वैशाली जिले में मकर संक्रांति पर्व: सड़को पर सज गई दूकाने,उमड़े खरीदार।
संवाददाता-राजेन्द्र कुमार ।

वैशाली /बिदुपुर स्टेशन बाजार। वैशाली जिले में मनाया जाने वाला मकर संक्रांति पर्व हर साल लोगों के जीवन में एक खास महत्व रखता है। इस बार इस पर्व का आयोजन 14 जनवरी 2025 को हो रहा है, जब सूर्य सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन से खरमास समाप्त हो जाता है, जिससे शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। शादी, सगाई, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे अवसरों पर इसकी अनिवार्यता बनी रहती है।
पंडितों का कहना है कि मकर संक्रांति पर्व का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक रूप से भी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों को दही-चुड़ा भेजते हैं, जो इस पर्व की खास परंपरा है।
बाजार की रौनक
जिले में मकर संक्रांति पर्व की तैयारी जोरों पर है। बाजार में चूड़ा, दही, तिलकुट, लाई और गट्टा जैसी चीजें सजी हुई हैं। बिदुपुर स्टेशन चौक, राधारमण चौक और अन्य जगहों पर दुकानदारों ने ग्राहकों का स्वागत करने के लिए अपनी दुकानों को सजाया है। हालाँकि, मंहगाई ने इस बार कुछ असर डाला है। उपभोक्ता चिंतित हैं कि इस पर्व पर अपने रिश्तेदारों को क्या भेजें।
महिला गृहणी संविता देवी कहती हैं, “मंहगाई ने हमें काफी प्रभावित किया है। हम आर्थिक रूप से कमजोर हैं, फिर भी इस पर्व का मजा तब ही आता है, जब रिश्तेदारों के घर से दही-चुड़ा आता है और हम भी उन्हें भेजते हैं।”
मंहगाई और खरीदारी
मंहगाई के चलते खरीदारी पर भी असर देखा जा रहा है। कई महिलाएं शगुन के रूप में चूड़ा, दही, तिलकुट और कपड़ा भेजने का मान रखती हैं, लेकिन बढ़ती कीमतों ने उनके मन में चिंता बढ़ा दी है। बाजार में गुड़ और चीनी से बने तिलकुट की कीमतें 200 से 350 रुपये के बीच हैं, वहीं खोवा और मेवा से बने तिलकुट की दर 120 से 180 रुपये किलोग्राम है।
बिदुपुर स्टेशन के तिलकुट व्यवसायी का कहना है, “हम बहुत सालों से तिलकुट बनाकर दूसरे जगह भेजते आ रहे हैं। लेकिन अब बाजार में कुछ मिलावटी कंपनियां आम लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही हैं। ऐसे में लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।”
सामाजिकता का अनुभव
मकर संक्रांति का पर्व लोगों को जोड़ता है। रिश्तेदारों के बीच भेजे जाने वाले दही-चुड़े का आनंद ही इस पर्व को खास बनाता है। शुरुआती वर्ष में, गांव और शहर के लोग इस पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हैं। खासकर महिलाएं तिलकुट, चूड़ा, और दही की तैयारी में जुटी रहती हैं।
इस पर्व का न केवल धार्मिक महत्व है बल्कि यह त्योहार हमें एक-दूसरे के करीब लाता है। बाजार में सजी दुकानों की रौनक और लोगों का उत्साह इस बात को दर्शाता है कि मकर संक्रांति सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक सामाजिक अनुभव है जिसे हर कोई महसूस करना चाहता है।
अंत में, मकर संक्रांति पर्व का संपूर्ण अनुभव हमें न केवल उत्सव का अहसास कराता है बल्कि हमें अपनी जड़ों से भी जोड़ता है। हालांकि, महंगाई एक चिंता का विषय बनी हुई है, परंतु इससे पर्व की खुशी कम नहीं होती। यह पर्व हमें एक नई उम्मीद और ऊर्जा देने का काम करता है। इसलिए, इस बार भी हमें इस पर्व को धूमधाम से मनाने की तैयारी करनी चाहिए, ताकि यह हमारी परंपरा और संस्कृति का प्रतीक बना रहे।