भारत- नेपाल ने की पुनर्निर्माण परियोजनाओं की समीक्षा

काठमांडू। भारत और नेपाल के बीच पुनर्निर्माण परियोजनाओं पर गठित संयुक्त परियोजना निगरानी समिति (जेपीएमसी) की 5वीं बैठक काठमांडू में आयोजित हुई। इस दौरान नेपाल में आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक विरासत क्षेत्रों में 2015 के भूकंप के बाद पुनर्निर्माण परियोजनाओं की प्रगति की व्यापक समीक्षा की गई।

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इसमें भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (उत्तर) मुनु महावर और नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व शहरी विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव पद्म कुमार मैनाली ने किया। बैठक के दौरान स्वास्थ्य और सांस्कृतिक विरासत जैसे क्षेत्रों में दोनों पक्षों ने हासिल की गई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और इन क्षेत्रों के तहत परियोजनाओं को जल्द पूरा करने में तेजी लाने पर सहमति व्यक्त की।

दरअसल अप्रैल 2015 में नेपाल में आए भीषण भूकंप के बाद भारत ने अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति पर चलते हुए पड़ोसी देश को पुनर्निर्माण के लिए 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता देने का वादा किया था। यह अनुदान 4 अलग-अलग क्षेत्रों में आवंटित किया गया था – आवास (10 करोड़), शिक्षा (5 करोड़), स्वास्थ्य (5 करोड़) और सांस्कृतिक विरासत (5 करोड़)। इन परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी के लिए अगस्त 2017 में जेपीएमसी तंत्र की स्थापना की गई थी।

काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा अक्टूबर 2023 में पिछली जेपीएमसी बैठक के बाद से, भारत सरकार ने काठमांडू में त्रिभुवन विश्वविद्यालय केंद्रीय पुस्तकालय सहित शिक्षा क्षेत्र में 26 परियोजनाएं, स्वास्थ्य क्षेत्र में 32 परियोजनाएं और सांस्कृतिक विरासत क्षेत्र में 3 परियोजनाएं सौंपी हैं, जिनकी राशि एनपीआर 335.08 करोड़ है। इसके अलावा इस अवधि के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में 43 परियोजनाएं और सांस्कृतिक विरासत क्षेत्र में 9 परियोजनाएं एनपीआर 173.49 करोड़ की राशि के साथ पूरी की गई हैं। दोनों पक्षों ने पुनर्निर्माण परियोजनाओं के सकारात्मक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव की सराहना की।

इस दौरान विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (उत्तर) महावर ने नेपाल की विदेश मंत्री डॉ. आरज़ू राणा देउबा और नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय से मुलाकात की और भारत-नेपाल सहयोग को और आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

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