बिहार के अररिया जिले में प्रतिवर्ष होती हैं 3 से 4 हजार शादियां एक प्रतिशत लोग भी नहीं कराते निबंधन, अररिया में 19, फारबिसगंज में 20 और जोकीहाट में अब तक हुआ एक निबंधन
मिंटू राय संवाददाता अररिया
बिहार /अररिया जिले में प्रत्येक वर्ष सैकड़ों लोग शादी के बंधन में बंधते हैं। मगर शादी का निबंधन कराना उचित नहीं समझते। लिहाजा अररिया जिले के तीन निबंधन कार्यालयों में मैरेज रजिस्ट्रेशन का हाल खस्ता है। जबकि जिले के अलग-अलग नौ प्रखंड क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष औसतन तीन से चार हजार शादियां होती है। लेकिन मात्र एक फीसदी लोग भी रजिस्ट्रेशन नहीं करवाते हैं। इसके पीछे कही न कहीं जागरूकता का अभाव बताया जाता है। जिसके चलते अधिकांश लोग शादी का पंजीकरण नहीं करा रहे हैं। कह सकते हैं कि शादियों के निबंधन में सूबे के अन्य जिलों के साथ अररिया जिला भी पीछे है। प्रतिवर्ष होली के फागुन मास यानि अप्रैल से जून, जुलाई के साथ-साथ नवंबर, दिसंबर तथा 14 जनवरी के बाद से पुनः शादी समारोह का दौर शुरू हो जाता है। वृहत स्तर पर शादी समारोह का आयोजन किया जाता है। चारों ओर चहल पहल का आलम रहता है। शहर से लेकर गांवों तक बस शादी ही शादी की चर्चा होती है।
भवन, होटलों, धर्मशाला आदि से लेकर मंदिरों में भी प्रतिवर्ष सैकड़ों शादियां होती है। इस सबके बावजूद अगर जिले में अवस्थित तीन निबंधन कार्यालयों के फाइलों को खंगाले तो इस वर्ष 2024 के जनवरी से लेकर अब तक अक्टूबर महीने तक मात्र 40 जोड़ों ने ही शादी का निबंधन कराया है। जिला अवर निबंधक कार्यालय, अररिया में इस वर्ष जनवरी से अब तक मात्र 19, अवर निबंधक कार्यालय, फारबिसगंज में 20 जबकि अवर निबंधक कार्यालय जोकीहाट में एक मात्र जोड़े ने अपना मैरेज रजिस्ट्रेशन कराया है। शादी का रजिस्ट्रेशन व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता एक्सपर्ट की मानें तो शादी का पंजीकरण वही दंपत्ति करवाते हैं जिन्हें मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है या बालिग होने का प्रमाण देना पड़ता है।
हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 8 में शादी का रजिस्ट्रेशन व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है। मुस्लिम मैरिज में भी कुछ राज्यों की नियमावली में रजिस्ट्रेशन व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है। ईसाई विवाह अधिनियम। 1872, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 और पारसी मैरिज एंड डाइवोर्स एक्ट 1936 के तहत मैरिज रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है हिंदू विवाह अधिनियम 1955 या विशेष विवाह अधिनियम 1954 में से किसी एक के तहत शादी को निबंधित किया जा सकता है। हिंदू मैरिज एक्ट केवल हिंदुओं पर लागू होता है। जबकि स्पेशल मैरिज एक्ट भारत के सभी नागरिकों पर लागू होता है। इस बाबत जिला अवर निबंधक कौशल कुमार झा ने बताया कि विगत के कई वर्षों में विवाह का पंजीकरण कराने वालों की संख्या प्रत्येक वर्ष निराशाजनक रहा है। 2024 के जनवरी से अब तक मात्र 19 आवेदन प्राप्त हुए जहां मैरिज रजिस्ट्रेशन का कार्य पूर्ण करते हुए निष्पादित किया गया। वहीं फारबिसगंज के अवर निबंधक आलोक रंजन ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के जनवरी से अक्टूबर तक मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए 26 आवेदन प्राप्त हुए जहां 20 आवेदन निष्पादन किया गया। जोकीहाट के अवर निबंधक सत्य प्रकाश आनंद ने चालू वित्तीय वर्ष में अब तक विवाह निबंधन के लिए मात्र तीन आवेदन में एक का निष्पादन किया गया है। विवाह निबंधन नियमावली 2006 के तहत वार्ड पार्षदों व मुखिया को विवाह निबंधन कराने का अधिकार दिया गया है। इसके तहत वार्ड पार्षदों और मुखिया को अपना नाम, पता, कार्यकाल व हस्ताक्षर के नमूने जिला अवर निबंधन को उपलब्ध करना होता है।