Entertainment: सितारे जमीं पर और तन्वी द ग्रेट… पहले के डिसेबल्ड-डिसऑर्डर किरदारों से कितने अलग हैं? – #iNA

आगामी दो महीनों में फिल्मी पर्दे पर दो ऐसी फिल्में दस्तक देने वाली हैं जो दर्शकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाएंगी. आमिर खान 20 जून को सितारे जमीं पर लेकर आ रहे हैं तो अनुपम खेर 18 जुलाई को तन्वी द ग्रेट लेकर आने वाले हैं. कान फिल्म फेस्टिवल में वर्ल्ड प्रीमियर के बाद अनुपम खेर ने तन्वी द ग्रेट की रिलीज की तारीख की घोषणा की है. अनोखी बात ये कि इन दोनों ही फिल्मों में डिसेबल्ड और डिसऑर्डर कैरेक्टर्स की कहानियां दिखाई गई हैं. इसे संयोग ही कहें कि तकरीबन एक ही मिजाज की दो अलग-अलग फिल्में एक ही महीने के अंतर में रिलीज होने वाली हैं. दोनों फिल्में सिनेमा घरों में रिलीज होंगी.
सितारे जमीं पर और तन्वी द ग्रेट के डायरेक्टर-प्रोड्यूसर ने पहले ही साफ कर दिया है कि ये उनकी रेग्युलर फिल्में नहीं हैं. यानी बॉक्स ऑफिस पर कितने करोड़ कमाएगी- ऐसे सवाल अहम नहीं है. इन दोनों फिल्मों की अहमियत इस बात में निहित है कि दर्शक अपने आस-पास की दुनिया में नजर आने वाले दिव्यांग जनों की जरूरतों को संवेदनशीलता के साथ समझें और उन्हें सोसायटी में रेग्युलर स्पेस दें. जैसा कि कान में प्रीमियर के बाद अनुपम खेर ने कहा भी कि उनकी फिल्म दुनिया भर के फिल्ममेकर्स और क्रिटिक्स को चिंतनशील बना देने में सक्षम रही. यही उनकी इस फिल्म का मकसद भी है.
डिसेबल्ड भी चैंपियंस हो सकते हैं
सितारे जमीं पर वैसे तो स्पेनिश फिल्म चैंपियंस का हिंदी अडाप्टेशन है लेकिन इसमें भारतीय परिवेश और वास्तविक किरदारों की मौलिकता का पूरा ख्याल रखा गया है. आमिर खान ने अपने तमाम इंटरव्यूज में इस फिल्म के बारे में खुलासा भी किया है. ट्रेलर से भी जाहिर हो चुका है कि इसमें फिल्मी कलाकार कम से कम हैं. खुद आमिर खान और जेनेलिया देशमुख के अलावा जितने भी डिसेबल्ड दिखाए गए हैं, वे सबके सब रियल हैं. उन्हें विशेष टीम द्वारा अभिनय के लिए प्रशिक्षित किया गया है.
डिसेबल्डसे कैमरे के आगे अभिनय करवाना, संवाद बोलवाना और उनकी कॉन्टिन्यूटी के साथ एडिटिंग बहुत आसान नहीं. यह डायेक्टर आर.एस. प्रसन्ना और उनकी टीम के लिए भी एक बड़ा टास्क था. इस लिहाज से सितारे जमीं पर हिंदुस्तान में अब तक डिसेबल्ड के ऊपर बनी फिल्मों में सबसे अलग हो जाती हैं. अडाप्टेशन में भी अपना क्रिएशन करके आमिर खान ने एक नई पहल की है. सबसे अनोखी जानकारी तो ये भी निकल आई है कि आमिर खान और पीवीआर ने मिलकर ये तय किया है कि अपनी फिल्म को उन थिएटरों में जरूर रिलीज करेंगे जहां जहां डिसेबल्ड को फिल्म देखने की सुविधा हो.
