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Vanvaas Review: 20 साल लेट है अनिल शर्मा की ‘वनवास’, पढ़ें नाना पाटेकर की फिल्म का पूरा रिव्यू

जब खबर मिली कि ‘गदर’ वाले अनिल शर्मा और नाना पाटेकर साथ फिल्म ‘वनवास’ बना रहे हैं, तब जाहिर सी बात है उम्मीद तो धमाकेदार प्रोडक्ट की ही थी. साथ में उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर की जोड़ी भी थी, इन दोनों ने ‘गदर 2’ में ऑडियंस का दिल जीत लिया था. इसलिए जब फिल्म की स्क्रीनिंग का बुलावा आया, तब फिल्म तुरंत देख डाली और फिल्म ने रुला दिया. लेकिन रोना फिल्म की कहानी को देखकर नहीं बल्कि मेरी नींद खराब कर सुबह-सुबह उठकर फिल्म देखने के मेरे फैसले पर आ रहा था. नाना पाटेकर की ‘नटसम्राट’ जैसी नायब फिल्म देखने के बाद मैंने उनकी ‘वनवास’ देखी, इसलिए मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगी. फिल्म अच्छी है. लेकिन इसे बनाने में अनिल शर्मा 20 -25 साल लेट हैं. उस समय अगर अनिल शर्मा ये फिल्म बनाते तो ये खूब चलती. लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है.

कहानी

दीपक त्यागी (नाना पाटेकर) की पत्नी का निधन हो चुका है. उन्हें डिमेंशिया है. यानी उनकी सोचने की ताकत धीरे-धीरे कम हो रही है. अब उनके तीनों बच्चों को उनके पिता बोझ लगने लगे हैं और यही वजह है कि उनके ये तीनों बेटे अपने पिता के साथ बनारस तो जाते हैं. लेकिन आते हुए वो अपने पिता को वही छोड़ देते हैं. क्या दीपक त्यागी अपने परिवार से फिर से मिल पाएंगे या नहीं? ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर ‘वनवास’ देखनी पड़ेगी.

जानें कैसी है ये फिल्म

अनिल शर्मा का अपना एक स्टाइल है. जब वो सनी देओल से डायलॉगबाजी कराते हैं, उनके लिए एक्शन सीन डायरेक्ट करते हैं, तब उनकी ‘कल्ट’ ऑडियंस उसे खूब एन्जॉय करती है. लेकिन उनकी इन फिल्मों से ‘वनवास‘ बिलकुल अलग फिल्म है. ये कहानी बहुत अच्छी है, बचपन में अपने बच्चों के सिर पर हाथ रखने वाले मां-बाप अक्सर बढ़ती उम्र के साथ बच्चों को सिरदर्द लगने लगते हैं और फिर शुरू होता है उनसे पीछा छुड़ाने का सफर. ऐसे कई उदाहरण समाज में हम अपने आस-पास देखते हैं. ये एक बेहद अच्छी फिल्म हो सकती थी. लेकिन इस कहानी में अपने बेटे को हीरो बनाने की अनिल शर्मा की कोशिश इस फिल्म को ले डूबती है.

निर्देशन

हीरो की एंट्री का फर्स्ट शॉट, एक्टर्स के लाउड एक्सप्रेशन ‘वनवास’ के निर्देशक अनिल शर्मा स्किप कर सकते थे. लेकिन पुत्र मोह का क्या करें. फिल्म में इस्तेमाल की गई टेक्नोलॉजी भले ही एडवांस हो, लेकिन डायरेक्टर का विजन वही पुराना है. ‘गदर 2’ के बाद अनिल शर्मा से बहुत उम्मीदें थीं. लेकिन उनकी ‘वनवास’ ने इन सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. कुछ नहीं तो कम से कम अनिल शर्मा त्यागी की ऑनस्क्रीन बहुओं की ओवरएक्टिंग तो कम करा ही सकते थे. बहुत कम हिंदी फिल्में करने वाले नाना पाटेकर ने इस फिल्म में आखिर ऐसा क्या देखा? ये मेरे लिए सबसे बड़ा सवाल है.

एक्टिंग

‘वनवास’ नाना पाटेकर ने अपने कंधों पर संभाली है. उनकी एक्टिंग को हम क्या ही जज करें. लेकिन इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे देखने के लिए ऑडियंस अपने पैसे खर्च कर थिएटर में जाए. उत्कर्ष शर्मा बनारसी लड़के का किरदार निभा तो रहे हैं. लेकिन मेरे कई यूपी के दोस्तों का कहना है कि वो कहीं से भी बनारसी नहीं लगते और वहां की भाषा तो बिल्कुल भी नहीं बोलते. एक तरफ उत्कर्ष ‘बनारसी’ नहीं लगते और दूसरी तरफ नाना पाटेकर की सबसे छोटी बहू का किरदार निभाने वाली श्रुति मराठे ‘त्यागी’ नहीं लगती. क्योंकि उनका एक्सेंट ‘त्यागी’ नहीं ‘तावड़े’ वाला है. भक्ति देसाई (दीपक त्यागी की बड़ी बहू) के एक्सप्रेशन जरूरत से ज्यादा ही नहीं बल्कि बहुत ज्यादा है. उन्हें देखकर ये कहने का मन करता है कि भाई, कोई तो ओवरएक्टिंग के 50 रुपये काट लीजिए इनके. बाकी सिमरत कौर के साथ सभी कलाकारों ने अपनी भूमिका को न्याय दिया है.

कहां गड़बड़ हुआ मामला

वनवास के साथ जो खिचड़ी अनिल शर्मा ने बनाई है, वो बिरयानी बन सकती थी. फिल्म को फिल्माने की स्टाइल से लेकर एक्शन तक, कहीं पर कुछ भी नयापन नहीं है. गाने भी हम भूल जाते हैं. इस विषय पर जिस दमदार फिल्म बनाई जा सकती थी. लेकिन जो कमाल अनिल शर्मा ने गदर में दिखाया था, वो इस फिल्म से मिसिंग है. दरअसल इस फिल्म की नैया अनिल शर्मा ने अपने बेटे को हीरो बनाने की कोशिश ने डुबोई है. ये फिल्म अगर नाना पाटेकर का किरदार और उसके गिर्द-गिर्द की कहानी बताती, तो शायद इसे देखने वाले फिल्म को एन्जॉय करते.

देखें या न देखें

अगर आपको इस तरह के विषय पर नाना पाटेकर की बेहतरीन फिल्म देखनी है, तो आप ‘नटसम्राट’ देखिए, अगर आपको अनिल शर्मा का कल्ट स्टाइल देखना है, वो उनकी कल्ट फिल्म ‘गदर’ देखिए. उत्कर्ष और सिमरत की केमिस्ट्री देखनी हो, तो आप ‘गदर 2’ देखिए. लेकिन वनवास स्किप की जा सकती है

Vanvaas Review: 20 साल लेट है अनिल शर्मा की ‘वनवास’, पढ़ें नाना पाटेकर की फिल्म का पूरा रिव्यू

https://inanewsagency.com/entertainment-vanvaas-review-anil-sharmas-vanvaas-is-20-years-late-read-full-review-of-nana-patekars-film-ina/
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