Nation- CM के नाम पर सस्पेंस बरकरार, दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के जरिए किस तरह का सियासी संदेश देगी बीजेपी- #NA

चुनाव खत्म होने के 10 दिन बाद भी दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं हो सका है.

दिल्ली में सिर्फ एक ही सवाल गूंज रहा है कि मुख्यमंत्री कौन होगा? चुनाव नतीजों को आए एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन सीएम के नाम पर सस्पेंस अभी भी बना हुआ है. दिल्ली के मुख्यमंत्री के चयन के लिए बीजेपी द्वारा सोमवार को बुलाई गई विधायक दल की बैठक फिलहाल स्थगित कर दी गई है. सीएम के नाम के ऐलान में हो रही देरी के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) लगातार सवाल उठ रही है, लेकिन बीजेपी किसी तरह की कोई जल्दबाजी में नहीं है.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कोई भी सियासी फैसला लेने के पहले जातीय गणित और उससे पड़ने वाले राजनीतिक प्रभाव का पूरा ख्याल रख रही है. ऐसे में दिल्ली की सत्ता में 27 साल के बाद लौटी बीजेपी दिल्ली के मुख्यमंत्री का फैसला कर बड़ा सियासी संदेश देना चाहती है. ऐसे में किसी भी तरह की कोई भी जल्दबाजी के मूड में नहीं है. बीजेपी के लिए मैसेजिंग बहुत मायने रखती है. ऐसे में बीजेपी ने मुख्यमंत्री के फैसले के जरिए एक बड़ा सियासी संदेश देने की स्ट्रैटेजी बनाई है ताकि राजधानी में लंबे समय तक अपना वर्चस्व कायम रख सके.

कौन होगा बीजेपी का मुख्यमंत्री

दिल्ली की सत्ता पर 1998 के बाद लौटी बीजेपी मुख्यमंत्री के चयन को लेकर लगातार मंथन कर रही है. दिल्ली भले एक छोटा सा केंद्र शासित प्रदेश हो, लेकिन देश की राजधानी होने के नाते यहां से निकली बात पूरे देश में गूंजती है. दिल्ली पर सभी की नजर होती है.

दिल्ली में जो भी फैसला होता है, तो उसकी चर्चा देशभर में होती है. ऐसे में दिल्ली के नए सीएम के लिए प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, रेखा गुप्ता, विजेंदर गुप्ता सहित कई नामों पर अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन बीजेपी नेतृत्व अभी भी चुप्पी साधे हुए है.

CM के जरिए BJP देती रही सरप्राइज

बीजेपी का हर एक फैसला सियासी होता है और उसके पीछे राजनीतिक मायने होते हैं. हरियाणा एक जाट बहुल प्रदेश होने के बाद पंजाबी खत्री समाज से आने वाले मनोहर लाल खट्टर को पहले सीएम बनाया गया और उसके बाद ओबीसी से आने वाले नायब सिंह सैनी को यह पद दिया गया.
ऐसे ही महाराष्ट्र में मराठा राजनीति का वर्चस्व है, लेकिन वहां पर ब्राह्मण समाज से आने वाले देवेंद्र फडणवीस को सत्ता की बागडोर सौंपी गई. राजस्थान में ठाकुर और गुर्जर की राजनीति के बीच ब्राह्मण समाज से भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला.

यही हाल मध्य प्रदेश का भी रहा. जहां पार्टी ने मोहन यादव को एमपी का मुख्यमंत्री बनाया जबकि यादवों का वर्चस्व उत्तर प्रदेश और बिहार में देखा जाता है. उत्तर भारत में ओबीसी की सबसे बड़ी जातियों में से एक यादवों को अपनी तरफ करने के लिए मध्य प्रदेश में बड़े चेहरों को दरकिनार कर मोहन यादव को चुना गया.

इसी तरह से बीजेपी ने हर एक राज्य में सीएम के नाम पर फैसला लेकर सरप्राइज देती रही है. इसके जरिए राजनीतिक संदेश भी देती रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी दिल्ली में भी मुख्यमंत्री का फैसला लेकर सियासी समीकरण साधने के साथ-साथ संदेश देने की कवायद कर सकती है.

