सेहत – कैंसर की इन 3 महिलाओं की गर्लफ्रेंड हुई कम! अब तक तीन लाख को कास्ट किया गया, कारखाने को बड़ी राहत दी गई

कैंसर की दवाओं की लागत में कमी: भारत में कई तरह के कैंसर के लिए इस्तेमाल की जाने वाली 3 दवाइयाँ कम हो गई हैं। मेडिसिन ने ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ओसिमर्टिनिब और डर्वालुमैब औषधियों पर प्रमुख खुदरा मूल्य (एमआरपी) घटाना शुरू कर दिया है। केंद्रीय रसायन और मानक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने एक लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ने तीन डेयरी/फॉर्मूलेशन परफैक्ट कस्टम ड्यूटी (बीसीडी) को हटाने और 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत को हटाने के लिए अधिसूचना जारी की थी।

राज्य मंत्री ने बताया कि दवा के बाद मारा गया ने इन औषधियों पर एमएपी को हटा दिया है और राष्ट्रीय औषधि मूल्य कन्वेयर (एनपीपीए) के पास की सूचना दी है। एनपी पीए ने एक नोटिस जारी कर कहा कि गेमिंग में कमी और सीमा शुल्क से छूट के कारण इन दवाओं पर एमएपी कम करने का निर्देश दिया गया था, ताकि उद्यमियों को मिल सके और जिले में बदलाव के बारे में जानकारी दी जा सके। बजट में मोदी सरकार ने कैंसर से पीड़ित लोगों के सामान को कम करने के लिए 3 कैंसर मरीजों को सीमा शुल्क से छूट दी थी।

किन-किन कैंसर में इस्तेमाल होती हैं ये दवा?

नई दिल्ली सर गंगाराम अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के डॉ. श्याम अग्रवाल ने News18 को बताया कि ट्रैस्टुजुमैब डेरेक्सटेक्न का उपयोग किया जाने वाला पदार्थ कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। पहले वैज्ञानिक कैंसर की दवा ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन की कीमत करीब 58 हजार रुपये तक थी। बायोकॉन की दवा केनेमेब की एक अलग कीमत 54622 रुपये थी। यह दवा कैंसर के मरीज को 3 सप्ताह में एक बार लेनी होती है। ओसिमर्टिनिब दवा फेफड़े के कैंसर यानी फेफड़े के कैंसर के लिए है। भारत में यह दवा एस्ट्रेजेन्का कंपनी की कंपनियां हैं। यह दो अलग-अलग है, प्रॉडक्ट कीमत 1.50 लाख रुपये के आसपास थी। अब इन दोनों दवाओं की कीमत थोड़ी कम हो गई है।

डॉक्टर श्याम अग्रवाल के डर्वालुमैब दवा फेफड़े के कैंसर और पित्त पथ के कैंसर दोनों के लिए है। डर्वालुमैब दवा से यूरिनरी ब्लेडर यानि कि आइसोलिस्टिक अल्कोहल जो कैंसर होता है, उसका इलाज किया जाता है। लंग कैंसर में भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है। डर्वालुमैब दवा भी भारत में एस्ट्रोजेनेका कंपनी की ही जगह है। इस दवा के भी दो अलग-अलग प्रकार हैं. इसकी कीमत 45500 रुपए से लेकर 189585 रुपए तक है। डॉक्टर ने बताया कि सभी प्रकार के कैंसर की रोकथाम के उपाय बताए गए हैं और इस कारण से इसकी कीमत बहुत अधिक है। इनमें से कुछ विकल्प विकल्प भारत में उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर उपकरण उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए जो लोग विदेशी औषधियां प्राप्त करने में सक्षम हैं, उन्हें यही दवाएं दी जाती हैं।

इन औषधियों की कीमत कितनी कम हो गई है?

दिल्ली एम्स के आईआरसीएच में डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी में इंजीनियर्स प्रोफेसर डॉ. अजय गोगिया के अनुसार कैंसर की वैज्ञानिक चिकित्सा से पहले से ही बहुत सारे चकत्ते होते हैं और केवल 5% रोगी ही अयोग्यता में सक्षम होते हैं। बजट में इन औषधियों पर कस्टम कस्टम रिमूवल और बिजनेस कम करने के बाद इन औषधियों की दुकानों में लगभग 10-12% की कमी है। उदाहरण के लिए अगर किसी मरीज को पहले एक महीने में 4 लाख रुपये की दवा खरीदी गई थी, तो इस राहत के बाद उनकी कीमत 3 से 3.50 लाख के आसपास हो जाएगी। इस प्रकार के यात्रियों को हर महीने लगभग 40 से 50 हजार रुपये की राहत मिलेगी। हालाँकि इन औषधियों की कीमत अभी भी काफी ज्यादा है।

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