Entertainment: मासूमों के खून का प्यासा… जब पर्दे पर खूंखार आतंकवादी बने राजकुमार राव, ये फिल्म देख कांप जाएगी आपकी रूह – #iNA

22 अप्रैल 2025 का दिन भारत के इतिहास के सबसे काले पन्नों में से एक हैं. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सबकुछ बदल गया है. पहलगाम में जिस तरह से मासूमों को निशाना बनाया गया, उसके बाद भारत ने इसका बदला लेते हुए ऑपरेशन सिंदूर किया, जहां पाकिस्तान के अंदर घुसकर वहां पर मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. आतंक का कोई चेहरा नहीं है, ये बात तय है. बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी आतंक के इस चेहरे को बेनकाब किया गया है.
साल 2017 में निर्देशक हंसल मेहता ने एक फिल्म बनाई थी, जिसका नाम था ओमर्टा. फिल्म में लीड रोल निभाया था एक्टर ओमर्टा ने. इस फिल्म का आज जिक्र करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस फिल्म को देखने के बाद आपको समझ आएगा कि आतंक का आखिरकार हश्र एक ही होता है.
क्राइम बायोकग्राफिकल फिल्म है ओमर्टा
ओमर्टा एक क्राइम बायोकग्राफिकल फिल्म है. फिल्म की कहानी ब्रिटिश-पाकिस्तानी आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख पर आधारित है. बीते दिनों यानी 4 मई को इस फिल्म को 7 साल पूरे हुए थे. फिल्म के निर्देशक हंसल मेहता ने फिल्म को लेकर एक खास तरह का पोस्ट किया था. उन्होंने बताया था कि कैसे आतंक की सोच आपके दिमाग को खोखला कर देती है. ये आपके विचारों को इतना सड़ा देती है कि आप कुछ और सोच ही नहीं पाते. इस बात का जिक्र खुद राजकुमार राव ने भी किया था.
7 years of Omertà.
A film thats aged into its own relevance. What felt like a warning back then now reads like prophecy.
Made with perhaps the worst producer one could be cursed with—proof that sometimes, good films survive bad decisions. Just barely.
Omertà marked another pic.twitter.com/rLrwt5eqQ2
— Hansal Mehta (@mehtahansal) May 4, 2025
पर्दे पर राजकुमार नहीं ओमार शेख दिखता है
फिल्म के प्रमोशन के दौर में राजकुमार का एक इंटरव्यू काफी वायरल हुआ था. उन्होंने बताया था कि केवल एक आतंकी के किरदार को निभाने भर से उनके दिमाग पर क्या गहरा असर हुआ था. राजकुमार राव ने बताया था कि इस फिल्म के लिए तैयारी करने के लिए उन्होंने काफी डेटा पढ़ा था. साथ ही राजकुमार ने कई वीडियोज भी देखे, जिसने उनके दिमाग पर काफी गहरा असर डाला था. राजकुमार ने बताया कि उनके दिमाग की हालत इतनी खराब हो गई थी, कि पेरिस में एक आतंकी अटैक की खबर सुनकर उनका पहला रिस्पॉन्स था -वेलडन!.
बात करें इस फिल्म कि तो ये फिल्म अपनी रॉ अप्रोच के लिए देखी जानी चाहिए. फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी टाइट है. शुरू से लेकर अंत तक फिल्म की कहानी आपको पलक झपकाने का वक्त ही नहीं देती. साथ ही फिल्म में राजकुमार की एक्टिंग ऐसी लगती है कि जैसे आप स्क्रीन पर राजकुमार को नहीं बल्कि ओमार शेख को देख रहे हों. फिल्म एक तगड़ा उदाहरण है इस बात का कि आतंक का अंजाम आखिर में मौत ही होती है.
मासूमों के खून का प्यासा… जब पर्दे पर खूंखार आतंकवादी बने राजकुमार राव, ये फिल्म देख कांप जाएगी आपकी रूह
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