यानी फिल्म का मकसद अधिक से अधिक डिसेबल्ड तक इसके आशय को पहुंचाना है. फिल्म का प्रिमाइस ही है कि डिसेबल्ड को यूं ही उनकी हालत पर नहीं छोड़ देना चाहिए बल्कि उन्हें भी अवसर और प्रशिक्षण देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाना चाहिए. इसी तरह डिसेबल्ड लोगों को अपने-अपने अधिकार और अवसरों की जानकारी हासिल करने के लिए भी जागरूक होने की दरकार है.
तन्वी जैसा देशभक्त हो सकता है डिसेबल्ड
इसी तरह अनुपम खेर ने अपनी फिल्म तन्वी दी ग्रेट में भी एक ऐसी युवती की कहानी कही है, जो सिंगर है और जाबांज पिता के अधूरे ख्वाब को पूरा करने के लिए भारतीय सेना में भर्ती होना चाहती हैं. देश सेवा उसकी भावना में निहीत है. लेकिन वह ऑटिज्म डिसऑर्डर की शिकार है. परेशानी ये है कि ऑटिज्म डिसऑर्डर के शिकार लोगों को सेना में भर्ती करने का कानून नहीं है. ऐसे में देश की सेवा कैसे करे और अपने शहीद पिता के सपनों को कैसे पूरा करे. पूरी फिल्म में तन्वी इसी संघर्ष को जीती है. इस लिहाज से यह फिल्म पहले की तमाम फिल्मों से काफी अलग हो जाती है.
तन्वी दी ग्रेट फिल्म जब थिएटर में रिलीज होगी तब इसकी पूरी कहानी सामने आएगी. इस फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर अनुपम खेर हैं, इसे एनएफडीसी के सहयोग से बनाया गया है. अनुपम खेर ने बताया है कि उन्होंने यह फिल्म बहुत ही दिल से बनाई है और चाहते हैं कि लोगों के दिलों तक इसके भाव पहुंचे.
गौरतलब है कि केवल हिंदी की ही बात करें तो ऐसी तमाम फिल्में बनी हैं जिनमें डिसेबल्ड की कहानी दिखाई है. इनकी कहानियों को दर्शकों से खूब सराहना मिली, ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर भी हिट हुईं. गुजरे जमाने की डिसेबल्ड-डिसऑर्डर किरदारों वाली फिल्मों को देखें तो इसमें दो तरह की फिल्में नजर आती हैं. एक शारीरिक तौर पर डिसेबल्ड तो वहीं मानसिक तौर पर डिसेबल्ड.
दोस्ती से लेकर दिल बेचारा तक के डिसेबल्ड
शारीरिक तौर पर डिसेबल्ड की श्रेणी में राजश्री प्रोडक्शन की क्लासिक फिल्म दोस्ती को नहीं भूला जा सकता. गाने, कहानी, अभिनय हर स्तर पर इस फिल्म ने बड़ी कामयाबी हासिल की थी. इसी तरह कुछेक और फिल्मों मसलन उपकार के मलंग चाचा यानी प्राण हों या फिर शान के अब्दुल यानी मजहर खान- ये कई ऐसे किरदार हैं जो क्लासिक फिल्मों का हिस्सा हैं. दिलीप कुमार, राजेंद्र कुमार, संजीव कुमार जैसे कलाकार तो कई बार दिव्यांग का किरदार निभा चुके हैं. नमकीन में बधिर के रूप में संजीव कुमार तो स्पर्श में नेत्रहीन किरदार में नसीरुद्दीन शाह ने यादगार भूमिका निभाई है.
वहीं मानसिक तौर डिसेबल्ड और डिसऑर्डर किरदारों की फिल्मों की बातें करें तो प्रियंका चोपड़ा-रणबीर कपूर की बर्फी या फिर सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म दिल बेचारा भी विशेष तौर पर प्रशंसनीय हैं. अब देखना होगा कि सबसे अलग होने का दावा करने वाली सितारे जमीं पर और तन्वी द ग्रेट दर्शकों के दिलों में कितनी जगह बना पाती है.
यह भी पढ़ें :अमिताभ बच्चन क्यों नहीं बन पाए मि. इंडिया, अनिल कपूर कैसे आए कहानी जावेद अख्तर की जुबानी
सितारे जमीं पर और तन्वी द ग्रेट… पहले के डिसेबल्ड-डिसऑर्डर किरदारों से कितने अलग हैं?
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,