सेहत – मीट खाने से कैंसर क्या होता है? हर इंसान के लिए ये जानना जरूरी है, इस खोज में छुपी है बात उत्तर

मांस बन सकता है कैंसर का कारण: कई साइंटिफिक रिसर्च में कहा गया है कि रेड मीट या स्टोर्ड मीट के अधिक सेवन से कैंसर होता है। क्लीवलैंड के स्टार ऑन्किस्टिक्स डॉ. आलोक खोराना की भी यही बात मानी जाती है कि कोलन कैंसर के ज्यादातर मामले इटली में सबसे ज्यादा होते हैं। खासकर जो लोग रेड मीट खाते हैं. रेड स्टील और आमलेट के चक्कर में फंसने से पहले यह जान लें कि रेड मीट और आमलेट के चक्कर में क्या होता है। रेड मीट और इलेक्ट्रिक मीट का चलन विदेश में सबसे ज्यादा है। पक्षी, मुर्ग आदि को बचे हुए टुकड़ों से जो पदार्थ होता है उसे रेड मीट कहते हैं। हालंकी जब चिकन से नगेट मिर्च तो यह आम बन जाता है। भारत में बकरे या भेड़ के मांस इसी श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा जब भी इसे बेकन के रूप में बनाया जाता है, तब तक इसे बनाने में अधिक समय लगता है। आमतौर पर भारत में इलेक्ट्रानिक मीट का चलन समान नहीं है। गाइन-चीनी जगह पर लोग आइसलैंड का सेवन करते होंगे।
कैंसर वाले मीट के दो ग्रुप
अब सवाल है कि रेड मीट से कैंसर क्या होता है। 2015 में कैंसर पर रिसर्च के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ने 800 फार्मासिस्टों का विश्लेषण किया। इनमें से ज्यादातर में रेड मीट से लेकर कैंसर के मामले सामने आए थे. इंटरनेशनल एजेंसी ने निकाली यह खोज, इस बात में कितनी है सच्चाई. इस अध्ययन में कई ऐसे अध्ययन शामिल थे जिनमें खान-पान और कैंसर के बीच का लिंक जोड़ा गया था। इन फ़ायरिंग के आधार पर एजेंसी ने रेड एंड स्टोकॉल्ड स्टोर्स से दो तरह के कार्सिनोजन जोखिम को बढ़ावा दिया। उनका मानना था कि रेड मीट से कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा है। हालाँकि सभी प्रकार के कार्सिनोजन जोखिम एक जैसे नहीं होते। हॉट डॉग से जो कार्सिनोजन का खतरा है वह कहीं और है। एजेंसी ने 2 ए कार्सिनोजन ग्रुप बनाया। इसमें उन्होंने रेड मीट को रखा था। इस ग्रुप का मतलब है कि इससे संभावित रूप से इंसान को कैंसर हो सकता है। डॉ. आलोक खोराना ने बताया कि इस अध्ययन का आधार सीमित है और इसमें कहा गया है कि रेड मीट खाने से कैंसर हो सकता है।
मसाले से कैंसर के पक्के सबूत
एजेंसी ने एस्ट्रोलॉजी का समूह 1 कार्सिनोजन माना है। इसका मतलब यह है कि इस के पक्के सबूत हैं कि रेड चीज से कैंसर होता है. डॉ. आलोक खोराना ने बताया कि इसका क्या मतलब है कि रेडियोधर्मिता से कैंसर का खतरा ही जहरीला टॉक्सिक, शराब और सूरज की अल्ट्रावायलेट किरण से है। एक पहले अध्ययन में यह भी पाया गया था कि सिगरेट या धूम्रपान करने से भी कार्सिनोजेन तत्व निकलते हैं। संपूर्ण अध्ययन का लैबोरेटरी यह है कि रेड स्ट्रेट से भी कैंसर का खतरा बहुत अधिक होता है जबकि रेड सेंस से कैंसर का खतरा बहुत अधिक होता है। आमतौर पर अध्ययन में पाया गया है कि रेड या स्टोएडम का अधिक मात्रा में सेवन करने से लोगों को कोलन कैंसर हो सकता है। इसलिए बेहतर यही है कि रेड मीट का सेवन कम से कम किया जाए।
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पहले प्रकाशित : 2 दिसंबर, 2024, 12:04 IST
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