National-स्लैब के लिहाज से कैसे कैलकुलेट करें अपना इनकम टैक्स? इस गाइड के जरिये जानें तमाम डिटेल – #INA
सरकार ने टैक्सपेयर्स को दो इनकम टैक्स रिजीम में से कोई एक विकल्प चुनने की सुविधा दी है: पुरानी रिजीम और नई रिजीम। हर रिजीम का टैक्स स्लैब, नियम और बेनिफिट अलग-अलग है। लिहाजा, लोग अपनी वित्तीय जरूरतों के हिसाब से विकल्प चुन सकते हैं। हम आपको यहां दोनों रिजीम के तहत इनकम टैक्स का आकलन करने के लिए जरूरी जानकारी पेश कर रहे हैं।
अपने टैक्स स्लैब को समझें
नई टैक्स रिजीम में आसान सिस्टम और कम टैक्स रेट है, लेकिन इसमें छूट का प्रावधान कम से कम है। इसके तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत छूट मिलती है और इसका फायदा उठाने के लिए टैक्सपेयर्स को निवेश का सबूत पेश करने या किसी तरह के अतिरिक्त डिस्क्लोजर की जरूरत नहीं होती है।
इस रिजीम के तहत टैक्स स्लैब:
इस रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन के जरिये 75,000 रुपये की छूट मिलती है और यह बड़ा फायदा है। दूसरी तरफ, पुरानी टैक्स रिजीम में ऊंची टैक्स दरें होती हैं, लेकिन टैक्सपेयर्स को कई तरह की छूट और कटौतियां क्लेम करने की सुविधा मिलती है।
पुरानी रिजीम में स्लैब:
इसके अलावा, पुरानी रिजीम में टैक्सपेयर्स सेक्शन 87A के तहत 5 लाख रुपये तक की इनकम पर 12,500 की छूट क्लेम कर अपनी टैक्स राशि जीरो कर सकते हैं।
अपने इनकम टैक्स का आकलन कैसे करें?
स्टेप 1: अपनी ग्रॉस इनकम कैलकुलेट करें
अपनी इनकम टैक्स कैलकुलेट करने की दिशा में पहला कदम अपनी ग्रॉस इनकम तय करना है। ग्रॉस इनकम, किसी तरह की टैक्स या छूट को लागू करने से पहले की इनकम होती है। इसमें ये चीजें शामिल हैं:
– सैलरी कंपोनेंट्स: इसमें आपका हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंटस (LTA) और कोई स्पेशल अलाउंस, मसलन रीइंबर्समेंट या फूड कूपन।
– इनकम का अन्य सोर्स: उदाहरण के तौर पर सेविंग्स एकाउंट्स से हासिल ब्याज, प्रॉपर्टीज से रेंटल इनकम या कोई फ्रीलांस अर्निंग।
टैक्सपेयर्स के लिए चीजें आसान बनाने के मकसद से इनकम टैक्स 1961 ने इनकम के तीन अलग-अलग स्रोतों को 5 हिस्सों में बांटा है।
HRA के तहत छूट
अगर ईप किराये के मकान में रहता हैं, तो सैलरी में एचआरए का पार्ट भी है, तो इसके एक हिस्से को टैक्स छूट मिल सकती है। छूट की राशि इनमें से न्यूनतम होगी:
1. भुगतान की गई किराये की रकम में से आपकी बैसिकी सैलरी का 10 पर्सेंट घटाने पर मिली रकम।
2. कंपनी से मिलने वाला एचआरए
3. बेसिक सैलरी का 50% (मेट्रो शहरों के लिए) या 40% (नॉन-मेट्रो शहरों के लिए)
उदाहरण के लिए:
– बेसिक मंथली सैलरी: 50,000 रुपये प्रति महीना।
– किराये का भुगतान: 20,000 रुपये प्रति महीना।
– एचआरए मिला: 15,000 रुपये प्रति महीना।
कैलकुलेशन:
– भुगतान किया गया वास्तविक किराया- बेसिक सैलरी का 10%: 20,000-5,000=15,000 रुपये
– दिया गया एचआर: 15,000 रुपये
– बेसिक सैलरी का 50% (मेट्रो शहर): 25,000 रुपये
एचआरए छूट 15,000 रुपये होगी, क्योंकि यह तीनों में से सबसे कम रकम होगी।
स्टेप 2: छूट और कटौतियों को घटाएं
अगर आपने ग्रॉस इनकम का आकलन कर लिया है, तो अगला कदम यह होगा कि इसमें योग्य छूट और कटौतियों को लागू किया जाए।
स्टैंडर्ड डिडक्शन
– पुरानी रिजीम: 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन उपलब्ध है।
– नई रिजीम: 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन उपलब्ध है।
सेक्शन 80सी के तहत छूट
सेक्शन 80सी के तहत इनवेस्टमेंट और पेमेंट्स के जरिये आप अपनी टैक्सेबल इनकम 1.5 लाख रुपये तक कम कर सकते हैं। अगर आपने पुरानी टैक्स रिजीम का विकल्प चुना है, तो 80सी के तहत छूट का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, नई टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने वाले इस कटौती का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
स्टेप3: टैक्सेबल इनकम का आकलन करें
अपनी ग्रॉस इनकम से सभी छूट और कटौतियों को घटाने के बाद जो इनकम बचती है, उसे टैक्सेबल इनकम कहा जाता है। मिसाल के तौर पर अगर आपकी ग्रॉस इनकम 10 लाख रुपये है और आपकी कुल छूट 2 लाख रुपये है, तो आपकी टैक्सेबल इनकम 8 लाख रुपये होगी।
स्टेप 4: टैक्स स्लैब के लिए अप्लाई करें
अपनी टैक्सेबल इनकम और टैक्स रिजीम के विकल्प के आधार पर संबंधित टैक्स स्लैब को लागू कर अपनी टैक्स लाइबिलिटी का आकलन कर सकते हैं:
– नई रिजीम के तहत, 3 लाख रुपये की आपकी टैक्सेबल इनकम पर कोई टैक्स नहीं लेगगा, जबकि अगले 7 लाख पर 5 पर्सेंट टैक्स लगेगा।
– पुरानी रिजीम के तहत, कई तरह की छूट और कटौतियों के हिसाब से इसमें बदलाव होता है।
स्टेप 5: सेस और सरचार्ज जोड़ें
आखिर में आपकी टैक्स लाइबिलिटी पर सेस और सरचार्ज लगता है। सरचार्ज उन लोगों पर लागू होता है, जिनकी इनकम 50 लाख से ज्यादा है। यह टोटल इनकम नहीं बल्कि टैक्स की बकाया रकम पर लगता है। दूसरी तरफ, सेस एक तरह की लेवी है और यह हेल्थ और एजुकेशन जैसे मकसद के लिए फंड जुटाने के लिहाज से इनकम टैक्स पर लगाया जाता है।
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