Entertainment: ‘काबुल’, ‘मैं ता गुल’ या ‘कागुल’… आखिर रणबीर कपूर के गाने ‘बुलैया’ में क्या कहा गया है? – #iNA

इस गाने में लिरिक्स राइटर अमिताभ भट्टाचार्या ने बहुत ही खूबसूरती से गुरू और प्यार को आपस में जोड़ दिया है. इस गाने को अगर हम फिल्म के वीडियो के हिसाब से देखें तो हम पाते हैं कि रणबीर का किरदार अयान अपने प्यार अलीजे को भूलने के लिए बहुत जतन कर रहा है और उसको कम्फर्ट मिलता है म्यूजिक में. इसलिए वो इस सूफी गाने को गाकर बुल्ले शाह को खुदा मानकर उनसे मदद की गुहार लगा रहा है कि उसे सुकुन दे दें, लेकिन असल में उसे वो सुकून नहीं मिल पाता, जो हम आखिरी के सीन में देखते हैं जहां उसे सबा के साथ रहकर भी अलीजे की याद परेशान करती है, और अंत में वो सबा से रिश्ता तोड़कर वापस अलीजे के पास उसे ढूंढ़ने चला जाता है.
इसके पीछे की एक दिलचस्प कहानी है. दरअसल, बाबा बुल्लेशाह ने अपने गुरू शाह इनायत कादरी के प्रेम में नाचते-नाचते एक कारवां बनाया था, हमारा रांझा इसी कारवां में शामिल होना चाहता है. इसलिए वो कहता है… ‘तेरे कारवां में शामिल होना चाहूं… कमियां तराश के मैं काबिल होना चाहूं…’
इसके बाद आती है वो लाइन जो आजतक हम सभी ने शायद गलत गाई है. ‘मैं कागुल से लिपटी तितली की तरह मुहाजिर हूं… एक पल को ठहरूं, पल में उड़ जाऊं…’ . हम सभी ने कभी इसे काबुल या फिर मैं ता गुल गाया है, लेकिन ये असल में है कागुल. अब ये कागुल क्या बला है? दरअसल, कागुल एक म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट है, जो चिड़ियों को खेतों से दूर रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अक्सर तितलियां, चि़ड़ियाओं से बचने के लिए इस कागुल के पास मंडराती हैं और इससे लिपट जाती हैं, और फिर एक मुहाजिर यानी इमिग्रेंट की तरह उड़ जाती हैं. यहां से आती है ये लाइन ‘मैं कागुल से लिपटी तितली की तरह मुहाजिर हूं… एक पल को ठहरूं, पल में उड़ जाऊं…’
असल में इस गाने में एक प्यार में हारा हुआ आशिक बुलैया यानी बाबा बुल्ले शाह से गुहार लगा रहा है कि तु ही इस रांझे का सच्चा यार है बुलैया. तूने इश्क के बारे में सबकुछ जाना है और तू मुझे अपना शागिर्द बना ले और खुद मेरा मुर्शिद यानी गुरू या खुदा बन जा. वो कहता है कि मेरी रुह का परिंदा परेशान है, वो कैद में फड़फड़ा रहा है, लेकिन उसे सुकून नहीं मिल पा रहा है. मैं क्या करूं. एक बार तजल्ली यानी ईश्वर का रूप मुझे दिखा दो, झूठी ही सही मगर तसल्ली दिला दो. आप रांझे के यार हो… मदद करो.
इस गाने के बोल लिखे हैं मशहूर लिरिक्स और सॉन्ग राइटर अमिताभ भट्टाचार्या ने. गाने को आवाज दी है शिल्पा रॉव और अमित मिश्रा ने, और इसे कम्पोज किया है प्रीतम ने. इस गाने को फिल्माया गया है ऐश्वर्या और रणबीर पर. ये गाना फिल्म के सेकेंड हाफ में आता है जहां हम रणबीर के किरदार अयान को सबा यानी ऐश्वर्या के साथ रोमांस करते देखते हैं. अयान, अलीज़े यानी अनुष्का के किरदार को भूलने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में ये गाना पर्फेक्ट लगता है.
‘काबुल’, ‘मैं ता गुल’ या ‘कागुल’… आखिर रणबीर कपूर के गाने ‘बुलैया’ में क्या कहा गया है?
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