Entertainment: राजा रवि वर्मा न होते तो धार्मिक फिल्में कैसे बनतीं? जानें राजा हरिश्चंद्र से बाहुबली तक का कनेक्शन – #iNA

राजा रवि वर्मा ऐसे कलाकार थे जिन्होंने हिंदू देवी-देवताओं का चेहरा तैयार किया. और आम लोगों को अपने आराध्य की फोटो को घरों में रखने का अधिकार दिया. लोकमान्य तिलक और स्वामी विवेकानंद जैसी दिग्गज हस्तियों ने भी उनका मनोबल बढ़ाया था. अगर उनकी पेंटिंग न होती तो हम ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा या राम-सीता और राधा-कृष्ण की फोटो ना तो अपने-अपने घरों लगा पाते और ना ही उनको पहचान पाते. लेकिन आपको जानकर अचरज हो कि इसी वजह से तब उनका काफी विरोध भी हुआ था. कट्टर रुढ़िवादियों ने राजा रवि वर्मा के इस काम पर कड़ा ऐतराज जताया था.

विरोध करने वालों का तर्क था कि देवी-देवताओं की जगह केवल मंदिर है. उनकी फोटो घरों में लगाने से धर्म की हानि होगी. लेकिन आगे चल कर राजा रवि वर्मा की उन्हीं पेंटिंग्स ने ऐसा चमत्कार किया कि उसके बगैर ना तो अनुष्ठान पूरा हो सकता था और ना ही धार्मिक फिल्में बन सकती थीं. भारत में राजा हरिश्चंद्र से जब फिल्मों की नींव पड़ी तो राजा रवि वर्मा की पेंटिंग ही उसकी प्रेरणास्रोत बनी थी. यह रुपक बाहुबली जैसी फिल्मों तक नजर आया है.

पेंटिंग से भारत में सिनेमा की नींव

29 राजा रवि वर्मा की देवी देवताओं की पेंटिंग्स भारत में हिंदू नवजागरण की नई प्रेरणा बनीं. भारत में सिनेमा की नींव धार्मिक फिल्मों के निर्माण से पड़ी थी. उन्नीसवीं शताब्दी के शुरुआती सालों की बात है. राजा रवि वर्मा की बनाई पेंटिंग्स प्रसिद्धि पाने लगी थीं. अब तक हमारे देवी-देवताओं की पत्थर की मूर्तियां होती थीं. बेशक वे मूर्तियां बेशकीमती और कारीगरी का बेहतरीन नजीर होती थीं लेकिन ये मूर्तियां आमतौर पर मंदिरों में या फिर राज महलों में देखी जाती थीं. आम लोग चाहकर भी अपने-अपने पूजा घरों में नहीं इन्हें नहीं लगा सकते थे. ऐसे में राजा रवि वर्मा की लीथो प्रिंटिंग से बनाई गई पेंटिंग्स ने सबके बीच सर्वसुलभता प्रदान की. श्रद्धालु अपने-अपने आराध्य की तस्वीर अपने-अपने घरों में लगाने लगे. धीरे-धीरे यह काफी लोकप्रिय होने लगा.

फाल्के को पेंटिग से मिली प्रेरणा

राजा रवि वर्मा की पेंटिंग ने दादा साहब फाल्के को भी प्रभावित किया. फाल्के खुद भी फोटोग्राफी के शौकीन थे. जीसस क्राइस्ट फिल्म देखने के बाद उनके मन में भी एक फिल्म बनाने की प्रेरणा जन्म लेने लगी थी. लेकिन कलाकारों की पोषाकें और सेट आदि कैसे बने, इसके लिए उनको कोई आधार नहीं मिल पा रहा था. तब दादा साहब फाल्के ने राजा रवि वर्मा की पेंटिंग का नजदीकी से अध्ययन किया. उनके रंगों को बारीकी के समझा. कुछ समय के लिए उनके सहायक भी बने. रवि वर्मा को जब मालूम हुआ कि फाल्के फिल्म बनाना चाहते हैं कि तो उन्होंने उनकी मदद करने की ठानी. अपना स्टूडियो दे दिया. फाल्के ने जब अपनी पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाई तो राजा रवि वर्मा की पेंटिंग से काफी प्रेरणा ली. यानी उनकी पेंटिंग फिल्म निर्माण की प्रेरणा बनीं.

पौराणिक फिल्मों का आधार बनी पेंटिंग

आगे चलकर भारत में जितनी भी भाषाओं में धार्मिक फिल्में बनीं, उनका आधार राजा रवि वर्मा की पेंटिंग था. पौराणिक फिल्मों के किरदारों का रूपक कैसा होगा, इसे राजा रवि वर्मा की पेंटिंग देखकर बनाया गया. रामराज्य, संपूर्ण रामायण, जय संतोषी मां से लेकर बाद के दौर में धार्मिक टीवी सीरियलों मसलन रामायण, महाभारत, श्रीकृष्ण लीला आदि सब में राजा रवि वर्मा की पेंटिंग का आधार नजर आता है. यहां तक एक्टर प्रभास की मशहूर फिल्म बाहुबली के तमाम राजसी सीन राजा रवि वर्मा की पेंटिंग से प्रभावित हैं. बाहुबली की फैंटेसी में रवि वर्मा की पेंटिंग के रंगों का भरपूर इस्तेमाल किया गया है.

