सेहत – 35 साल की उम्र में भी युवा क्यों हो रहे हैं कार्यकर्ताओं के शिकार की बात, बिना लक्षण कैसे पता करें, मधुमेह रोग से पूरी तरह समझें

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कम उम्र में मधुमेह : ऐसा विकार है जो शरीर की सुरक्षा प्रणाली को इतना कमजोर कर देता है कि शरीर एक समय के बाद अपनी सुरक्षा बंद कर देता है। इसका मतलब है कि जोड़ों का दर्द के कारण गुर्दे खराब हो जाएंगे और इससे शरीर पर सभी तरह के प्रभाव पड़ेंगे। अगर इसका समय पर इलाज नहीं होगा तो हृदय सहित कई तरह की समस्याएं होंगी जो ठीक होना मुश्किल हो जाएगा। अगर किसी का वजन ज्यादा है और वह बराबर है तो इसका परिणाम और भी ज्यादा बुरा होता है। सबसे चिंता की बात तो ये है कि आजकल युवाओं को भी परेशानी होने लगी है. यहां तक ​​कि 35-40 साल की उम्र वालों को भी. वैसे ही भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग सिगरेट के मरीज हैं. यदि युवाओं में यह बीमारी है, तो युवा आयु से विभिन्न प्रकार के तत्वों का सामना करना पड़ता है। इसलिए हमने इसका मूल कारण क्या है, इस विषय पर हमने मधुमेह रोग का निदान किया है डॉ. पारस अग्रवाल से बात की.

युवा क्यों हो रहे हैं आतंकियों का शिकार
मारेंगो एशिया स्टाक, डायबिटिज एवं ओबेसिटी विभाग में डॉ. पार्स अग्रवाल ने बताया कि इसका कारण क्या है, यह अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन यह बात पक्की है कि सेलेब्रिटी सेलेब्रिटी, अनहेल्दी खान-पान और मोटापा वर्कआउट होने का सबसे बड़ा कारण है। हालाँकि कुछ पारिवारिक कारण इसके लिए जिम्मेदार भी होते हैं। खासकर 35-40 साल पहले के युवाओं में अगर कोई नौकरी कर रहा है तो इसके पीछे पारिवारिक जीन भी जिम्मेदार हो सकता है। यानी उसके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी में से किसी को पहले से यह बीमारी होगी। मुख्य रूप से किशोरों में जो किशोरियों की बीमारी हो रही है उसके लिए वे स्वयं ही जिम्मेदार हैं। इनमें से अधिकांश युवाओं ने अपने घर, स्कूल-कॉलेज या आवास और मोबाइल में खुद को कैद कर लिया है। खेल-कूद या प्लास्टरबोर्ड बहुत कम हो रही है। बहुत कम युवा ही ग्राहक होते हैं. बॉडी बनाने के लिए विशेषज्ञ भी करते हैं ये काम. इन सभी गुणों से शरीर में विशिष्टता आती है। दूसरी ओर आज के युवा जंक फूड, फास्ट फूड आदि के दीवाने हो गए हैं। वे अक्सर बाहर खाना खाते हैं. घर में भी कीटनाशकों को ज्यादा तरजीह देते हैं। इनमें सूक्ष्मजीवों की मात्रा नहीं होती और माइक्रोन्यूट्रेंट्स भी लुप्त हो जाते हैं। ऐसे कार्बोहाइड्रेट कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत अधिक होती है जो शरीर में शर्करा को बढ़ाती है। शारीरिक लक्षण और अनहेल्दी खान-पान के कारण शरीर में वर्जिन हार्मोन कम बनता है या रेजिस्ट हो जाता है। व्यापार होने का प्रमुख कारण यही है.

इसका पता कैसे लगाएं
आमतौर पर वयस्कों में जब अधिक मात्रा में ब्लड शुगर का लेवल हो जाता है, तब इसका पता चलता है। इसमें बार-बार पेशाब आना, अधिक प्यास लगना, रात को पेशाब आना, थकान, कमजोरी जैसे साधारण लक्षण होते हैं लेकिन प्री-डायबिटिक स्टेज में शायद ही कोई लक्षण नज़र आता है। विशेषकर युवाओं में तो मुश्किल से ही विद्यार्थियों की बीमारी के लक्षण सामने आते हैं। इसलिए वे बेफ़िक्र रहते हैं कि उन्हें सहकर्मी नहीं हो सकते। डॉ. पारस अग्रवाल कहते हैं कि उनके करीबी सहयोगियों में से एक भी शामिल है, लेकिन उनका पता नहीं है। ऐसे में इसका एक ही तरीका है कि 20-22 साल की उम्र के बाद हर साल शुगर की जांच करें। शुरुआत में वर्क्स प्री-स्टेज में रहता है। ऐसे में इसे नियंत्रित करना बहुत आसान होता है. इसलिए शुगर जांच हर हाल में गोदाम में रहती है।

क्या करें कि कर्मचारी न हों
डॉ.पारस अग्रवाल कहते हैं कि एलर्जी का ख़तरा कम से कम हो, इसके लिए सबसे पहले अपने शरीर को स्टेरॉयड न देना ज़रूरी है। हमेशा कुछ न कुछ करते रहो. एक बार भी हैं तो एक जगह कुर्सी पर बैठे न रहें। आगे-एक घंटे के बाद 4-5 मिनट के लिए थोड़ा इधर-उधर उठें। नवीनतम में हर रोज़ इलैक्ट्रोन का प्रयोग किया जाता है। खेल-कूद में भाग लें के बाहर लगभग संभव हो। अगर सिर्फ पढ़ाई कर रहे हैं तो भी हर रोज एक घंटे का समय तय करें। युवा अवस्था में दौड़ेंगे तो सबसे ज्यादा फायदा होगा। इसके अलावा आप जॉगिंग, साइक्लिंग, तैराकी आदि भी कर सकते हैं। जिस काम में शरीर आपका थका जाए और खाना आ जाए वो काम जरूर करें। हफ्ते में ऐसा काम कम से कम पांच दिन जरूर करें। ग्राहकों के बाद अब आपको अनहेल्दी खान-पान पर लगानी होगी। सिगरेट, शराब, गैजेट जैसी बुरी लत से बिल्कुल दूर रहना और बाहर का खाना आसानी से संभव हो सके, घटिया सभी की पहुंच। घर का खाना प्रभावी. इसमें साबुत अनाज, दालें, पत्तेदार पत्ते और साबुत फलों का सेवन रोज करें। इसके बाद सीड्स, बादाम, ड्रमस्टिक्स आदि का सेवन मसाला।

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