दुनियां – सीरिया में सेना भेजने के लिए ईरान तैयार, मगर रखी एक शर्त – #INA

ईरान ने सिविल वॉर झेल रहे सीरिया की मदद का भरोसा दिलाया है, लेकिन इसके लिए दमिश्क को आधिकारिक तौर पर अनुरोध करना होगा. ईरानी विदेश मंत्रालय की ओर से ये कहा गया है कि अगर आधिकारिक तौर पर अनुरोध किया जाता है तो ईरान अपनी सेना सीरिया में भेजने के लिए तैयार है.
सीरिया में एक बार फिर सिविल वॉर के हालात बन गए हैं. कट्टरपंथी संगठन हयात तहरीर अल शाम व अन्य गुटों ने दो शहरों अलप्पो और इदलिब पर कब्जा कर लिया है. यह विद्रोह राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ छेड़ा गया है, लेकिन इसकी आग में हजारों नागरिक अब तक हताहत हो चुके हैं. लोगों को अपना घर और शहर तक छोड़ना पड़ रहा है.
सीरिया में क्या हो रहा है?
सीरिया के कट्टरपंथी समूह हयात तहरीर अल शाम ने बीते 26 नवंबर को अलप्पो शहर पर हमला किया. अगले दो दिनों में उन्होंने इस शहर को कब्जा लिया और इबदिल की ओर बढ़े. इसके बाद राजमार्ग को काट दिया गया. माना जा रहा है कि यह विद्रोह बशर असल असद के खिलाफ छेड़ा गया है. हमला इतना भीषण था कि सीरिया की सेना को अपने बचाव में खुद पीछे हटना पड़ा.
ईरान ने रखी शर्त
ईरान ने सीरिया में अपनी फोर्स को भेजने के लिए सहमति जता दी है, लेकिन एक शर्त रखी है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रमुख की ओर से मंगलवार को कहा गया है कि अगर दमिश्क की ओर से ऑफिशियली अनुरोध किया जाएगा, तभी सीरिया की मदद के लिए ईरान में सेना भेजी जाएगी.
कौन है हमला करने वाला विद्रोही गुट?
सीरिया पर हमले की शुरुआत हयात तहरीर अल शाम ने की है. इसका अर्थ है ग्रेटर सीरिया की मुक्ति के लिए आंदोलन. सीरिया के इदलिब शहर पर इसका कब्जा है. पहले इस गुट को नुसरा फ्रंट के नाम से पहचाना जाता था. ऐसा कहा जाता है कि इसे बनाने वाला अलकायदा था ताकि वह सीरिया में अपनी पैठ बना सके. हालांकि लगातार विरोध के चलते धीरे धीरे यह सीरिया का दुश्मन संगठन बन गया और अलकायदा से अलग हो गया. रूस, अमेरिका समेत कई देश इस गुट को आतंकी संगठन घोषित कर चुके हैं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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