भगवान का रूप कैसे किया तैयार

आखिर राजा रवि वर्मा ने देवी देवताओं का चेहरा कैसे तैयार किया- इसकी एक रोचक कहानी है. रामजी कैसे दिखेंगे, सीताजी कैसी दिखेंगीं, श्रीकृष्ण कैसे दिखेंगे, राधा कैसी दिखेंगीं- इन सबका रूपक तैयार करने में राजा रवि वर्मा ने भरपूर कल्पना का सहारा लिया था. उनके पास ये रूपक गढ़ने का कोई आधार नहीं था. पत्थरों की मूर्तियां थीं या फिर पौराणिक महाकाव्यों में शब्दों से किए गए देवी देवताओं के रूप के वर्णन थे. राजा रवि वर्मा ने रामायण, महाभारत, गीता, वेद, उपनिषद के अलावा भक्तिकाल के सूरदास जैसे कवियों के साहित्य का भरपूर अध्ययन किया था. श्रीराम के रूप के लिए रामायण सबसे बड़ा आधार है उसी तरह श्रीकृष्ण का रूप जानने के लिए सूरदास का काव्य एक बड़ा जरिया है. राजा रवि वर्मा ने कैनवस पर रेखांकन के लिए उन्हीं शब्दों का सहारा लिया. हर देवी देवता के साथ उनसे जुड़े प्रतीकों का मनोहारी इस्तेमाल किया.

आपको जानकर ये भी अचरज हो कि भगवान की छवियां बनाने की वजह से कट्टर भक्तों ने उन्हें कोर्ट तक घसीटा था. प्रचलित छवियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया. रुढ़िवादियों का कहना था कि उनकी बनाई गई फोटो धार्मिक भावनाओं को आहत पहुंचाने वाली हैं. पूरा मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा था लेकिन शिकायतकर्ता की अर्जी को खारिज कर दिया गया. राजा रवि वर्मा बरी हो गए. हालांकि बाद के दौर में देवी-देवताओं के अलावा अप्सराओं की बोल्ड पेंटिंग बनाने के चलते उन्हें पहले से ज्यादा आलोचनाओं और विरोध का सामना करना पडा. उनका प्रिंटिंग प्रेस तक जला दिया गया था.

रियलिस्टिक पेंटिंग का नया रूप

राजा रवि वर्मा की पेंटिंग की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उन्होंने हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों को रियलिस्टिक पेंटिंग का रूप देना शुरू किया था. जिसका उपयोग फिल्मों से लेकर विज्ञापन, कैलेंडर और अमर चित्र कथा कॉमिक्स तक भरपूर किया गया है. उन्होंने राजा, महाराजाओं के भी चित्र बनाए. उनकी पेंटिंग्स की कीमत लाखों डॉलर में हुआ करती थी. उन्होंने 2000 से भी ज्यादा पेंटिंग बनाई है. राजा रवि वर्मा से पहले भी पेंटिंग्स बनाई जाती थी लेकिन उनमें किसी देवता को नहीं दिखाया जाता था.

शाही परिवार से था रिश्ता

राजा रवि वर्मा का ताल्लुक कवियों और विद्वानों के परिवार से था. केरल तब त्रावणकोर रियासत का हिस्सा था. त्रावणकोर के शाही परिवार से राजा रवि वर्मा के परिवार की नजदीकी थी. दरबार में आना जाना लगा रहता था. बहुत कम उम्र में ही राजा रवि वर्मा पेंटिंग करने लगे थे. कहते हैं बचपन में राख से रेखांकन किया करते थे. चाचा की मदद से शाही दरबार पहुंचे और दरबार में बड़े पैमाने पर पेंटिंग बनाने का मौका मिला. वहीं उन्होंने यूरोपियन पेंटिंग को करीब से देखा और खास तौर पर ऑयल पेंटिंग की बारीकियां सीखीं.

उन्होंने अपनी पेंटिंग्स में रियलिज्म को जगह दी. यूरोपियन और इंडियन तकनीक का मिश्रण किया. राजाओं और महाराजाओं की पेंटिंग के साथ-साथ हिंदू देवी देवताओं की पेंटिंग्स बनानी भी शुरू की. आगे चलकर लिथोग्राफिक प्रेस खोला. फिर बड़े पैमाने पर महाभारत, रामायण और पुराण जैसे महाकाव्यों और धार्मिक ग्रंथों के आधार पर देवी देवताओं के चित्र बनाने शुरू कर दिए. आज फिल्में भले ही तकनीकी पूर्ण हो गईं लेकिन राजा रवि वर्मा की पेंटिंग के प्रभाव से मुक्त नहीं हो सकीं.

यह भी पढ़ें :मेनस्ट्रीम फिल्मों में दलित-OBC नायक क्यों नहीं होते? अब फुले फिल्म ने तोड़ी परंपरा

राजा रवि वर्मा न होते तो धार्मिक फिल्में कैसे बनतीं? जानें राजा हरिश्चंद्र से बाहुबली तक का कनेक्शन


देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,

#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News