संस्कार भारती, हावर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका की आगरा में मधूुबनी चित्रों की अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी दूसरे दिन भी जारी
आगरा, 16 दिसम्बर – भारत को हमेशा से ही उसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और अद्वितीय कलाओं के लिए जाना जाता रहा है। हाल ही में संस्कार भारती, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका और डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यटन एवं होटल प्रबंधन संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित मधुबनी चित्रों की अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी ने इस विचार को और अधिक प्रकट किया है। यह प्रदर्शनी अपनी दूसरी दिन भी अनवरत जारी रही, और इसने कला प्रेमियों तथा विद्वानों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
संस्कृति भवन में आयोजित इस प्रदर्शनी के दूसरे दिन के विशेष अतिथि प्रो. आनंदी पी साहू ने कला की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “ऐक्शन पेंटिंग विद्या मूल रूप से अमेरिका के लब्ध प्रतिष्ठित कलाकार जैक्सन पॉलक के नए प्रयोगों की देन है।” उन्होंने बताया कि कला का यह माध्यम न केवल दृश्य सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि यह गहरे भावनात्मक अनुभवों और विचारों के आदान-प्रदान का भी एक सशक्त साधन है।
प्रो. नरेन्द्र सिंह, कुलपति, अमेठी यूनिवर्सिटी ने भी अपने विचार साझा करते हुए भारत को कलाओं की अंतरराष्ट्रीय राजधानी का दर्जा दिया। उनका कहना था, “भारत में विभिन्न प्रकार की कलाएँ और शिल्प मौजूद हैं जो हमारी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। यह प्रदर्शनी इस बात का प्रमाण है कि हम कला के क्षेत्र में अन्य देशों से कहीं पीछे नहीं हैं।”
इस अवसर पर विभिन्न देशों के विद्वानों का भी योगदान महत्वपूर्ण रहा। प्रो. सुलेमान, कुलपति, दक्षिण अफ्रीका विश्वविद्यालय, और दक्ष कुमार, बहरीन के अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जिन्होंने अपनी सोच और विचारों के साथ प्रदर्शनी को और भी समृद्ध किया।
एक विशेष आकर्षण के रूप में, फतेहचंद इंटर कॉलेज की डॉ. मीठू ने 50 छात्रों और छात्राओं के साथ प्रदर्शनी का अवलोकन करवाया। यह सुनिश्चित करता है कि नई पीढ़ी को भी कला के प्रति जागरूक किया जाए और उन्हें अपने सांस्कृतिक विरासत से जोड़ा जाए।
इस कार्यक्रम में अन्य उपस्थित प्रमुख हस्तियों में प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष नंद नंदन गर्ग, प्रांतीय महामंत्री डॉ. मनोज कुमार पचौरी, डॉ. राधिका भारद्वाज, नीनू गर्ग, माधव अग्रवाल, बबीता पाठक, आलोक आर्य, प्रचारक राम सिंह, दीपक गर्ग, डॉ. एकता श्रीवास्तव, अतुल गुप्ता, नीलम रानी गुप्ता, शशांक गुप्ता इत्यादि शामिल रहे। इन सभी ने कला के महत्व तथा हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए अपने विचार साझा किए।
इस प्रदर्शनी में मधुबनी चित्रण की विशेषताओं को दिखाया गया, जिसे भारतीय सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। यह कला न केवल भारत की विविधता को बयां करती है, बल्कि यह देश की सोच और दृष्टिकोण का भी प्रदर्शन करती है।
आर्ट एंड कल्चर की इन विशेषताओं ने दुनिया भर के कला प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया है, और ये साबित करते हैं कि भारत का कलाओं के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। कला और संस्कृति के इस समृद्ध क्षेत्र में प्रदर्शनी जैसे आयोजनों के माध्यम से हमारे भारत की अद्वितीयता को उजागर करना अत्यंत आवश्यक है।
इस प्रकार, मधुबनी चित्रों की यह अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी भारत की कलात्मक क्षमता और सांस्कृतिक धरोहर को संजीवनी प्रदान करती है। यही कारण है कि भारत को ‘कलाओं की अंतरराष्ट्रीय राजधानी’ कहा जाता है। यह कला के प्रति हमारी न केवल प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि हमें प्रेरित करती है कि हम अपनी कला को आगे बढ़ाए और दुनिया के साथ साझा करें।
भारत में ऐसी प्रदर्शनी आयोजन होना यह संकेत देता है कि हम कला के प्रति कितने गंभीर हैं और हम इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए कितने तत्पर हैं। कला के इस अद्भुत सफर में भारत की भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है, और यह प्रदर्शनी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होती है।