दिल्ली के CM से क्या संदेश देगी BJP

दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए बीजेपी के तमाम नेताओं के नाम की चर्चा चल रही है, जिसमें अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली सीट से हराने वाले प्रवेश वर्मा से लेकर पंजाबी समाज से आने वाले आशीष सूद सहित आधा दर्जन पार्टी नेताओं के नाम शामिल हैं. दिल्ली सीएम रेस में सबसे आगे नाम प्रवेश वर्मा का है, क्योंकि नई दिल्ली सीट को सत्ता की धुरी माना जाता है. शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट के विधायक रहते हुए दिल्ली की सीएम बने. इसी के चलते प्रवेश वर्मा के नाम पर सबसे ज्यादा कयास लगाए जा रहे हैं.

दिल्ली बीजेपी के महासचिव और जनकपुरी विधायक आशीष सूद के नाम की भी चर्चा है, जो केंद्रीय नेताओं के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के लिए जाने जाते हैं. छात्र राजनीति से आए हैं और लंबे समय से दिल्ली की सियासत कर रहे हैं.

महिला चेहरा के रूप में शालीमार बाग से विधायक चुनी गईं रेखा गुप्ता को भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है. इसके अलावा रोहिणी विधायक विजेंदर गुप्ता के नाम की भी चर्चा चल रही है, जो दिल्ली बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं.

मालवीय नगर से विधायक सतीश उपाध्याय भी इस रेस में शामिल हैं, जो एक प्रमुख ब्राह्मण चेहरा और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. वैश्य समुदाय से आने वाले और आरएसएस के एक मजबूत प्रतिनिधि जितेंद्र महाजन भी मुख्यमंत्री पद के शीर्ष दावेदारों में शामिल हैं. इसके अलावा ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं शिखा रॉय के नाम की भी चर्चा है.

किस समीकरण को साधने का चलेगी दांव

बिहार में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में बीजेपी किसी पूर्वांचली नेता पर दांव लगा सकती है. इस तरह से दिल्ली और बिहार दोनों ही राज्यों को एक साथ साध सकती है. दिल्ली में करीब 25 फीसदी पूर्वांचली वोटर्स हैं. बीजेपी अगर जाट समीकरण को साधने का प्लान बनाती है तो प्रवेश वर्मा के नाम पर मुहर लगा सकती है. बीजेपी अगर जाट सीएम चुनती है तो सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी, हरियाणा और राजस्थान को भी सियासी संदेश देने की स्ट्रैटेजी होगी. दिल्ली में पंजाबी समुदाय को बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जाता है.

अगर किसी पंजाबी पर दांव चलती है तो फिर आशीष सूद की लाटरी लग सकती है. दिल्ली में 15 फीसदी से ज्यादा पंजाबी वोटर्स हैं. दिल्ली में वैश्य समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है, जिसे ध्यान रखते हुए पार्टी फैसला लेती है तो फिर विजेंदर गुप्ता और रेखा गुप्ता में से किसी एक की किस्मत का सितारा बुलंद हो सकता है. दिल्ली के दलित वोटों का समीकरण का दांव भी चल सकती है, जिसके जरिए विपक्षी दलों के नैरेटिव को भी तोड़ सकती है.

CM पर फैसला और सियासी संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सियासत को जो लोग नहीं समझते हैं, वो लोग कयासबाजी करते रहते हैं. बीजेपी किसको मुख्यमंत्री बनाएगी, इसका फैसला पार्टी चुनाव से पहले ही कर लेती है. इस संबंध में बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि पार्टी कैंडिडेट से लेकर मुख्यमंत्री बनाने का फैसला पहले कर लेती है. बीजेपी में एक सिस्टम है, जिसके आकलन पहले ही कर लिया जाता है और बस उसका फैसला अंतिम समय में किया जाता है.

ऐसे में माना जा सकता है कि बीजेपी संभवतः दिल्ली के सीएम का फैसला कर चुकी है, और पीएम मोदी से लेकर अमित शाह इसे बखूबी जानते हैं. अब देखना होगा कि बीजेपी दिल्ली में किसे नया सीएम बनाती है और इसके जरिए वह किस तरह का सियासी संदेश देने की कोशिश करेगी.

CM के नाम पर सस्पेंस बरकरार, दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के जरिए किस तरह का सियासी संदेश देगी बीजेपी


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