देश- मंडल से लेकर बूथ तक बदलाव, कॉर्डिनेशन पर फोकस.. महाराष्ट्र के इन फॉर्मूलों से बिहार जीतेगी बीजेपी?- #NA
मंडल से बूथ तक बदलाव… महाराष्ट्र के फॉर्मूलों से बिहार जीतेगी BJP?
भारतीय जनता पार्टी ने जिस रणनीति से महाराष्ट्र में बड़ी जीत हासिल की है, उसे अब बिहार में लागू करने की तैयारी में है. बीजेपी में इसको लेकर आखिरी दौर की बैठक चल रही है. 243 विधानसभा सीटों वाली बिहार में अक्टूबर 2025 में विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित है.
बीजेपी यहां नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (आर), उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमा और जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ के साथ चुनाव लड़ेगी.
बिहार में बीजेपी की रणनीति क्या है?
बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ने फिर से पटना का किला फतह करने के लिए संगठन को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है. पार्टी इसके लिए मंडल और जिला स्तर पर काम कर रही है. बिहार में कुल 38 राजस्व जिले हैं, लेकिन बीजेपी अपने संगठन के लिहाज से पूरे बिहार को 51 जिलों में बांटने का फैसला किया है.
अब तक बीजेपी बिहार में 45 जिलाध्यक्ष नियुक्त कर रही थी, लेकिन अब 51 जिलाध्यक्षों को नियुक्त करेगी. 30 दिसंबर से पहले बीजेपी जिलेवार अध्यक्षों का नाम घोषित करेगी. पार्टी में 2 बार से ज्यादा समय तक जिलाध्यक्ष पद पर रहने वाले नेताओं की छुट्टी होगी.
वहीं पार्टी ने उम्र फैक्टर भी तैयार किया है. बिहार में 60 साल से ज्यादा उम्र के नेता बीजेपी के जिलाध्यक्ष नहीं बन पाएंगे. इसके अलावा पार्टी ने मंडल स्तर पर भी बड़ा बदलाव किया है.
बिहार में वर्तमान में बीजेपी के पास 1100 मंडल है. पार्टी अब इसे भी विस्तारित करेगी. जिन मंडल में 60 से ज्यादा बूथ है, उसे दो भागों में विभाजित किया जाएगा. यानी एक मंडल अध्यक्ष अब सिर्फ 60 बूथों की मॉनिटरिंग करेंगे.
मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति भी पार्टी इसी महीने पूर्ण कर लेगी.
जिला स्तर पर कॉर्डिनेशन टीम
एनडीए के भीतर बेहतर तालमेल के लिए बिहार में समन्वय अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान के तहत एनडीए के नेता और कार्यकर्ता जिला और मंडल स्तर पर बैठक करेंगे. बीजेपी बिहार में इस बार भी नीतीश कुमार के चेहरे पर मैदान में उतरेगी.
कॉर्डिनेशन को दुरुस्त करने के लिए जिला स्तर पर टीम का गठन किया जाएगा. टीम में बीजेपी और जेडीयू के जिलाध्यक्ष मुख्य भूमिका में होंगे. इसके अलावा बाकी सहयोगी पार्टी के जिलाध्यक्ष कमेटी के सदस्य होंगे.
क्षेत्र वार तैयार की जा रही रणनीति
बीजेपी अपने परफॉर्मेंस को मजबूत करने के लिए क्षेत्र वार रणनीति तैयार कर रही है. मिथिलांचल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं. वहां पार्टी ने जूग-जूग जीबू मोदीजी (युगों-युगों तक जिएं मोदीजी) नारा दिया है. बीजेपी मिथिलांचल में किए अपने पुराने और नए कामों को भी लगातार केंद्र में ला रही है.
हिंदुत्व के मुद्दे के जरिए पार्टी सीमांचल साध रही है. हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भागलपुर से किशनगंज तक यात्रा निकाली थी. इस यात्रा में सांसद, विधायक और स्थानीय कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुटी थी.
वो भी तब, जब पार्टी ने इसे आधिकारिक यात्रा नहीं कहा था. मिथिलांचल और सीमाचंल इलाके में बिहार की करीब 100 सीटें हैं.
सफल है माइक्रो मैनेजमेंट का फॉर्मूला
महाराष्ट्र में बीजेपी की इतनी बड़ी जीत के पीछे संगठन के माइक्रो मैनेजमेंट का ही फॉर्मूला है. 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन महाराष्ट्र की 17 सीटों पर सिमट गई, जो कुल 48 सीटों का करीब 30 प्रतिशत है.
इस हार के बाद बीजेपी ने संगठन के स्तर पर माइक्रो मैनेजमेंट का फॉर्मूला तैयार किया. इसकी मॉनिटरिंग खुद चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ने की. बीजेपी का यह फॉर्मूला काम कर गया और पार्टी सबसे ज्यादा 132 सीटों पर जीत गई.
माइक्रो मैनेजमेंट फॉर्मूले के तहत बीजेपी ने संगठन को छोटी-छोटी इकाइयों में बांटकर अपने नैरेटिव को लोगों तक पहुंचाने का काम किया.
महाराष्ट्र से पहले मध्य प्रदेश में भी बीजेपी इस फॉर्मूले का उपयोग कर चुकी है. यहां भी पार्टी ने संगठन के जरिए ही सरकार के खिलाफ उपजे एंटी इनकंबेंसी को खत्म किया था.
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