Entertainment: टाइगर 3,रेस 2; तुर्की का बालीवुड कनेक्शन, भारतीय पर्यटकों से भी खूब कमाया – #iNA

तुर्की के ऐतिहासिक शहर हमारी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी पसंदीदा जगह है. लेकिन इन दिनों पाकिस्तान का साथ देने के चलते भारत में बायकॉट तुर्की अभिान चल रहा है. सलमान खान की फिल्म टाइगर 3 की याद आती है. इस फिल्म में भी पाकिस्तान की खतरनाक साजिश को दिखाया गया था. और उस साजिश को नाकाम करने के मिशन में जुटे थे अविनाश सिंह राठौड़ यानी टाइगर, जिस रोल को सलमान ने निभाया था. फिल्म में कैटरीना कैफ ज़ोया के किरदार में है. यह फिल्म हैरतअंगेज एक्शन सीन और एडवेंचरस बैकड्रॉप से भरी हुई थी जिसे तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में फिल्माया गया था. सलमान खान, कैटरीना कैफ, इमरान हाशमी, रणबीर शौरी जैसे तमाम कलाकार और डायरेक्टर मनीष शर्मा ने लंबे समय तक इस्तांबुल में रहकर टाइगर 3 की शूटिंग की और वह फिल्म साल 2023 में दीवाली के मौके पर नवंबर में रिलीज हुई.
टाइगर 3 में तुर्की के अनेक स्थानीय कलाकारों ने भी काम किया था. यह दो देशों के बीच सांस्कृतिक समझौते का नतीजा था. सलमान खान की यह फिल्म अपने खास बैकड्रॉप लोकेशन के लिए भी याद की जाती है. इस प्रकार बॉलीवुड के लिए तुर्की अब पसंदीदा शूटिंग लोकेशन बन गया है. टाइगर 3 की शूटिंग तुर्की के अलावा रूस और ऑस्ट्रिया जैसे देशों में भी की गई थी. लेकिन तुर्की में सबसे ज्यादा जिन स्थानों पर शूटिंग हुई उनमें हैं- इस्तांबुल, कप्पाडोसिया और अंताल्या. वहीं रूस के सेंट पीटर्सबर्ग का इस्तेमाल भी कार चेज़ सीन के लिए किया गया था. ऑस्ट्रिया में वियना, साल्ज़बर्ग और अल्टौसी में भी इस फिल्म की शूटिंग की गई थी.
एक था टाइगर और रेस 2 की शूटिंग
टाइगर 3 के अलावा सलमान की ही एक और प्रमुख फिल्म है- एक था टाइगर, जिसका भी तुर्की से खास कनेक्शन है. इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग इस्तांबुल में रखी गई थी. भारत और तुर्की दोनों ही देशों में इस फिल्म का जबरदस्त प्रमोशन हुआ. लेकिन इसका मकसद तुर्की में पर्यटन को बढ़ावा देना था. यानी तुर्की का लोकेशन सबसे ज्यादा सलमान की फिल्मों में दिखाया है. सलमान की इन दोनों अहम फिल्मों के अलावा रेस 2, दिल धड़कने दो जैसी अनेक फिल्मों की शूटिंग भी यहां के खूबसूरत स्थलों पर की गई है. इन फिल्मों में तुर्की के प्राकृतिक नजारों को दिखाया गया था.
रेस 2 की शूटिंग तुर्की, इस्तांबुल और उत्तरी साइप्रस में हुई थी. तुर्की में कुछ खास जगहों मसलन इस्तांबुल की सुल्तान अहमद मस्जिद और मर्दन पैलेस. अब्बास मस्तान के निर्देशन में बनी रेस 2 की कहानी का बैकग्राउंड भी साइप्रस का ही था. फिल्म की कहानी साइप्रस में घूमती है. इस फिल्म में सैफ अली खान, जॉन अब्राहम, दीपिका पादुकोण, अनिल कपूर, जैकलीन फर्नांडीज जैसे कलाकार थे.
भारत से तुर्की जाने वालों की संख्या बढ़ी
दरअसल तुर्की की सरकार भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को विशेष प्रोत्साहन प्रदान करती है लेकिन इसके पीछे राष्ट्रपति एर्दोगान की सरकार का अपना खास इरादा है और वह इरादा है अपने पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहित करना. कोई दो राय नहीं कि तुर्की को इस मुद्दे पर भारत से काफी लाभ भी हुआ है. एक आंकड़े पर गौर करें तो भारत से तुर्की जाने वाले पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है और इसकी सबसे बड़ी वजह फिल्मों में दिखाये गये वहां के खूबसूरत लोकेशंस हैं.
साल 2023 में तुर्की में 2.74 लाख भारतीय पर्यटक पहुंचे. पिछले साल की तुलना में यह आंकड़ा काफी अधिक है. यानी करीब 40 फीसदी ज्यादा.इस प्रकार तुर्की को भारत से फिल्मों और पर्यटन के मोर्चे पर भी काफी लाभ होता है लेकिन जब आतंकवाद का मुद्दा आता है तब तुर्की पाकिस्तान के पाले में चला जाता है.
फिल्म प्रोजेक्ट्स सांस्कृतिक सेतु
दरअसल तुर्की और भारत के बीच फिल्म प्रोजेक्ट्स सांस्कृतिक सेतु का काम करते हैं. तुर्की अपने देश की विरासत और ऐतिहासिक पौराणिक स्थलों को भारतीय फिल्मों में दिखाने की सुविधा देकर पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देते हैं. यह भारत और तुर्की के बीच द्विपक्षीय समझौतों के अनुरूप है. पर्यटन और फिल्मों के अलावा दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापार संबंध भी है. अनेक क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ रहे हैं. भारतीय यात्रियों और व्यवसाइयों को आकर्षित करने के लिए तुर्की ने काफी लचीला रुख अपनाया है. जिससे दोनों देशों के बीच संस्कृति, विचार और आर्थिक सहयोग के आदान-प्रदान बढ़े हैं.
यूरोप और अमेरिका का विकल्प
हाल के सालों में तुर्की की धरती डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए भी काफी खास जगह बन गई है. तुर्की को शादियों और हनीमून के लिए एक प्रमुख डेस्टिनेशन के तौर पर लोकप्रियता मिल रही है. फिल्में इन सभी का खास जरिया बन रही हैं. यूरोप और अमेरिका जाने वाले आम भारतीयों और फिल्म कलाकारो के लिए तुर्की एक नया विकल्प बन गया है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी यूरोप और अमेरिका के बदले भारतीय पर्यटक तुर्की या दुबई जाने में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
हालांकि अब पगहगाम आतंकी हमले के बाद जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करना शुरू किया तो तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देना शुरू कर दिया. यही तुर्की का दोहरा चरित्र है. पाकिस्तान के आगे तुर्की भारत से मिलने सहयोग को भूल गया. वह यह भी भूल गया कि भूकंप त्रासती के दौरान भारत ने ऑपरेशन दोस्त चलाकर मित्रता का हाथ बढ़ाया था, कोविड में वैक्सीन भेजकर महामारी के दौरान मदद की पेशकश की थी. लेकिन तुर्की इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान का ही साथ देना चाहता है. यही वजह है कि भारत में इन दिनों बायकॉट तुर्की अभियान चल रहा है.
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