सेहत – ब्लीडिंग आई वायरस: इस वायरस की चपेट में आंखों से दिखता है खून! अब तक 15 की मौत, 17 देशों में जारी याचिका

Table of Contents

मारबर्ग वायरस के लक्षण और कारण: अभी तक दुनिया से कोविड खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है और नया-नया वायरस भी फेल हो रहा है। इन दिनों अफ़्रीका देश रवांडा में मारबर्ग वायरस का ख़ज़ाना है और इसकी वजह से 15 लोगों की मौत हो गई है। सैकड़ों लोग मारबर्ग वायरस से प्रभावित हो गए हैं और इसके बढ़ते खतरे को देखते हुए करीब 17 देशों में शोधकर्ताओं की याचिका जारी की गई है। मारबर्ग वायरस की वजह से लोगों की आंखों से खून भी निकलता है, जिसकी वजह से इसे ब्लीडिंग आई वायरस (ब्लीडिंग आई वायरस) भी कहा जाता है। इस वायरस से जुड़ी जरूरी बातें जान लें.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार मारबर्ग वायरस इबोला वायरस परिवार से ही टकराया है, जो सबसे पहले हेमरेजिक बुखार का कारण बना है। यह वायरस लोगों की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और आंतों में खून की कमी पैदा कर सकता है। मारबर्ग वायरस एक जूनोथोसिक वायरस है, यानी यह इंसानों से अलग होता है। यह विशेष रूप से चमगादड़ों से उत्पन्न होता है और रक्त, यूरिन या लार के संपर्क में आने से मनुष्यों में उनकी पहचान होती है। यह वायरस बेहद खतरनाक है और इससे कई लोगों की जान चली जाती है।

मारबर्ग वायरस के लक्षण क्या होते हैं?

यूके के अनुसार मारबर्ग वायरस के लक्षण इबोला वायरस जैसे होते हैं। इस वायरस की चपेट में लोगों को तेज बुखार, तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, गले में खराश, दस्त और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गंभीर मामलों में यह वायरस बैक्टीरिया ब्लीडिंग, स्ट्रेच फेलियर के कारण बन सकता है, जिससे लोगों की मृत्यु हो सकती है। वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ता है, तो इससे वजन में अचानक गिरावट, नाक, आंख, मुंह या योनि से खून निकलना और मेंटल कंफ्यूजन की समस्या पैदा हो सकती है। यह वायरस 1961 में सबसे पहले जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में मिला था।

मारबर्ग वायरस का विस्तार क्या है?

मारबर्ग वायरस के लिए कोई भी रेटिंग उपलब्ध नहीं है। इस वायरस की मृत्यु दर 24% से लेकर 88% तक हो सकती है। इस वायरस की चिप में लोगों को खुलासे के आधार पर दिखाया गया है। इस समय मारबर्ग वायरस का प्रभावशाली ब्लड प्रोडक्ट्स, अमीर थायरेपी और कुछ औषधियां बनाई जा रही हैं। इस वायरस की अभी तक कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया शुरुआती चरण में है। ऐसे में इस वायरस की चपेट में आने से लोगों की कंडीशन गंभीर हो सकती है.

ब्लीडिंग आई वायरस से बचाव कैसे करें?

मारबर्ग वायरस प्रोटेस्ट लोगों के संपर्क में आने से स्केट। यह शरीर के तरल पदार्थों से लेकर अन्य लोगों तक में पाया जा सकता है। इस तरह के बचाव के लिए मारबर्ग वायरस के संक्रमण वाले क्षेत्र में नहीं। सोशल फैब्रिक, मास्क का इस्तेमाल और हाथों का बार-बार धोने से इस वायरस से बचा जा सकता है। इसके अलावा किशोरों के साथ सीधे संपर्क से गर्भपात। इस वायरस से बचने के लिए सावधानी जरूरी है।

यह भी पढ़ें- लंबे समय तक एंटीबायोटिक दवा लेना खतरनाक, इस बीमारी का है खतरा! रिसर्च में बड़ा खुलासा


Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News