आवास योजना के लाभार्थियों को पहले अपने जॉब कार्ड के लिए पंचायत रोजगार सेवक को आवेदन देना होगा। इसके बाद, आवास सहायक द्वारा उनके घरों का जिओ टैग किया जाएगा। जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तब उन लाभार्थियों का नाम आवास योजना की प्रतीक्षा सूची में शामिल किया जाएगा। इस कदम से आवास विहीन लोगों को एक नई उम्मीद की किरण मिली है, लेकिन इस बीच कुछ सावधानियां भी बरतनी जरूरी हैं।
हाजीपुर में जिओ टैगिंग की इस कवायद के दौरान, प्रखंड विकास पदाधिकारी ने लोगों को सलाह दी है कि वे जॉब कार्ड और जिओ टैगिंग के नाम पर चल रहे दलालों से सतर्क रहें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रक्रिया के लिए कोई राशि किसी भी व्यक्ति को नहीं देनी है। यदि किसी व्यक्ति द्वारा पैसे की मांग की जाती है, तो लोग तुरंत प्रखंड विकास पदाधिकारी के मोबाइल पर इसकी शिकायत करें। यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि लाभार्थियों को घर देने की इस प्रक्रिया में कोई बिचौलिया न आए और वास्तविक सहायता सीधे सीधी मिले।
आज सोमवार को बिशुनपुर बलभद्र उर्फ गौसपुर पंचायत के अंतर्गत ग्राम अहिआई के वार्ड नंबर 1 में दलित और महादलित बस्तियों के झुग्गी झोपड़ी तथा कच्चा मकान का जिओ टैग किया गया। इस अवसर पर आवास सहायक विक्रम कुमार, सरपंच नरेश पासवान, पंचायत समिति सदस्य धर्मेंद्र कुमार, और कई समाजसेवी भी मौजूद थे। इस आयोजन में स्थानीय लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता प्रदर्शित की।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिओ टैगिंग की यह प्रक्रिया सिर्फ एक तकनीकी कार्य नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक पहल है, जो गरीबों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही है। जब हम देखते हैं कि इतनी सारी योजनाएं लोगों की भलाई के लिए बनाई गई हैं, तो यह हमारी जिम्मेदारी बन जाती है कि हम उन्हें सही तरीके से लागू करें।
इस सभी गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य है कि जिन परिवारों के पास पक्का मकान नहीं है, उन्हें आवास उपलब्ध कराया जाए। इससे न केवल उनके जीवन स्तर में सुधार होगा, बल्कि यह उन लोगों के आत्मविश्वास को भी जगाएगा जो आज तक अपने लिए एक सुरक्षित और स्थायी आशियाना खोज रहे हैं।
आगे बढ़ते हुए, यह हमें समझना होगा कि जिओ टैगिंग और आवास योजना जैसे कार्यक्रमों का लाभ उठाने के लिए जागरूकता आवश्यक है। इसे सही तरीके से लागू करना और अपितु समाज के हर तबके तक पहुंचाना ही इस योजना का असली उद्देश्य है। इस प्रकार, हाजीपुर में चल रही जिओ टैगिंग की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आवास विहीन लोगों के जीवन में बदलाव ला सकती है।