Entertainment: Loveyapa Review: ‘लवयापा’ में एक्टिंग करने में कामयाब रहे जुनैद खान और खुशी कपूर, साइड एक्टर्स भी करेंगे इंप्रेस – #iNA
जब ‘लवयापा’ का ट्रेलर रिलीज हुआ था, तब फिल्म की कहानी थोड़ी अलग जरूर लगी थी. लेकिन सोशल मीडिया पर जुनैद और खुशी के लगातार वायरल हो रहे ट्रोलिंग वीडियो देख, ये फिल्म देखनी चाहिए या नहीं? ये सवाल बार-बार दिमाग में आ रहा था. इस बीच दोनों का इंटरव्यू करने का भी मौका मिला और इंटरव्यू से एक बात तो पता चली कि खुशी और जुनैद दोनों असल जिंदगी में बिल्कुल ही बोरिंग हैं. जुनैद कुछ ज्यादा ही ब्लंट और खुशी कुछ ज्यादा ही इंट्रोवर्ट, इन दोनों की फिल्म कैसे होगी? ये सोचते हुए, थोड़े से डर के साथ ही मैंने ये फिल्म देख डाली और इस ‘लवयापा’ ने मुझे सरप्राइज कर डाला. फिल्म बहुत अच्छी है और इस अच्छी फिल्म के असली हीरो हैं अद्वैत चंदन और स्नेहा देसाई. मैं जुनैद और खुशी से उनका क्रेडिट नहीं छीन रही हूं, लेकिन इन दोनों ने जो कमाल करके दिखाया है, उसके पीछे इस कहानी को लिखने वाली राइटर और इन दोनों से सही मात्रा में एक्टिंग कराने वाले रिंगमास्टर यानी डायरेक्टर का भी बहुत बड़ा हाथ है. बाकी जुनैद खान और खुशी कपूर की बात करें तो इन दो ‘स्टार किड्स’ ने साबित कर दिया है कि वो एक्टिंग कर सकते हैं.
कहानी
गौरव (जुनैद खान) और बानी (खुशी कपूर) एक दूसरे से प्यार करते हैं. दोनों को एक दूसरे से शादी भी करनी है. लेकिन अचानक इन की लवस्टोरी का पता बानी के पिता (आशुतोष राणा) को लग जाता है और वो इन दोनों के प्यार की परीक्षा लेते हैं. हालांकि ये परीक्षा बाकी परीक्षाओं से अलग है. यहां गौरव और बानी को किसी सवाल के जवाब नहीं देने हैं, बल्कि उन्हें एक दूसरे के फोन में सवालों के जवाब ढूंढने हैं. एक दूसरे के साथ अपने मोबाइल एक्सचेंज होने के बाद प्यार की ये छोटी सी परीक्षा ‘अग्निपरीक्षा’ में किस तरह से तब्दील होती है और इस वजह से आगे क्या हंगामा होता है? ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर ‘लवयापा’ देखनी होगी.
जानें कैसी है फिल्म
मुझे याद है एक जमाने में बाहर खाना खाने जाना और बाहर से घर में खाना आना, बहुत बड़ी बात होती थीं. जब पापा की सैलरी आनी हो तब वो चॉकलेट लेकर आते थे, हमेशा ऑफिस जाने वाली मां एक दिन स्कूल से लेने आती थीं, तब रास्ते में उनकी तरफ से दी जाने वाली टॉफी का टेस्ट ही अलग होता था. कभी मम्मी के ऑफिस से आते ही जब उनकी बैग में एक सुखी भेल का पैकेट भी मिल जाता था, तब दिल खुश हो जाता था. लेकिन साल बीत गए, अब तो जोमाटो, जेप्टो स्विगी ने आज के बच्चों से वो खुशियां ही मानो छीन ली, उन्हें इंतजार का वो मजा कभी नहीं समझ आएगा. आज जिस फोन को हाथ में लेकर बर्गर, कॉफी, बिरयानी और मोमो में से क्या खाना है? ये ऑप्शन मिलते हैं, टीवी सीरियल, वेब सीरीज या यूट्यूब में से क्या देखना है? ये ऑप्शन मिल जाते हैं, उसी फोन से आज के युवाओं को किसे प्यार करना है? इसके लिए भी कई ऑप्शन मिल जाते हैं. रिलेशनशिप, सिच्युएशनशिप और कमिटमेंट में उलझे हुए दो कन्फ्यूज लवबर्ड्स की अनफ़िल्टर्ड कहानी अद्वैत चंदन हमें बताते हैं.
