यूपी के आजमगढ़, मऊ और बलिया जिलों में साइबर ठगी के 159 मामले सामने आए हैं। इनमें 50 हजार रुपये या उससे अधिक की धनराशि की ठगी की गई है। इन मामलों में अभियुक्तों के बैंक खातों में धनराशि फ्रीज है, लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। ऐसे में डीआईजी की ओर से विशेष अभियान चला कर फ्रिज किए गए रूपों को वापस कराए जाने की पहल होगी।
डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि जनपद आजमगढ़ के 54 मामले, मऊ के 46 और बलिया के 59 प्रकरण ऐसे हैं जिनमें 50 हजार रुपये या उससे अधिक धनराशि की साइबर ठगी की गई है। अभियुक्तों के बैंक खातों में 50 हजार रुपये या उससे अधिक की धनराशि फ्रिज है लेकिन उनमें एफआईआर दर्ज नहीं है।
बताया कि इस समस्या का समाधान करने के लिए, एक सघन अभियान चलाया जाएगा जो 17 नवंबर 2024 से शुरू होगा और तीन जनवरी 2025 तक चलेगा। अभियान में सभी प्रकरणों में एफआईआर दर्ज की जाएगी। एफआईआर दर्ज होने के बाद, प्रत्येक मामला जनपद में तैनात निरीक्षक को आवंटित किया जाएगा।
डीआईजी ने बताया कि अभियोग पंजीकरण और विवेचना आवंटन के बाद, मुकदमों से संबंधित फ्रीज धनराशि पीड़ितों को वापस कराने की कार्यवाही की जाएगी। फ्रीज धनराशि पीड़ितों को वापस होने के बाद, संबंधित अभियुक्तों की जानकारी करना होगा।
पूर्व के स्टेप्स में चिन्हित आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र जारी किया जाएगा। यदि कुछ गिरोह चिन्हित हुए हैं, तो उनका गैंग पंजीकृत कराया जाएगा। बताया कि इस अभियान के लिए अपर पुलिस अधीक्षक/सहायक पुलिस अधीक्षक को नोडल अधिकारी नामित किया गया है।
यूपी के आजमगढ़, मऊ और बलिया जिलों में साइबर ठगी के 159 मामले सामने आए हैं। इनमें 50 हजार रुपये या उससे अधिक की धनराशि की ठगी की गई है। इन मामलों में अभियुक्तों के बैंक खातों में धनराशि फ्रीज है, लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। ऐसे में डीआईजी की ओर से विशेष अभियान चला कर फ्रिज किए गए रूपों को वापस कराए जाने की पहल होगी।
डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि जनपद आजमगढ़ के 54 मामले, मऊ के 46 और बलिया के 59 प्रकरण ऐसे हैं जिनमें 50 हजार रुपये या उससे अधिक धनराशि की साइबर ठगी की गई है। अभियुक्तों के बैंक खातों में 50 हजार रुपये या उससे अधिक की धनराशि फ्रिज है लेकिन उनमें एफआईआर दर्ज नहीं है।
बताया कि इस समस्या का समाधान करने के लिए, एक सघन अभियान चलाया जाएगा जो 17 नवंबर 2024 से शुरू होगा और तीन जनवरी 2025 तक चलेगा। अभियान में सभी प्रकरणों में एफआईआर दर्ज की जाएगी। एफआईआर दर्ज होने के बाद, प्रत्येक मामला जनपद में तैनात निरीक्षक को आवंटित किया जाएगा।
डीआईजी ने बताया कि अभियोग पंजीकरण और विवेचना आवंटन के बाद, मुकदमों से संबंधित फ्रीज धनराशि पीड़ितों को वापस कराने की कार्यवाही की जाएगी। फ्रीज धनराशि पीड़ितों को वापस होने के बाद, संबंधित अभियुक्तों की जानकारी करना होगा।
पूर्व के स्टेप्स में चिन्हित आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र जारी किया जाएगा। यदि कुछ गिरोह चिन्हित हुए हैं, तो उनका गैंग पंजीकृत कराया जाएगा। बताया कि इस अभियान के लिए अपर पुलिस अधीक्षक/सहायक पुलिस अधीक्षक को नोडल अधिकारी नामित किया गया है।