आगरा में बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण: एकल-उपयोग प्लास्टिक के खिलाफ जंग की जरूरत

बृज खंडेलवाल

शादी हो या सत्संग, उठावनी हो या सांस्कृतिक कार्यक्रम, हर जगह प्लास्टिक की छोटी छोटी पानी की बोतलें, pouches, उपयोग कर फेंकी जाती हैं। पहले दावतों में मटकन्ने कुल्हड़, स्तेमाल होते थे, अब भंडारों में भी प्लास्टिक। बोतलों में पानी परोसा जा रहा है। सख्ती से रोक लगाई जाए और दो लीटर से कम की पानी की बोतलें प्रतिबंधित की जाएं। शुद्ध पानी के डिस्पेंसर्स या कियोस्क लगाए जा सकते हैं। नगर निगम जगह जगह पानी की बूथ या कियोस्क लगा सकती है जहां पेपर कप्स में पानी पीएं लोग। या बोतल भरवाकर ले जाएं।

Table of Contents

आगरा, अपने ऐतिहासिक गौरव और मनमोहक वास्तुकला के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है, लेकिन आज यह शहर एक गंभीर पर्यावरणीय संकट से जूझ रहा है। पॉलीथीन, PVC, छोटी प्लास्टिक की बोतलें और 100-200 ग्राम के पाउच जैसे एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के अंधाधुंध इस्तेमाल ने शहर की जल निकासी और सीवर प्रणाली को अवरुद्ध कर दिया है। यह समस्या न केवल शहर की सुंदरता को धूमिल कर रही है, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन गई है।

हर साल, लाखों एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पाद कुछ ही मिनटों के इस्तेमाल के बाद कचरे में तब्दील हो जाते हैं। ये उत्पाद सामाजिक समारोहों, शादियों और धार्मिक आयोजनों में सुविधाजनक लग सकते हैं, लेकिन इनका पर्यावरण पर होने वाला प्रभाव बेहद विनाशकारी है। ये प्लास्टिक उत्पाद न केवल हमारे प्राकृतिक परिदृश्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि मानव स्वास्थ्य और वन्यजीवों के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं।

आगरा की सड़कों, पार्कों और नदियों में प्लास्टिक कचरे के ढेर दिखाई देते हैं। यह नज़ारा न केवल शहर की छवि को खराब करता है, बल्कि यह हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत का भी अपमान है। प्लास्टिक कचरा कीटों को आकर्षित करता है, जो बीमारियों को फैलाने का कारण बनता है। इसके अलावा, यह वन्यजीवों के लिए भी जानलेवा साबित हो रहा है।
एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पाद बायोडिग्रेडेबल नहीं होते। ये समय के साथ माइक्रोप्लास्टिक में टूट जाते हैं और हमारी मिट्टी और जल स्रोतों में मिल जाते हैं। इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है, बल्कि यह हमारे खाद्य श्रृंखला में भी प्रवेश कर जाता है। शोध के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक मानव शरीर में प्रवेश करके श्वसन संबंधी समस्याएं और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

प्लास्टिक कचरा शहर के बुनियादी ढांचे को भी प्रभावित कर रहा है। नालियों और सीवर लाइनों का अवरुद्ध होना आम बात हो गई है, जिससे मानसून के मौसम में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। नगर निगम को इन नालियों को साफ करने और कचरा प्रबंधन में भारी मात्रा में संसाधन खर्च करने पड़ते हैं। अगर इस समस्या पर समय रहते काबू नहीं पाया गया, तो यह शहर के विकास और स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डालेगा।

इस समस्या से निपटने के लिए एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है। पॉलीथीन बैग, छोटी पानी की बोतलें और 200 ग्राम से कम वजन वाले पाउच जैसे उत्पादों के बजाय पुन: प्रयोज्य विकल्पों को अपनाने की आवश्यकता है। उदाहरण के तौर पर, केवल 2 किलोग्राम की पानी की बोतलों को ही अनुमति दी जाए। इससे न केवल प्लास्टिक कचरा कम होगा, बल्कि नागरिकों में स्थिरता की संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा।

इस लड़ाई में सभी हितधारकों की भागीदारी जरूरी है। विक्रेताओं, इवेंट प्लानर्स और धार्मिक संगठनों को पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। शैक्षिक अभियानों के माध्यम से लोगों को प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना होगा। साथ ही, सरकार को कड़े नियम लागू करने और उनके अनुपालन को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
आगरा के निवासियों का स्वास्थ्य, शहर का बुनियादी ढांचा और इसकी सुंदरता आज हमारे द्वारा किए गए विकल्पों पर निर्भर करती है। एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के अभिशाप को खत्म करने के लिए हमें सामूहिक रूप से काम करना होगा। आइए, हम सभी मिलकर भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, हरियाली भरा और टिकाऊ आगरा बनाने का संकल्प लें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News