सेहत – अगर आपका ब्लड ग्रुप है ये तो जीवन में कभी नहीं आएगा हार्ट अटैक! खून में डूबे हैं कई ताले के राज, जानें अपना हाल
ब्लड ग्रुप बताता है हार्ट अटैक: ज्योतिष में जीवन की कहानियों को समझने के लिए भविष्यवाणी की जाती है। इसका जन्म कुंडली कहा जाता है। लेकिन कुंडली की तरह आपका ब्लड ग्रुप भी है. असल में, ब्लड ग्रुप से कई शर्तों का पता लगाया जा सकता है। आपका ब्लड ग्रुप आपके स्वास्थ्य जोखिम की खिड़की की तरह है। कई तरह की दवाओं में कहा गया है कि खास ब्लड ग्रुप से खास तरह की गारंटी का भुगतान किया जा सकता है। मुख्य रूप से चार प्रकार के रक्त समूह होते हैं, ए, बी, एबी और ओ। चार ब्लड ग्रुप में मोटी-मोटी बस्ती के कुछ संकेत मित्र हो सकते हैं। किसी ग्रुप वाले को हार्ट की बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है तो किसी ग्रुप वाले को पेट की बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। आइए जानते हैं कि किस ब्लड ग्रुप वाले को किस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
हर ब्लड ग्रुप के अलग संकेत
- रक्त समूह ए : टीओआई की खबर के अनुसार जिस व्यक्ति का ब्लड ग्रुप ए है अगर उसकी लाइफस्टाइल ठीक नहीं है तो उसे जीवन में हार्ट डायज, गैस्ट्रिक कैंसर और चेचक होने का खतरा बहुत ज्यादा है।
- रक्त समूह बी:बी ब्लड ग्रुप वाले लोगों को टाइप 2 मरीजों का उच्च जोखिम रहता है। वहीं ऐसे लोगों को कुछ ऑटोइम्यून डिजीज भी हो सकते हैं। इसके अलावा स्केलेरोसिस डिजीज का भी खतरा रहता है।
- ब्लड ग्रुप एबी:जिस व्यक्ति का ब्लड ग्रुप ए.बी. है उसे याददाश्त एसोसिएट्स एसोसिएटेड है। ऐसे लोगों में याददाश्त उम्र से पहले दोस्ती हो जाती है। इसका कारण संभावित रूप से मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम होना है।
- ब्लड ग्रुप ओ: ओ ब्लड ग्रुप वाले का स्वास्थ्य वैसे भी बहुत अच्छा माना जाता है लेकिन इस ग्रुप वाले व्यक्ति को पेट के अल्सर और ब्लड एसोसिएट्स का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। वहीं ऐसे व्यक्ति को हार्ट डिजीज का भी खतरा सबसे ज्यादा होता है।
ब्लड टाइप का महत्व इतना क्यों है?
वास्तव में, ब्लड टाइप से यह पता चलता है कि किस तरह का एंटीजन बाय लॉजिकल शॉक प्रभाव डालता है। ब्लड ग्रुप में एंटीजन मार्कर की तरह काम करता है जो इम्यूनिटी सिस्टम को संकेत देता है। संक्रमण, सूजन और रक्त का थक्का जमना शरीर में किस तरह की प्रतिक्रिया करता है, इसके बारे में एंटीजन ही जानकारी देता है। टाइप ए ब्लड ग्रुप में विलिब्रांड फैक्टर का स्तर बहुत अधिक होता है। विलिब्रांड फैक्टर एक प्रोटीन है जो ब्लड क्लॉटिंग में चिपक जाता है। जब ब्लीडिंग होती है तो यह आसानी से खून में लथपथ खून को रोक देता है लेकिन जब यह ज्यादा हो जाता है तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह का व्यवहार सभी ब्लड ग्रुप के साथ होता है। हालाँकि 2021 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि ब्लड ग्रुप के व्यवहार के कारण ऐसा कहा जा सकता है कि ऐसा होगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी को बीमारी ही होगी। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ब्लड ग्रुप किसी बीमारी का कारण बन सकता है।
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पहले प्रकाशित : 3 दिसंबर, 2024, 16:36 IST
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