यूपी- कैसे होगा विकास? आदर्श गांव का मामला अटका… सांसद अफजाल अंसारी ने सरकार पर साधा निशाना – INA

प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना सांसदों के द्वारा गांव को गोद लेकर उसका विकास करने की थी. लेकिन गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी ने अभी तक एक भी गांव को गोद नहीं लिया है. वह प्रशासन की तरफ से प्रस्ताव मांगने का इंतजार कर रहे हैं. जबकि प्रशासन भी शासन से इस संबंध में पत्र आने का इंतजार कर रहा है.

2014 में भारतीय जनता पार्टी के जब केंद्र में सरकार बनी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने गांव को संवारने के लिए सांसद आदर्श गांव योजना की शुरुआत की. इस योजना का उद्देश्य गोद लिए गए गांव को विकास की मुख्य धारा में लाना है. वहां के नागरिकों को बेहतर जीवन दिया जा सके. इसी कड़ी में गाजीपुर में इस योजना के तहत पहले गांव तत्कालीन सांसद और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने दुल्लहपुर शंकर सिंह गांव को गोद लिया था. उसे संवारने का प्रयास किया था. हालांकि सांसद आदर्श गांव योजना के लिए सरकार की तरफ से कोई भी बजट आवंटित नहीं होता है. विभागों और सांसद के सामंजस्य से इस योजना को धरातल पर लाने का काम किया जाता है.

अफजाल अंसारी ने क्यों गोद नहीं ले पाए गांव?

गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी को पिछले कार्यकाल में उन्होंने पांच गांव गोद लेने का प्रस्ताव दिया था और प्रत्येक वर्ष एक गांव को गोद लेकर वहां विकास कार्य कराया. जिसमें जखनिया ब्लॉक से रेहटी मालीपुर ,सैदपुर ब्लॉक से गोपालपुर, भदौरा से बारा, देवकली से नारी पचदेवरा और सदर क्षेत्र का अंधऊ गांव शामिल रहा. हालांकि विलंब हो जाने के कारण, जिम्मेदार अधिकारियों के सहयोग न करने के कारण अंधऊ गांव को गोद नहीं ले पाए.

‘सरकार को फुरसत ही नहीं है’

सांसद आदर्श गांव योजना के तहत कोई भी बजट आवंटित नहीं होता है. लेकिन विभागीय अधिकारी ग्राम पंचायत के बजट से काम करने का दावा करते हैं. वहीं गांवों में जाने पर इसकी स्थिति खुलकर सामने आती है. वहीं इस संबंध में गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ये प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना है. इस योजना के तहत उन्हें भी गांव को गोद लेकर उसके विकास करने की जिम्मेदारी है. हालांकि पूर्व में उन्होंने इस जिम्मेदारी का निर्वहन किया है. लेकिन दूसरे कार्यकाल में सांसद बनने के बाद अभी तक सीडीओ कार्यालय से इस तरह का कोई भी प्रस्ताव मेरे पास नहीं आया है कि मैं किस गांव को गोद लूंगा. हालांकि इस दौरान उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार पर तंज भी कसा और कहा कि सरकार को कहां फुर्सत है कि वो इस योजना पर ध्यान दें. क्योंकि सरकार के लिए ‘बटेंगे तो कटेंगे’ यही सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

हालांकि इस योजना को लेकर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस योजना के लिए कोई अलग से बजट नहीं आता है फिर भी ग्राम पंचायत के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर कार्य कराए जाते हैं. शासन से नए गांव गोद लेने के संबंध में कोई पत्र नहीं आया है पत्र आने पर प्रस्तावमांगाजाएगा.


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