अनफिल्टर्ड इसलिए क्योंकि फिल्म में जहां जरूरत है वहां अद्वैत ने बिना हिचकिचाहट अपने दो टूक भी सुनाए हैं. ऊपर-ऊपर से ठीक लगे तो राइट स्वाइप करो और नहीं जमे तो लेफ्ट स्वाइप करो, इस सोच के साथ आगे बढ़ने वालों पर ये फिल्म तंज कसती है. बॉडीशेमिंग पर भी ‘लवयापा’ में एक स्ट्रॉन्ग मैसेज दिया गया है. सोशल मीडिया ओबसेशन, डीप फेक जैसे कई मुद्दों पर ये फिल्म बात करती है. मेरा हमेशा से ही ये मानना रहा है कि सिनेमा में समाज से जुड़े मुद्दों पर बात करनी चाहिए. लवयापा हमारा मनोरंजन करने के साथ-साथ समाज के कई अहम मुद्दों पर बात करती है और इसलिए ये एक अच्छी फिल्म है.
निर्देशन और राइटिंग
‘लवयापा’ दिल्ली की कहानी है और इस कहानी के लिए अद्वैत को ‘महाराज’ के शांत और क्रांतिकारी करसनदास को दिल्ली का लाउड ‘गुच्ची’ बनाना था. अद्वैत न सिर्फ करसनदास को ‘गुच्ची’ बनाने में सफल रहें, बल्कि वो ‘द आर्चिज’ की ‘बेट्टी’ के चेहरे पर भी एक्सप्रेशन लेकर आ गए और उन्होंने ‘बानी’ के रूप में उसे बड़े पर्दे पर पेश किया. लेकिन एक अच्छी कहानी बहुत अच्छी फिल्म में कन्वर्ट तब होती है, जब डायरेक्टर और राइटर एक साथ मिलकर इसपर काम करें. अद्वैत की ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ और ‘लाल सिंह चड्ढा’ भी अच्छी फिल्में थीं, लेकिन इस फिल्म में ‘लापतागंज’ वाली स्नेहा देसाई का उन्हें साथ मिला है और उन्होंने हमारे सामने एक ऐसी कहानी पेश की है, जो मनोरंजन से भरपूर हो. फिल्म आखिर तक आपको बोर नहीं करती. स्क्रीनप्ले, डायलॉग राइटिंग लाजवाब है, फिल्म कई जरुरी मैसेज भी देती है. फिल्म में अद्वैत ने आमिर खान और जुनैद का एक बहुत खूबसूरत शॉट लगाया है, वो फिल्म में क्यों है? ये तो नहीं बताएंगे. लेकिन ऐसे कई अच्छे मोमेंट आपको पूरी फिल्म में देखने मिलते हैं.
एक्टिंग
जुनैद खान फिर एक बार साबित करते हैं कि वो एक अच्छे एक्टर हैं. उन्हें गुच्ची के अवतार में देख आप कंफ्यूज हो जाएंगे कि क्या ये सच में ‘महाराज’ का वो एक्टर है, जिसने जयदीप अहलावत के साथ स्क्रीन शेयर की थी. गुच्ची का लापरवाह ऐटिट्यूड हो, उसकी दोस्ती हो या फिर उसका प्यार हो, जुनैद के एक्सप्रेशन में वो वेरिएशन नजर आते हैं, जो कई नए एक्टर्स के चेहरे से गायब रहते हैं. हालांकि जुनैद अपने पापा आमिर खान जैसे बिलकुल भी नहीं है, उनकी एक्टिंग की अपनी अलग स्टाइल है. खुशी कपूर ने भी ‘द आर्चिज’ के बाद बहुत मेहनत की है और ये मेहनत उनके किरदार में नजर आ रही हैं. अगर एक फिल्म के बाद खुशी खुद की एक्टिंग में इतना सुधार लेकर आ सकती हैं, तो आने वाले सालों उनका फ्यूचर जरूर होगा. यानी अपनी फिल्म के प्रमोशनल इवेंट में ये दोनों एक्टर्स भले ही अनकंफर्टेबल लगते हो, लेकिन फिल्म में दोनों ने धमाकेदार परफॉर्मेंस दी है. इन दोनों ‘स्टारकिड्स’ ने अपनी एक्टिंग से उन्हें ट्रोल करने वालों के मुंह पर तमाचा जड़ दिया है.
फिल्म में आशुतोष राणा, निखिल मेहता, ‘कुल्लू’ यानी आदित्य कुलश्रेष्ठ, कीकू शारदा, , जेसन थाम जैसे कई कलाकार भी हैं और उन्होंने ने भी अपनी भूमिका को पूरी तरह से न्याय देने की कोशिश की है;
देखें ये न देखे
इन दिनों ऑनलाइन जिंदगी इंसान को इतनी जरुरी लगने लगी है कि अब हमने ऑफलाइन जीना ही छोड़ ही दिया है. लेकिन सोशल मीडिया पर सिर्फ रील्स और शॉर्ट्स देखते हुए आगे बढ़ने वाले हम ये पूरी तरह से भूल गए हैं कि जिंदगी का असली मजा उस सब्र में है, जिस वजह से हमारा आगे का सफर बहुत खूबसूरत हो सकता है. मॉडर्न एज रिश्तों की इस ‘भेल’ को, बिना ज्यादा ड्रामा के हमारे सामने पेश किया गया है और इसे हम जरूर थिएटर में जाकर जरूर देखनी चाहिए.
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