Political – काश! ‘नाक’ न होती तो विधानसभा चुनाव में दिल्ली का ये हाल न होता!- #INA
दिल्ली चुनाव में ‘नाक’ की लड़ाई
नाक बड़ी चीज है. यह चेहरे की आन, बान और शान कहलाती है. आप इसे मुखड़े का मुकुट भी कह सकते हैं. नाक चेहरे का अज़ीम-ओ-शान शहंशाह है. मुंह लटका हो तो अपनी बला से, लेकिन नाक हमेशा खड़ी रहनी चाहिए. नाक अपनी बिसात पर ललाट से तालमेल बनाए रखती है. नाक कभी मुरझाती नहीं. नाक का यही मूल भाव है. नाक कैसी भी हो उसके बाल सबको प्रिय हैं. ये नाक ही है जिसने राम-रावण का युद्ध करवा दिया था. इतिहास में न जाने कितने नरसंहार नाक के नाम पर हुए हैं. नाक न होती तो वे युद्ध न होते और न ही आज दिल्ली दंगल में नाक का सवाल बनता. दिल्ली देश की नाक है, इसकी गरिमा बनाए रखना सबका कर्तव्य है. आप चुनाव में सरकार चुन सकते हैं लेकिन नाक नहीं चुन सकते. नाक का अपना स्वाभिमान होता है. नाक निष्पक्ष होती है क्योंकि वह दायें बायें नहीं झुकती, सीधी होती है. नाक अड़ी होती है. लेकिन नाक पर गुस्सा जल्दी आ जाता है इसलिए किसी की नाक पर ऊंगली उठाना उसके स्वाभिमान को ललकारना है. कइयों का मानना है- सर कटा सकते हैं लेकिन नाक कटवा सकते नहीं.
दिल्ली दंगल में इन दिनों इसी नाक का मल्ल युद्ध चल रहा है. नाक बचाने के लिए नाक रगड़ी जा रही है. इसे नाक युद्ध भी कह सकते हैं. पूरी दिल्ली अखाड़ा बनी है. मानों नाक यहां पहलवान बनकर एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रही है. जैसी नाक, वैसी लड़ाई. पार्टियां एक-दूसरे की नाकों में दम कर देने पर तुली है. तुम्हारी नाक मेरी नाक से ऊंची क्यों? उसकी नाक मेरी नाक से नुकीली क्यों है? किसकी नाक में कितने तोले सोने का नथ जड़ा है? सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है. ऊंची नाक उजली कमीज बन गई है. जैसे सफेद कमीज पर दाग बर्दाश्त नहीं उसी तरह नाक पर जख्म मंजूर नहीं. दिल्ली में नेताओं को केवल अपनी-अपनी नाक की पड़ी है. नाक की नूरा कुश्ती में दिल्ली दरबार कितनी दलदल में धंसती जा रही है इसकी किसी को परवाह नहीं. जनता का नाकों में दम हो चुका है. बिना कोविड के ही नाक पर रुमाल रखना पड़ रहा है. सांसें ले पाना दूभर हो चला है. शोर है, संग्राम है, गालियां हैं, शराब है, अपराध है, कुलमिलाकर प्रदूषण बेशुमार है. यानी नाक बंद सबकुछ उल्टा पुल्टा.
दिल्ली दंगल में अलग-अलग किस्म की नाक
वैसे दिल्ली दंगल में नाक के नीचे एक अलग किस्म की भी नाक की लड़ाई है. नाक, नाक की बात है. मानो हाथी की नाक में चींटी की नाक ने डंक मार दिया है. एक तरफ बड़ी नाक है तो दूसरी तरफ छोटी नाक. एक ऐसी भी नाक है जो दिखाई ही नहीं देती लेकिन नाक के नाम पर दम भरती है. वैसे छोटी नाक केवल दिखने में छोटी होती है, काम उतना ही करती है जितना कि बड़ी नाक. बड़ी और छोटी नाक कछुआ और खरगोश भी होती है. दोनों की रेस की कहानी आपने बखूबी सुनी होगी. ऊंची दुकान फीका पकवान की तरह कई बार बड़ी नाक केवल शो पीस बनकर रह जाती है और कछुआ खरगोश से आगे निकल जाता है.
नाक काटने और कटवाने का मसला गर्म
दिल्ली में नाक बेचारी की अपनी लाचारी है. जो नाक कभी मक्खी भी बैठने नहीं देती अब उसके ऊपर मास्क चढ़ाना पड़ रहा है. ऐसे में नाक पर गुस्सा लाजिमी है. कमबख्त मास्क ने चेहरे की शान खराब कर दी. मुखड़े की रौनक ही चली गई. जब मुखड़ा चांद का टुकड़ा हो तो नाक उस पर सूरजमुखी का फूल होता है. नाक की महिमा इतनी निराली है कि इससे जोड़ कर कई और भी मुहावरे बने हैं. मसलन नकबजनी, इसका मतलब होता है सेंधमारी. जब चुनाव में कोई किसी की मांद में चुपके से घुसकर नकबजनी करे तो वोट की तरह यह नाक काटने और कटवाने का मसला कहलाता है. सिनेमा वालों ने तो बिना स्त्रीलिंग और पुलिंग का भेद किए गा दिया- बक बक मत कर नाक तेरा लंबा है.
नाक का डिजाइन हमारा मौलिक अधिकार
वास्तव में नाक कई प्रकार की होती है. कोई चपटी नाक वाला होता है तो नुकीली नाक का धनी कहलाता है. कहते हैं हर किस्म की नाक का अपना अलग-अलग असर है. इसे भाग्य दशा से भी जोड़ा गया है. कई बार किसी की नाक का डिजाइन खराब हो तो लोग उसकी प्लास्टिक सर्जरी भी करवाते हैं ताकि नाक सुंदर दिखें. लेकिन ये फर्जी नाक कहलाती है. वैसे कोई दो राय नहीं कि हर कोई अपनी नाक ऊंची ही रखना चाहता है. भई जाहिर सी बात है मेरी नाक मेरी मर्जी. नाक इंसान का मौलिक अधिकार है. नाक ऊंची ना रखें तो क्या? भला जानबूझ कर नाक कौन कटवाना चाहता है?
कड़ाके की सर्दी में नाक का रखें ख्याल
अलबत्ता नाक की लड़ाई कहावत कैसे बनी होगी या पुलिस वाले नाकेबंदी ही क्यों करते हैं, मुंहबंदी क्यों नहीं, ताकि बुरी बातों को सेंसर किया जा सके- ये सवाल भी अपने आप में कम दिलचस्प नहीं. सबसे पहले किस-किस के बीच नाक युद्ध हुआ होगा, इस विषय पर फेलोशिप भी मिलनी चाहिए. सोचता हूं अनुसंधान परिषद को यह आवेदन दे दूं. नाक चीज ही ऐसी है कि कोई इसे ऊंची रखने के लिए, किसी की नाकों में दम कर देना चाहता है तो कोई सामने वाले को नाकों चने चबवा देता है. वैसे फिलहाल तो हम तो यही कहेंगे शीतलहर का मौसम है, दिल्ली की सर्दी जुकाम के लिए जानी जाती है, नाक ज्यादा बहने से रोकें. इलाज कराएं. नाक समेत पूरी सेहत का ख्याल रखें.
काश! ‘नाक’ न होती तो विधानसभा चुनाव में दिल्ली का ये हाल न होता!
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,