Nation- PAK पर बदले-बदले नजर आ रहे फारूक अब्दुल्ला, बातचीत के बजाय अब जंग की क्यों कर रहे बात?- #NA

फारूक अब्दुल्ला
पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में गुस्सा का माहौल बना हुआ है और पाकिस्तान को करारा जवाब देने की मांग की जा रही है. हमले के बाद पीएम मोदी ने खुले मंच से आतंकियों को मिट्टी में मिलाने की चेतावनी देने के साथ-साथ भारतीय सेना को ‘फ्री हैंड’ दे दिया है. पहलगाम अटैक के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला के सियासी तेवर पूरी तरह से बदले-बदले नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं पाकिस्तान के खिलाफ सख्त तेवर अपना रखा है और मोदी सरकार के साथ मजबूती से खड़े नजर आ रहे हैं.
कश्मीर समाधान के लिए पाकिस्तान से बातचीत की सलाह देने वाले फारूक अब्दुल्ला अब पाकिस्तान को ही सबक सिखाने और उससे हाथों से पीओके को छीनने बात कर रहे हैं. इतना ही नहीं फारूक अब्दुल्ला के बेटे और जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में हमले के दर्द का बंया करते हुए आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ जमकर हमले किए. उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले पर कश्मीर का दर्द बयां किया तो उनके पिता फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को घेरते नजर आ रहे. ऐसे में सवाल उठता है कि अब्दुल्ला परिवार क्यों बदला-बदला नजर आ रहा?
पाकिस्तान के खिलाफ अब्दुल्ला का सख्त तेवर
पहलगाम हमले के बाद फारूक अब्दुल्ला ने आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खुलकर खड़े होने का भी ऐलान किया. इसके बाद पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि भारत अब कमजोर नहीं है और जो भी साजिश रचेगा, उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को पूरा समर्थन है, अब उन्हें जो जरूरी लगे, वह करें. देश की सुरक्षा से बड़ा कुछ नहीं है. ऐसे में सरकार से सवाल पूछने के बजाय साथ खड़े होने का है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अगर भारत से दोस्ती चाहिए, तो उसे अपनी नीतियां बदलनी होंगी, वरना भारत हर हालात के लिए तैयार है.
अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के दुष्प्रचार और उसके सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की दो-राष्ट्र सिद्धांत पर भड़काऊ टिप्पणियों की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि पीएम को पहलगाम हमले के जवाब में जो भी जरूरी कदम उठाने हैं, उसे उठाए हम साथ खड़े हैं. अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकवाद की फैक्ट्री खत्म करनी होगी. जब भी आक्रमण हुआ है, उनकी (पाकिस्तान) तरफ से हुआ है. ऐसे में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से बातचीत की बात कहना मेरी सबसे बड़ी गलती थी. उन्हें इस पर अफसोस है.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम सरकार के साथ हैं और हम चाहते हैं कि आतंकवाद बिल्कुल खत्म हो. अब जड़ से इसे उखाड़ा जाए. जो इसके पीछे जिम्मेवार हैं, उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए. हर हमले के बाद पाकिस्तान कहता है कि हमारा हाथ नहीं, अरे आप नहीं तो फिर कौन है. हमला करने वाले दरिंदे हैं. जब मौलाना अजहर को छोड़ा था तो मैंने मना किया था. हम आज उसी चीज का खामियाजा उठा रहे हैं. अब आगे ऐसा नहीं होना चाहिए. आतंकवाद की फैक्ट्री को बंद करने का समय आ गया है.
पहलगाम हमले से पिघले फारूक अब्दुल्ला
पहलगाम आतंकी हमले से फारूक अब्दुल्ला का दिल पिघल गया है. इसीलिए पाकिस्तान से बातचीत की मशवरा देने की बात पर फारूक अब्दुल्ला अब शर्मिंदा हैं और मांफी मांग रहे. उन्होंने खुद कहा कि मैं उस बात को लेकर अब शर्मिंदा हूं. खुद अफसोस करता हूं जिस चीज को कहता था, आज उससे हार गया. उन्होंने (पाक) मुझे हरा दिया. वो मानते ही नहीं थे. वो बातचीत के टेबल पर आने को तैयार ही नहीं. क्या वो कश्मीर को ले सकते हैं, क्या कश्मीर वाले उनके यहां जा सकते हैं? नहीं.
