वाराणसी: बीएचयू ट्रामा सेंटर में एडमिट बच्ची तीन साल बाद ICU से निकली, गर्दन पर थी चोट #INA

वाराणसी के बीएचयू ट्रामा सेंटर में बीते तीन साल से 11 साल की एक लड़की आईसीयू में है और अभी भी जिंदगी और मौत से जूझ रही है. बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले  एक चाय बेंचने वाली की लड़की आज प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड योजना के कारण असाध्य बीमारी के बावजूद जिन्दा है. बीएचयू ट्रामा सेंटर के बाहर व्हील चेयर पर बैठी 11 साल की ये लड़की प्रिया गुप्ता तीन साल बाद आईसीयू से बाहर अपने माता पिता के साथ बैठी सकी. आईसीयू में जब एडमिट  इसकी उम्र आठ साल थी. अब ग्यारह साल की होने के बावजूद वह पूरी तरह से ठीक नहीं है.

इसके पिता कहते है की हमारी बेटी स्कूल गई थी. वहां एक लड़की ने उसे धक्का दिया और वो गमले पर गिर गई. उसके सिर के पिछले हिस्से में चोट लगी और फिर उसकी ऐसी हालत हुई की डॉक्टर्स ने जिंदा बचने की उम्मीद छोड़ दी. मगर बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर्स ने मेरी बेटी को नया जीवन दिया है.

साल 2022 से इलाज चल रहा है. आयुष्मान कार्ड के जरिए अभी तक उसके ऊपर 15 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं. हम प्रधानमंत्री के शुक्रगुजार है की आज मेरी बेटी इस इलाज के जरिये ज़िंदा है और हमें उम्मीद है की वो ठीक हो जाएगी. 

मिट्टी के गमले पर गिरी जिससे उसे गर्दन के पीछे चोट लगी

प्रिया के पिता मुन्ना गुप्ता बिहार के रोहतास जिले के सेमरी गांव के रहने वाले हैं और चाय की दुकान चलाते थे. मुन्ना ने बताया- मेरी बेटी स्कूल जाती थी. एकलौती होने की वजह से वो मेरी और पत्नी की लाडली बिटिया है. साल 2019 में एक दिन अचानक से स्कूल से फोन आया कि आप की बेटी गिर गई है. उसे सिर में चोट लगी है. वहां पहुंचे तो पता चला किसी लड़की ने खेलते समय प्रिया को धक्का दिया. वो सीधे मिट्टी के गमले पर गिरी जिससे उसे गर्दन के पीछे चोट लगी. 

उसके बाद से वो इसी हालत में है. हम भी सब छोड़कर अपनी बेटी के पास है. यहां ऑपरेशन हुआ जिसके बाद उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी. उसका अब इलाज चल रहा है. जो की आयुष्मान कार्ड से बिलकुल मुफ्त हो गया है. धीरे-धीरे बेटी जैसे बेड पर लेट गई थी अब रिकवर कर रही है लेकिन अभी भी उसे सांस लेने में दिक्कत होती है. इसलिए अस्पताल में है.

सर्वाइकल की सी-1 और सी-2 में इंजरी हुई थी

बीएचयू ट्रामा सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि साल 2022 में जब प्रिया यहां आयी तो हमने उसकी केस हिस्ट्री को समझा तो पता चला वो स्कूल में गिरी थी और उसकी गर्दन में चोट लगी थी. जिससे उसके सर्वाइकल की सी-1 और सी-2 में इंजरी हुई थी और दोनों टूट के अलग हो गई थी. उसे चलने फिरने में दिक्कत होने लगी. जिला अस्पताल ने उसे यहां रेफर किया था. तब से ही बच्ची यहां एडमिट है और उसका इलाज जारी है. जब   से प्रिया यहां है ता से ही उसका इलाज आयुष्मान से हो रही है. आयुष्मान से जो सुविधा मिलती है वो भी और जो अस्पताल की सुविधा है वो भी हम मुफ्त में दे रहे हैं. तीन साल से वो यहां है तो सरकार अभी तक उसे 15 लाख रुपए दिए हैं. उसे सारी सुविधा ट्रामा सेंटर की सबसे पहले दी जाती है.


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