चट्टानों को चुनौतियां नहीं दिया करते.” ये बात हिमेश रेशमिया को भी समझनी चाहिए और एक्टिंग से 10 हाथ की दूरी बनानी चाहिए. क्योंकि हिमेश भाई, वो अपने गुजराती में कहते हैं न,”जेनु काम तेनु थाय बीजो करे सो गोटा खाय” बस वही बात है.
Badass Ravi Kumar Review: दो एक्सप्रेशन पर अटकी हिमेश रेशमिया की एक्टिंग, पढ़ें बैडएस रविकुमार का रिव्यू
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,