फारूक अब्दुल्ला ने तो लगे हाथों पीएम मोदी से पीओके वापस लेने की भी मांग उठा दी है. उन्होंने कहा कि संसद में यह पास है कि पीओके हमारा हिस्सा है. मैं तो देखना चाहता हूं कि सरकार इसे ले. हमने कभी नहीं रोका. फारूक अब्दुल्ला भारत को मानता है. फारूक अब्दुल्ला अपने पुराने पाकिस्तान परस्त वाले स्टैंड पर शर्मिंदगी जाहिर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि उस वक्त मैं गलत था. मैं समझता था कि उनको अक्ल आएगी. मगर मैं गलता था. वो गुजरा जमाना था, जब मैंने ये बात कही. मुझे उस पर अफसोस है. अब मैं देखना चाहता हूं कि भारत पीओके को वापस ले. फारूक अब्दुल्ला रोकने वाला नहीं है. न उस वक्त रोकने वाला था और न आज रोकने वाला हूं.
फारूक अब्दुल्ला क्यों बदले-बदले नजर आ रहे?
फारूक अब्दुल्ला बहुत मंझे हुए नेता हैं और तमाम सियासी उतार-चढ़ाव देख चुके हैं. वो इस बात को जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म होने के बाद से स्थिति बदल गई है. कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान किसी भी स्थिति में नहीं है और भारत की पकड़ मजबूत हुई है. कश्मीर के लोगों का भरोसा और विश्वास भी देश के प्रति बढ़ा है. इसका नतीजा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान दिखा और पहलगाम आतंकी हमले के बाद जिस तरह से कश्मीर के लोग सड़क पर उतर आए और आतंकवादी के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार किया. कश्मीर की मस्जिदों से भी पहलगाम हमले की निंदा की गई है, वो बदले हुए कश्मीर की दास्तां को बयां कर रहा है.
पहलगाम हमले में आतंकियों के टारगेट पर पर्यटक रहे. पहलगाम में पर्यटकों पर हमला सिर्फ कश्मीरियत और इंसानियत पर ही चोट नहीं है बल्कि कश्मीरी आवाम के पेट पर लात भी है. जम्मू-कश्मीर के 36 साल के आतंकवाद के दौरान पर्यटकों पर इतना बड़ा हमला कभी नहीं हुआ. यह घटना उस जगह पर हुई है, जहां पर पर्यटक घूमने और देखने के लिए जाते हैं.
कश्मीर के लोगों का कहना है कि यह इंसानियत कत्ल है. कश्मीरी लोगों की मेहमान नवाजी का कत्ल हैं. कश्मीरी आवाम के रोजगार पर हमला है. जम्मू के साथ-साथ कश्मीर घाटी के लोगों का भी मानना है कि पहलगाम हमले ने शर्म से उनका सिर झुका कर दिया. उमर अब्दुल्ला ने भी कहा कि किस मुंह से माफी मांगू, लोग घूमने आए थे, लेकिन हम उन्हें वापस नहीं भेज सके.
जम्मू-कश्मीर की आर्थिक व्यवस्था टूरिज्म पर टिकी हुई है और कश्मीरी आवाम के एक बड़ा रोजगार का साधन है. देश और दुनियाभर से लोग कश्मीर घूमने और सैर-सपाटा करने के लिए कश्मीर आते हैं, जिससे कश्मीर के लोगों की कमाई होती है. यह आतंकी हमला उस समय हुआ जब पर्यटन का सीजन अपने चरम पर है और पहलगाम में भारी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं. ऐसे में यह हमला कश्मीर की आवाम के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि आतंकी हमले का सीधा असर जम्मू-कश्मीर जाने वाले सैलानियों पर पड़ा है. इस बात को फारूक अब्दुल्ला भी समझ रहे हैं, जिसके चलते आक्रामक तेवर अपना रखा है. पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन की मांग कर रहे हैं.
PAK पर बदले-बदले नजर आ रहे फारूक अब्दुल्ला, बातचीत के बजाय अब जंग की क्यों कर रहे बात?
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